Marwari Muhavare & Kahawate
मारवाड़ी मुहावारे
मारवाड़ी में कई मुहावरे हैं जो अनोखे अंदाज में गहरी बात कह देते हैं। यहाँ कुछ प्रसिद्ध मारवाड़ी मुहावरे और उनका अर्थ प्रस्तुत है:
मारवाड़ी कहावते
मारवाड़ी में कई कहावतें और मुहावरे हैं जो समाज की सोच, जीवन के अनुभवों और व्यावहारिक ज्ञान को सरल, मजेदार, और कभी-कभी तीखे अंदाज में प्रस्तुत करते हैं। यहाँ कुछ प्रमुख मारवाड़ी कहावतें और उनका अर्थ दिए जा रहे हैं:
• अक्ल बिना ऊँट उभाणा फिरै
– मूर्ख व्यक्ति साधन होते हुए भी उनका उपयोग नहीँ कर पाते।
• अभागियो टाबर त्यूंहार नै रूसै
– सुअवसर से भी लाभ न उठा पाना।
• अम्बर को तारो हाथ सै कोनी टूटे
– आकाश का तारा हाथ से नहीँ टूटता।
• अरडावता ऊँट लदै
– दीन पुकार पर भी ध्यान न देना।
• असो भगवान्यू भोलो कोनी जको भूखो भैँसा मेँ जाय
– कोई मूर्ख होगा जो प्रतिफल की इच्छा के बगैर कार्य करे।
• अग्रे–अग्रे ब्राह्मण नहीँ नाला गरजते
– ब्राह्मण सभी कामोँ मेँ आगे रहता है परन्तु खतरोँ के समय पीछे ही रहता है।
• अणदेखी न नै दोख, बीनै गति न मोख
– निर्दोष पर दोष लगाने वाले की कहीँ गति नहीँ होती।
• अम्बर राच्यो, मेह माच्यो
– आसमान का लाल होना वर्षा का सूचक है।
• अत पितवालो आदमी, सोए निद्रा घोर।
अण पढ़िया आतम कही, मेघ आवै अति घोर॥
– अधिक पित्त प्रकृति का व्यक्ति यदि दिन मेँ भी अधिक सोए तो यह भारी वर्षा का सूचक है।
• आँख मीँच्या अँधेरो होय
– ध्यान न देने पर अहसास का न होना।
• आँख गई संसार गयो, कान गयो हंकार गयो
– आँख फूटने पर संसार दिखाई नहीँ देता वैसे ही बहरा होने पर अहंकार समाप्त हो जाता है।
• आँखन, कान, मोती, करम, ढोल, बोल अर नार।
अ तो फूट्या ना भला, ढाल, ताल, तलवार॥
– ये सभी चीजेँ न ही टूटे-फूटे तो ही अच्छा है।
• आँख्या देखी परसराम कदे न झूँठी होय
– आँखोँ देखी घटना कभी झूँठी नहीँ होती।
• आँ तिलां मैँ तेल कोनी
– क्षमता का अभाव।
• आंधा मेँ काणोँ राव
– मूर्खोँ मेँ कम गुणी व्यक्ति का भी आदर होता है।
• आम खाणा क पेड़ गिणना
– मतलब से मतलब रखना।
• आ रै मेरा सम्पटपाट, मैँ तनै चाटूँ तू मनै चाट
– दो मूर्ख लोगोँ की बातचीत निरर्थक होती है।
• आप गुरुजी कातरा मारै, चेला नै परमोद सिखावै
– निठल्ले गुरुजी का शिष्योँ को उपदेश देना।
• आप कमाडा कामडा, दई न दीजे दोस
– व्यक्ति के किये गए कर्मोँ के लिए ईश्वर को दोष नहीँ देना चाहिए।
• आडा आया माँ का जाया
– कठिनाई मेँ सगे सम्बन्धी (भाई) सहायता करते हैँ।
• आडू चाल्या हाट, न ताखड़ी न बाट
– मूर्ख का कार्य अव्यवस्थित होना।
• आप मरयां बिना सुरग कठै
– काम स्वयं ही करना पड़ता है।
• आगे थारो पीछे म्हारो
– जैसा आप करेँगे वैसा ही हम।
• आज मरयो दिन दूसरो
– जो हुआ सो हुआ।
• आज हमां और काल थमां
