बुद्धि विवेक कुलीनता, तब तक ही मन मांय। काम-बाण की अगन की, लपट न जब तक आय।।
बुद्धि विवेक कुलीनता, तब तक ही मन मांय। काम-बाण की अगन की, लपट न जब तक आय।।
MARWARI KAHAWATE
MARWARI PATHSHALA
10/27/20241 min read
बुद्धि विवेक कुलीनता, तब तक ही मन मांय।
काम-बाण की अगन की, लपट न जब तक आय।।
”मनुष्य में बुद्धि, विवेक और कुलीनता तभी तक मन में रहती है,
जब तक कि वासना की आग की लपट उसमें नहीं आ जाती।
तात्पर्य यह कि काम-वासना के कारण मनुष्य पतित हो सकता है।
एक बादशाह के वजीर की स्त्री बहुत सुंदर थी। नाई ने बादशाह के कान भरे कि हुजूर, आपके हरम में एक भी बेगम खूबसूरती में वजीर की स्त्री की होड नहीं कर सकती। बादशाह ने कहा कि यह तो ठीक है, लेकिन वजीर को कैसे टाला जाए? नाई ने कहा कि वजीर को उम्दा घोडे खरीद कर लाने के लिए भेज दीजिए। बादशाह ने ऐसा ही किया और वजीर की अनुपस्थिति में उसे वजीर के महल जाने का मौका मिल गया। बादशाह ने रात को अपने महल में लेकर वजीर के महल तक कनात तनवाई और उसकी आड में वजीर के महल में पहुंच गया। वजीर की स्त्री की यह आदत थी कि जब वजीर घर पर नहीं होता था तो वह सोते वक्त चने की दाल मुंह मेें भरकर सोती, जिससे उसके मुंह से बडी बदबू निकलती। बादशाह ने कमरे में प्रवेश किया तो देखा कि वजीर की स्त्री वास्तव में बहुत ही सुंदर है, लेकिन जब वह उसके नजदीक पहुंचा तो बदबू से उसका दम घूटने लगा। उसने सोचा कि अत्यंत सुंदर होने पर भी इस स्त्री में यह बडा ऐब हैं। वह उलटे पैरों वहां से भागा, लेकिन जल्दी में उसके पैर का जूता वहीं रह गया। वजीर की स्त्री सवेरे उठी तो उसने जूता नहीं देखा, लेकिन तीन दिन बाद वजीर आया तो उसका ध्यान उसका ध्यान जूते की ओर गया। वह समझ गया कि यह जूता बादशाह का है और मेरे पीछे से वह अवश्य मेरी स्त्री के पास आया है। उसने अपनी स्त्री से जूते के बारे में पूछा, बहुत कुछ पूछा, लेकिन वह बिलकुल इंकार करती रही। तब वजीर ने यह नियम बना लिया कि वह सवेरे उठते ही सात कोडे अपनी स्त्री के पीठ पर लगा देता। महीने भर तक वह ऐसा ही करता रहा, लेकिन वजीर की स्त्री इंकार ही करती रही। अंत में खीज कर वजीर ने अपनी स्त्री को घर से निकाल दिया। वह बेचारी अपने पीहर चली गई। अपने बाप के पूछने पर उसने सारी बात सच-सच बतला दी। उस का बाप भी किसी अन्य बादशाह के यहां वजीर था। वह अपने दामाद वाले बादशाह के दरबार में गया और अवसर पाकर उसने बादशाह से पूछा कि कोई आदमी सौ साल से एक खेत जोत रहा हो और उसे एक पल में छोडकर अलग हो जाए, तो उसका क्या किया जाए? इस पर बादशाह बोला कि यदि वास्तव में ऐसा कोई करता है तो यह बडी नालायकी है। इस पर बादशाह का वजीर बोला कि हुजूर, यदि खेत में सिंह हिल जाए तो बेचारा खेत वाला क्या करे? बादशाह सारी बात समझ गया और बोला कि खेत मैं एक तलैया थी और सिंह वहां पानी पीने गया अवश्य था, लेकिन पानी में ऐसी बदबू आ रही थी कि सिंह वहां से प्यासा ही लौट गया और फिर सिंह को ऐसी घृणा हो गई कि वह कभी खेत में जाने का नाम नहीं लेगा। तब वजीर बोला कि यदि वास्तव में यही बात है तो खेत वाला फिर खेत संभाल लेगा। बातों-बातों में सारी बात तय हो गई और वजीर की स्त्री फिर अपने घर आ गई।