रूपाळा गुणबायरा, रोहीडै रा फूल। कामण सेज न पाथरै, गुणां विहूणा गूल।।
रूपाळा गुणबायरा, रोहीडै रा फूल। कामण सेज न पाथरै, गुणां विहूणा गूल।।
MARWARI KAHAWATE
MARWARI PATHSHALA
10/27/20241 min read
रूपाळा गुणबायरा, रोहीडै रा फूल।
कामण सेज न पाथरै, गुणां विहूणा गूल।।
रोहीड़े के फूल (राज्य पुष्प) सुंदर तो बहुत होते हैं, लेकिन गुणहीन होते है। यही कारण है कि गुणों से रहित इन फूलों का कहीं कुछ खास उपयोग नहीं किया जाता। स्त्रियां उससे सेज भी नहीं सजाती। अतः गुण और उपयोगिता के बिना केवल सुंदरता ज्यादा दिन मोहक नहीं रहती।
प्राचीनकाल में मोर भी मुर्गियों की तरह शहर में ही रहा करता था। मन मोहक मोर को नाचना भी आता था, इस कारण सभी मनुष्य उसे चाहते थे। किंतु दिन प्रति दिन मनुष्यों की रूचि मोरों के प्रति कम होने लगी और वे मोरों की परवाह नहीं करने लगे। मुर्गियां हालांकि मोर जैसी सुंदर नहीं थी और न ही उन्हें नाचना आता था, फिर भी लोग उनको बहुत ही शौक से पालने लगे थे। एक दिन मोर ने एकांत देखकर मुर्गी से अपने मन की पीड़ा बतलाई कि बहन मुर्गी, मालूम नहीं मनुष्य अब मुझे यों खास नहीं चाहते? जबकि मैं तो पहले की ही तरह सुंदर हूं। मस्ती में आकर नाचता भी हूं। बच्चों-बूढों सभी का मन मोहता हूं। कभी किसी की निंदा चुगली नही करता। फिर भी मैं देख रहा हूं कि मेरे साथ इन दिन बहुत शुष्क व्यवहार हो रहा है। मुर्गी बड़े ध्यान से उसकी व्यथा कथा सुनती रही। फिर प्रेम-अपनापन से समझाने लगी भाई मोर, तुहारा कहना सही है कि तुम बहुत सुंदर मनमोहक हो और तुहारा नृत्य देखकर सभी का मन बाग-बाग हो जाता है। इतना कहने के बाद वह कुछ सोचकर फिर बोली कि यह भी अच्छी बात है कि तुम किसी की निंदा-चुगली नहीं करते। लेकिन नाराज मत होना भाई, तुमने पूछा है, इसलिए बता रही हूं कि केवल सुंदर दिखना कोई अनोखी बात नहीं है। किसी भी वस्तु या जीव का महत्व तब अधिक होता है, जब उसकी कोई उपयोगिता हो, उससे कुछ फायदा हो। अब तुम मुझे ही देख लो। न तो मैं कोई सुंदर-मनमोहिनी हूं और न ही मुझे कोई नाचना-वाचना आता है। लेकिन मैं अंडे देती हूं, जिन्हें लोग कई तरह से मुर्गा सुबह जल्दी ही बांग देकर लोगों को जगा देता है। ये ही खास गुण हैं कि अब मनुष्य मेरे महत्व को समझने लगे हंै। कुछ देर रूककर मुर्गी कहने लगी कि यदि मनुष्य तुहें नहीं चाहते तो ऐसी दशा में तुहें दुखी नही होना चाहिए। हरेक जीव को यह बात याद रखनी चाहिए कि सुंदरता से ज्यादा होती है गुणों की महत्वता। बेचारा मोर तो पहले से ही दुखी था, मुर्गी की बातें सुनकर तो वह और भी उदास और गुमसुम हो गया। वह वहां से चल पड़ा और गुमसुन हो गया। वह वहां से चल पड़ा और चलते-चलते सोचने लगा कि मैं कभी मुर्गी की तरह मनुष्यों के लिए फायदेमंद नहीं हो सकता। मैं सुंदर तो बहुत हूं, लेकिन केवल सुंदरता कोई मतलब नहीं रखती। इस तरह सोचता विचारता वह काफी देर तक इधर-उधर भटकता रहा। या करूं और या न करूं की उधेड़बुन में रहा। फिर उसने सोचा कि जब मैं मनुष्यों के लिए फायदेमंद ही नहीं तो फिर इनके साथ यहां रहना मेरे लिए व्यर्थ है। और वह चुपचाप जंगल की ओर चल पड़ा। तब से लेकर आज तक मोर जंगलों की शोभा बढ़ा रहा हैं।
जीवन में भी जो लोग केवल सुंदरता को ही देखकर कुछ अपनाते है वे ज्यादा देर खुश नहीं रह सकते।