– जो आज हम भुगत रहे हैँ, कल तुम भुगतोगे।
• आषाढ़ की पूनम, निरमल उगै चंद।
कोई सिँध कोई मालवे जायां कट सी फंद॥
– आषाढ़ की पूर्णिमा को चाँद के साथ बादल न होने पर अकाल की शंका व्यक्त की जाती है।
• आदै थाणी न्याय होय
– बुरे/बेईमान को फल मिलता है।
• आ छाय तो ढोलियां जोगी ही थी
– बेकार वस्तु के नुकसान का दुःख न होना।
• इब ताणी तो बेटी बाप कै ही है
– अभी कुछ नहीँ बिगड़ा।
• इसे परथावां का इसा ही गीत
– जैसा विवाह वैसे ही गीत।
• ई की मा तो ई नै ही जायो
– इसके बारे मेँ अनुमान नहीँ लगाया जा सकता।
• उत्तर पातर, मैँ मियाँ तू चाकर
– उऋण होने मेँ संतोष का द्योतक है।
• उठै का मुरदा उठै बलेगा, अठे का अठे
– एक स्थान की वस्तु दूसरे स्थान पर अनुपयोगी है।
• उल्टो पाणी चीलां चढ़ै
– अनहोनी की आशंका को व्यक्त करता है।
• ऊँखली मै सिर दे जिको धमका सै के डरै
– कठिन काम करने के लिए तैयार हो जाने पर विपत्तियोँ से कैसा डरना।
• एक घर तो डाकण ही टालै है
– निकृष्टतम व्यक्ति भी कहीँ न कहीँ शर्माता है।
• एक हाथ मैँ घोड़ो एक मैँ गधो है
– भलाई-बुराई का साथ-साथ रहना।
• ऐँ बाई नै घर घणा
– योग्य व्यक्ति हर जगह आदर पाता है।
• ओसर चूक्यां नै मौसर नहीँ मिलै
– चूक होने पर अवसर नहीँ मिलता।
• ओछा की प्रीत कटारी को मरबो
– ओछा अर्थात् निकृष्ट का साथ तथा कटारी से मरना दोनोँ ही एक समान हैँ।
• ओ ही काल को पड़बो, ओ ही बाप को मरबो
– कठिनाईयाँ एक साथ आती हैँ।
• और सब सांग आ ज्यायं, बोरै वालो सांग कोन्या आवै
– निर्धन बोहरे (धनी) का स्वांग नहीँ भर सकता।
• कंगाल छैल गाँव नै भारी
– गरीब शौकीन व्यक्ति गाँव पर भारी पड़ता है।
• कमेड़ी बाज नै कोनी जीतै
– कमजोर बलवान से नहीँ जीत सकता।
• कनकड़ा दोन्यू दीन बिगाड़्यो
– निकृष्ट साधु दोनोँ ही धर्महीन हो जाते हैँ।
• कदे न घोड़ा ही सिया, कदे न खीँच्या तंग।
कदे न रांड्या रण चढ्या, कदे न बाजी जंग॥
– कायर पुरुष कभी भी साहसपूर्ण कार्य नहीँ कर सकता।
• कलह कलासै पैँडे को पाणी नासै
– घर मेँ क्लेश होने पर परीँडे का पानी भी नष्ट हो जाता है।
• कबूतर नै कुवो ही दीखै
– प्रत्येक व्यक्ति को स्वार्थपरक लक्ष्य ही दिखाई देता है।
• कमाऊ आवै डरतो, निखटू आवै लड़तो
– कमाने वाला डरता हुआ तथा निकम्मा व्यक्ति लड़ता हुआ आता है।
• कांदे वाला छिलका है, ऊंची दे जितणी ही बास आवै
– बुराई को जितने पास से देखोगे उतनी ही अधिक बुराई दिखाई देगी।
• काटर कै हेज घणोँ
– दूध न देने वाली गाय बछड़े से प्रेम प्रदर्शित करती है।
• काला कनै बैठ्यां काला लागै
– दुर्जन के संग से कलंक लगता ही है।
• काम की माँ उरैसी, पूत की माँ परैसी
– कर्मठ व्यक्ति सभी को अच्छा लगता है, अकर्मण्य किसी को अच्छा नहीँ लगता।
• कागलां कै काछड़ा होता तो उड़ता कोन्या दीखता?
– मनुष्य के गुण स्पष्ट दिखाई देते हैँ।
• काणती भेड़ को न्यारो ही र्याड़ो/गवाड़ो
– निकृष्ट व्यक्तियोँ को जब विशिष्ट लोगोँ मेँ स्थान नहीँ मिलता तो वे अपना संगठन अलग ही बना लेते हैँ।
• कुंदन जड़े न जड़ाव, जमे सलामत कीट।
कहे जडिया सुण ले जगत, उड़े मेह की रीठ॥
– यदि नगीने जड़ते समय कुंदा न लगे तथा सलाइयोँ पर कीट जमने लगे तो वर्षा की सम्भावना होगी।
• कुए मैँ पड़कर सूको कोई भी निकलै ना
– जैसा कार्य वैसा फल।
• खर, घूघू, मूरख नरा सदा सुखी प्रिथिराज
– गधा, उल्लू तथा मूर्ख मनुष्य सदा सुखी रहते हैँ क्योँकि ये चिन्ता नहीँ करते।
• खावै तो डाकण, ना खावै तो डाकण
– बद से बदनाम बुरा होता है।
• खावै पुणू–जीवै दुणू
– कम खाने वाला अधिक जीता है
– खिजूर खाय सौ झाड़ पर चढ़ै
– खतरा वही उठाता है जिसे लाभ की आशा होती है।
• खेती धणिया/कसम सेती
– मालिक की देखरेख से ही खेती (कार्य) अच्छी होती/ता है।
• खैरात बंटै जठै मंगता आपे ही पूंच ज्यावै
– जहाँ खैरात बँट रही हो, भिखारी पहुँच ही जाते हैँ।
• खोयो ऊँट घड़ा मैँ ढूँढै
– अत्यधिक ठगे जाने पर असम्भव भी सम्भव लगता है।
• गंगा तूतिये मैँ कोनी नावड़ै
– गंगा नदी छोटे पात्र मेँ नहीँ आ सकती।
• गई बहू गयो काम, आई बहू आयो काम
– किसी के भरोसे काम नहीँ रुक सकता।
• गणगौर्याँ नै ही घोड़ा नै दौड़े तो कद दौड़े
– मौके को चूकना।
• गाडा नै देखकै पाडा का पग सूजगा
– संकट के समय डर जाना।
• गिरगिट रंग-बिरंग हो, मक्खी चटके देह।
मकड़ियां चह-चह करे, जब अठ जोर मेह॥
– गिरगिट बार-बार रंग बदलता हो, मक्खी शरीर पर चिपके तथा मकड़ी आवाज करे तो वर्षा होने का अनुमान लगाया जाता है।
• गुड़ देता मरै बिनै झैर क्यूं देणूं
– यदि मीठे वचन से काम निकलता हो तो कठोर वचन क्योँ बोला जाये।
• गुण गैल पूजा
– गुणवान की प्रतिष्ठा।
• गेरदी लोई तो के करैगो कोई
– निर्लज्ज होने पर कोई कुछ नहीँ कर सकता।
• गैली रांड का गैला पूत
– पागल स्त्री की पागल सन्तान।
• गैली सारां पैली
– अकर्मण्य हर जगह टांग अड़ाता है।
• गोद लडायो गीगलो, चढ्यो कचेड्या जाट।
पीर लड़ आई पदमणी, तीन्यू ही बारा बाट॥
– अधिक प्यार मेँ पला हुआ लड़का, कचहरियोँ मेँ मुकदमेबाजी मेँ उलझा रहने वाला जाट तथा लड़कर पीहर गई स्त्री, ये तीनोँ बर्बाद हो जाते हैँ।
• गोलो र मूंज पराये बल आंवसै
– जिस प्रकार मूँज पानी का बल पाकर ऐँठती है उसी प्रकार दास अपने स्वामी के बल पर अकड़ता है।
• घण जाया घण ओलमा, घण जाये घण हाण
– अधिक सन्तान होने से अधिक उपालम्भ मिलते हैँ तथा गालियां भी सुननी पड़ती हैँ।
• घण जायां घण नास
– अधिक सन्तान कुटुम्ब की एकता का नाश कर देती हैँ।
• घण मीठा मैँ कीड़ा पड़ै
– अत्यधिक प्रेम से खरास पड़ती है।
• घणूं बल करया घूंडो पड़ै
– खीँचातान से वैमनस्य बढ़ता है।
• घर-घर माटी का चूल्हा
– सभी की एक सी स्थिति।
• घर मैँ कोन्या तेल न ताई, रांड मरै गुलगुला तांई
– घर मेँ तेल भी नहीँ है तथा रांड गुलगुले खाने के लिए लालायित है।
• घर तो नागर बेल पड़ी, पड़ौसन को खोसै फूस
– व्यक्ति के पास सब कुछ होते हुए भी वह दूसरे के माल पर नजर रखता है।
• घणी सूधी छिपकली चुग-चुग जिनावर खाय
– अधिक सीधा या चतुर व्यक्ति कभी–कभी अधिक खतरनाक होता है।
• घूंघटा सै सती नहीँ, मुंडाया जती नहीँ
– स्त्री घूंघट निकालने से सती नहीँ होती तथा पुरुष सिर मुंडा लेने मात्र से संन्यासी नहीँ हो जाता।
• घोड़ो तो ठाण बिकै
– गुणी की कीमत उसके स्थान पर ही होती है।
• चांदी देख्या चेतना, मुख देख्या त्यौहार
– चाँदी के सामने होने पर चेतना तथा व्यक्ति के आमने–सामने होने पर व्यवहार किया जाता है।
• चाए जिता पालो, पाँख उगता ईँ उड़ ज्यासी
– पक्षी के बच्चे को कितने ही लाड़–प्यार से रखो, वह पंख लगते ही उड़ जाता है।
• चाकरी सै सूं आकरी
– नौकरी सबसे कठिन है।
• चालणी मैँ दूध दुवै, करमां नै दोस देवै
– खुद मेँ अच्छे लक्षण नहीँ होने पर व्यर्थ ही भाग्य को कोसना।
• चावलां को खाणो, फलसै ताईँ जाणो
– चावल खाने वाले मेँ शक्ति नहीँ होती, वह केवल दरवाजे तक जा सकता है।
• चिड़ी जो न्हावै धूल मैँ, हा आवण हार।
जल मैँ न्हावै चिड़कली, मेह विदातिण बार॥
– चिड़िया के धूल मेँ नहाने पर वर्षा की सम्भावना होती है तथा पानी मेँ नहाने पर वर्षा काल समाप्ति की सम्भावना होती है।
• चिड़ा-चिड़ी की के लड़ाई, चाल चिड़ा मैँ आई
– चिड़िया व चिड़े की कैसी लड़ाई अर्थात् पति-पत्नी के बीच का मनमुटाव क्षणिक होता है।
• चीकणी चोटी का सै लगवाल
– धनवान से कुछ प्राप्त करने की सभी की इच्छा होती है।
• चीकणै घड़े पर बूँद न लागै, जे लागै तो चीठौ
– चिकने घड़े पर पानी नहीँ ठहरता पर मैल जम जाता है।
• चून को लोभी बातां सूं कद मानै
– आटे का लोभी बातोँ से कैसे मान सकता है।
• चोखो करगो, नाम धरगो
– अच्छा करने वाले की ख्याति रहती है।
• च्यार दिनां री चानणी, फेर अँधेरी रात
– सुख का समय कम रहता है।
• छाज तो बोलै से बोलै पण चालणी भी बोलै जिकै ठोतरसो बेज
– निर्दोष दूसरोँ को सीख देने का अधिकार रखता है पर दोषी किसी को क्या सीख देगा?
• छोटी–छोटी कामणी सगळी विष की बेल
– कामिनियाँ जहर की बेल के समान हैँ।
• जबान मैँ रस, जबान मैँ विष
– बोली मेँ ही रस होता है तथा बोली मेँ ही जहर भी घुला रहता है अर्थात् बोली ही महत्त्वपूर्ण है।
• जल को डूब्यो तिर कै निकलै, तिरिया डूब्यो बह जाय
– पानी मेँ डूबा हुआ तैर कर बाहर आ सकता है परन्तु पर स्त्री आसक्त अवश्य डूबता है।
• जावो कलकत्तै सूं आगै, करम छाँवली सागै
– भाग्य व्यक्ति के साथ रहता है।
• जीँ की खाई बाजरी, ऊं की भरी हाजरी
– व्यक्ति जिसका दिया खाता है उसी की खुशामद भी करनी पड़ती है।
• जीवडल्यां घर उजड़ै, जीवडल्यां घर होय
– बुरी वाणी से घर उजड़ जाते हैँ तथा अच्छी वाणी से घर बस जाते हैँ।
• जीवती माखी कोन्या गिटी जावै
– जानते हुए बुरा काम नहीँ किया जा सकता।
• जुग देख र जीणूं है
– समय के अनुसार कार्य करना चाहिए।
• जुग फाट्याँ स्यार मरै
– संगठन टूटने से हानि है।
• जेठ बदी दशमी, जे शनिवार होय।
कण ई होय न धरण मैँ, बिरला जीवै कोय॥
– जेठ कृष्णा दशमी शनिवार को पड़ने पर वर्षा नहीँ होती।
• जेठा बेटा अर जेठा बाजरा राम दे तो पावै
– ज्येष्ठ पुत्र तथा ज्येष्ठ माह मेँ बढ़ा हुआ बाजर भाग्य से ही प्राप्त होते हैँ।
• जेर सैँ ई सेर हुया करै है
– बच्चोँ की उपेक्षा न करेँ क्योँकि वे भविष्य मेँ बलवान हो जाते हैँ।
• झूठ की डागलां ताईँ दौड़
– झूठ अधिक दिन नहीँ चलती।
• टकै की हांडी फूटी, गंडक की जात पिछाणी
– थोड़े से नुकसान से नीच की पहचान होना।
• टूटी की बूटी कोनी
– वृद्धावस्था मेँ जब आयु शेष नहीँ रहती तो दवा भी काम नहीँ करती है।
• टोलै मिलकी कांवली, आय थला बैठत।
दिन चौथे के पाँचवैँ, जल थल एक करंत॥
– जब बड़ी संख्या मेँ चीलेँ एक स्थान पर इकट्ठी हो जायेँ तो वर्षा की सम्भावना होती है।
• ठंडो लौह तातै नै काटै
– धैर्यशील व्यक्ति, दूसरे के गुस्से को शांत कर देता है।
• ठाडै कै धन को बोजो–बोजो रुखाळो है
– शक्तिशाली का धन कोई नहीँ रख सकता।
• ठोकर खार हुंस्यार होय
– मनुष्य को ठोकर लगकर ही अक्ल आती है।
• डर तो घणै खाय को है
– डर तो अधिक खाने का है।
• डांगर के हेज घणूं, नापैरी के तेज घणूं
– दूध न देने वाली गाय बछड़े से अधिक प्रेम करती है, पीहर न होने पर स्त्री अधिक झल्लाती है।
• डूंगरा नै छाया कोनी होय
– महापुरुष अपनी मदद स्वयं करते हैँ, यह जनसाधारण के बस की बात नहीँ है।
• ढांढा मारण, खेत सुकावण, तू क्यूं चाली आधै सावण
– आधे सावन के बीत जाने पर मनोरम हवा पशुओँ तथा कृषि के लिए हानिप्रद होती है।
• ढोल दमामा दुडबड़ी, बैठे सादर बाज।
कहे डोम दिन तीन मेँ, इन्द्र करे आवाज॥
– यदि चमड़े से मढ़े ढोल नगाड़े आवाज न करेँ तो शीघ्र वर्षा आने की सम्भावना होती है।
• तंगी मैँ कुण संगी
– कमी मेँ किसी का सहार नहीँ मिलता।
• तवै की काची नै, सासरै की भाजी नै कठैई ठौड कोनी
– कच्ची रोटी तथा ससुराल को छोड़कर जाने वाली स्त्री का कोई ठौर–ठिकाना नहीँ रहता है।
• ताता पाणी सै कसी बाड़ बळै
– मात्र क्रोध मेँ किसी को कुछ कहने से उसका कुछ भी नहीँ बिगड़ता है।
• तारा तग-तग करैँ, अम्बर नीला हुन्त।
पड़ै पटल पाणी तणी, जद संज्या फुलन्त॥
– नीले आसमान मेँ तारे टिमटिमाएं तथा सांझ फूले तो वर्षा आने की प्रबल सम्भावना हो जाती है।
• ताली लाग्यां तालो खुलै
– युक्ति से ही कार्य होता है।
• तीतर पंखी बादली, विधवा काली रेख।
या बरसै या वध करै, इसमेँ मीन न मेख॥
– तीतर जैसी आकृति के छोटे–छोटे बादल छाने पर निश्चित रूप से वर्षा होती है।
• तेल तो तिलां सै ही निकलसी
– तेल तिलोँ से ही निकलता है।
• थावर कीजे थरपना बुध कीजै व्योहार
– शनिवार को स्थापना तथा व्यवहार बुधवार को शुरु किया जाना अच्छा होता है।
• थोथो चणो बाजै घणो
– अवगुणी अधिक बढ़–चढ़कर बातेँ करते हैँ।
• थोथो शंख पराई फूँक सै बाजै
– जिस व्यक्ति मेँ स्वयं मेँ कोई गुण नहीँ होता वह दूसरोँ की सलाह से ही कार्य करता है।
• दलाल कै दिवालो नहीँ, महजित कै तालो नहीँ
– दलाल को घाटा नहीँ है, मस्जिद मेँ कोई समान न होने पर ताला लगाने की आवश्यकता नहीँ।
• दूसरां को माल तूंतड़ा की धड़ मैँ जाय
– दूसरोँ का धन लापरवाही से खर्च करना।
• देख खुरड़ कहे ढेढ की, कथा टूटे नेह।
लेई चढ़ै न चामड़ै, मुकता बरसै मेह॥
– जूता बनाते समय चमड़े पर लेई का चढ़ना वर्षा आने का सूचक होता है।
• देखते नैणां चालते गोडां
– देखने व चलने की शक्ति रहते हुए ही मृत्यु हो जाये तो अच्छा।
• दोन्यू हाथ मिलायां ई धुपै
– दोनोँ पक्षोँ के मिलने पर ही बात बनती है।
• धरम को धरम, करम को करम
– स्वार्थ व परमार्थ दोनोँ का साथ–साथ पूरा होना।
• धायो मीर, भूखो फकीर, मरयां पाछै पीर
– मुसलमान तृप्त हो तो अमीर, भूखा हो तो फकीर तथा मरने के बाद पीर कहलाता है।
• धीणोड़ी सागै हीणोड़ी मर ज्याय
– दुधारी गाय के होने पर बिना दूध वाली गाय को कोई नहीँ पूछता।
• धोबी की हांते, गधो खाय
– नीच का धन नीच खाता है।
• नंदी कनलौ जांट, कद होण बिनास
– नदी किनारे लगा वृक्ष कभी भी नष्ट हो सकता है।
• न कोई की राई मैँ, न दुहाई मैँ
– अपने काम से काम रखना।
• नकटा देव, सूरड़ा पुजारा
– जैसे देवता वैसे पुजारी।
• नकटी देवी, ऊत पुजारी
– जैसा राजा वैसी जनता।
• नगारा मैँ तूती की आवाज कुण/कोन्या सुणै
– बड़े लोगोँ मेँ छोटोँ की उपेक्षा।
• नर नानेरै, घोड़ो दादेरै
– स्वभाव तथा बनावट मेँ पुरुष ननिहाल पर जाता है जबकि घोड़ा पितृकुल पर।
• नांव राखै गीतड़ा कै भीँतड़ा
– काव्य निर्माण से या घर निर्माण से व्यक्ति का यश चिरस्थाई रहता है।
• नाजुरतिये की लुगाई, जगत की भोजाई
– कमजोर व्यक्ति की वस्तु पर सबका अधिकार।
• नारनौल की आग पटीकड़ै दाजै
– बुरे कर्म कोई करता है, फल किसी को मिलता है।
• नानी कसम करै, दोयती नै डंड
– नानी के दूसरा पति कर लेने पर उसकी दोहिती तक को सामाजिक दंड मिलता है।
• निकली होठां, चढ़ी होठां
– होठोँ से बाहर आते ही बात का फैलना।
• नीत गैल बरकत है
– जैसी नियत होती है वैसा ही प्राप्त होता है।
• न्यारा घरां का न्यारा बारणां
– सब घरोँ की अलग–अलग रीति।
• नेम निभाणा, धर्म ठिकाणा
– नियम–धर्म संयमी के पास ही रहते हैँ।
• पड़–पड़ कई सवार होय है
– मनुष्य गलतियोँ से सीखता है।
• पर नारी पैनी छुरी, तीन ओड सै खाय।
धन छीजे, जोबन हडै, पत पंचा मैँ जाय॥
– पर स्त्री ऐसी तेज छुरी के समान होती है जो तीन प्रकार की हानि करती है— इससे धन क्षीण होता है, यौवन का नाश हो जाता है तथा लोक मेँ बदनामी होती है।
• पपैया पीऊ–पीऊ करेँ, मोरा घणी अजग्म।
छत्र करै मोरिया सिरे, नदिया बहे अथग्म॥
– मोर के नाचने पर तथा पपीहे के पीहू–पीहू करने पर भारी वर्षा सम्भावित रहती है।
• पवन गिरि छूटे पुरवाई।
धर गिर छोबा, इन्द्र धपाई॥
– पूरब से हवा चलने पर वर्षा धरती व पर्वत तक को तृप्त करेगी।
• पाँच आंगलियां पूंच्यौँ भारी
– एकता मेँ शक्ति है।
• पांचू आंगली एक–सी कोनी होवैँ
– सब एक समान नहीँ होते।
• पाँव उभाणा जायसी, कोडीयज कंगाल
– मरते समय सब नंगे ही जायेँगे।
• पाप को घड़ो भर कै फूटै
– अत्यधिक पाप बढ़ जाने पर पापी का विनाश हो ही जाता है।
• पीरकां की आस करै जकी भाईड़ां नै रोवै
– जिससे या जिस स्थान से कुछ न मिले वहाँ से कोई भी आशा रखना व्यर्थ है।
• पीसो गाँठ को, हथियार हाथ को
– गाँठ यानि पास रखा धन तथा हाथ मेँ उठाया हथियार ही काम मेँ आता है।
• पुल का बाया मोती निपजै
– अवसर पर किया गया कार्य ही फल देता है।
• पूत का पग पालणै ही दिख्यावै
– बालक का भविष्य बचपन मेँ ही दिखाई देने लगता है।
• पैली पडवा गाजै, दिन बहत्तर बाजै
– आषाढ़ की प्रतिपदा को बादल गरजने पर हवा तो चलेगी पर बरसात नहीँ होगी।
• फन पड़े तो यूं कहे, सुण तरुवर बनराय।
इबका बिछड्या कब मिलां, दूर पडांगा जाय॥
– पत्ता पेड़ से कहता है कि तरुवर अब मैँ टूट गया हूँ पता नहीँ फिर कब मिलूँगा।
• फाड़णियाँ नै सीमणियाँ कोनी नावड़ै
– अत्यधिक व्यय करने पर कितनी भी कमाई हो, वह कम ही रहती है।
• बड़ा–बड़ा गाँव जाऊँ, बड़ा–बड़ा लाडू खाऊँ
– स्वप्न मेँ ही धनी बनने की सोचना अथवा हवाई किले बनाना।
• बड़ै लोगां कै कान होय है, आँख नहीँ
– बड़े लोग सुनी–सुनाई बात पर ही विश्वास कर लेते हैँ, स्वयं जाँच–परख नहीँ कराते।
• बजनस पवन सुरिया बाजै।
घड़ी पलक मांही मेह गाजै॥
– उत्तर–पश्चिम से हवा चलने पर शीघ्र वर्षा होगी।
• बाड़ कै सहारै दूब बधै
– कमजोर व्यक्ति भी आश्रय पाकर बढ़ता है।
• बादल रहे रात को बासी, तो जाणो चोकस मेह आसी
– पहले वाली रात के बादल सुबह तक छाये रहेँ तो वर्षा निश्चित रूप से होती है।
• बालक देखै हीयो, बूढ़ो देखै किणै
– बालक प्रेमभाव को पहचानता है जबकि वृद्ध केवल काम की बात को देखता है।
• बावै सो लूणै
– जैसा कर्म वैसा फल।
• बिगड़ी घिरत बिलोवणो, नारी होय उदास।
असवारी मेँह की, रहे छास की छास॥
– दही बिलौने पर घी बिखर–बिखर जाये तो समझो जोर की वर्षा होगी।
• भाठै सूं भाठो भिड्याँ बिजली चमकै
– दो दुष्टोँ की लड़ाई मेँ नाश हो जाता है।
• मतलब की मनुहार, जगत जिमावै चूरमा
– स्वार्थ हेतु दूसरोँ की खुशामद करना।
• मन कै पाज कोनी
– मन चंचल है, उसकी मर्यादा नहीँ होती।
• मांटी की भीँत डिगती बार कोनी लगावै
– मिट्टी की दीवार गिरने मेँ समय नहीँ लगता।
• मां मरी आधी रात, बाप मर्यो परभात
– बार–बार विपत्तियाँ आना।
• माया अंट की, विद्या कंठ की
– जो पैसा अपने पास हो तथा जो ज्ञान कंठस्थ हो वही काम आता है।
• मारणूं ऊंदरो, खोदणूं डूंगर
– छोटे कार्य के लिए बड़ा कष्ट उठाना।
• माल सैँ चाल आवै
– धन आने पर अक्ल पैदा हो जाती है।
• मींडका नै तिरणूं कुण सिखावै
– मेँढक को तैरना कौन सिखाता है अर्थात् यह तो उसका स्वाभाविक गुण है।
• यारी को घर दूर है
– दोस्ती निभाना कठिन है।
• राख पत, रखाय पत
– दूसरोँ का सम्मान करने पर वे भी सम्मान करते हैँ।
• रात च्यानणी, बात आँख्या देखी मानणी
– चांदनी रात ही अच्छी होती है तथा आँखोँ देखी बात पर ही विश्वास करना चाहिए।
• रूप की रोवै, करम की खाय
– रूपवती स्त्री भी दुःखी रहती है परन्तु कर्मशील कुरूप स्त्री भी भूखी नहीँ रहती।
• रोयां राबड़ी कुण घालै
– परिश्रम से सब कुछ प्राप्त होता है, केवल रोने से कुछ नहीँ होता।
• लोहा, लकड़ा, चामड़ा, पहला किसा बखाण।
बहु, बछेरा, डीकरा, नीमटियो पछाण॥
– लोहे का, लकड़ी तथा चमड़े का पहले से पता लगाना मुश्किल है। बहू, लड़का तथा घोड़े के बच्चोँ के गुणोँ का पता वयस्क होने पर ही चलता है।
• वात, पित युक्त देह ज्यांक, होय रहे धाम–धूम।
अण भणियां आलम कथी कहे मेहा अतिघोर॥
– वातयुक्त व्यक्ति को यदि गर्मी से सिर दर्द करे तो वर्षा की सम्भावना होती है।
• शुक्रवार की बादली, रही शनिचर छाय।
डंक कहे है, भडली बरस्यां बिना न जाय॥
– शुक्रवार को आकाश पर बने बादल यदि शनिवार तक रहेँ तो वर्षा अवश्य होती है।
• संवारता बार लागै, बिगाड़तां कोनी लागै
– काम बनाने मेँ समय लगता है बिगाड़ने मेँ नहीँ।
• संवारै रो गाजियो ऐलौ नहीँ जाय
– सुबह मेघ–गर्जन निश्चित रूप से वर्षा का संकेत है।
• सगलै गुण की बूज है
– गुणी का हर जगह सम्मान होता है।
• सदा न जुग जीवणा, सदा न काला केस
– संसार मेँ हमेशा कोई नहीँ रहता, इसी प्रकार यौवन भी साथ छोड़ देता है।
• सांप, गोयरा, डेडरा, कीड़ी–मकोड़ी जाण।
दर छोड़ै बाहर भागे, नहीँ मेह की हाण॥
– यदि मेँढक, चीँटी, साँप आदि अपने–अपने स्थान पर जाने लगेँ तो भारी वर्षा की सम्भावना होती है।
• साँच कही थी मावडी, झूठ कह था लोग।
खारी लागी मावडी, मीठा लाग्या लोग॥
– माता का सच भी झूठ नजर आया जबकि लोग ही झूठ बोल रहे थे, क्योँकि लोग मधुर बोल रहे थे तथा माता कटु बोल रही थी।
• सांप कै मांवसियां की के साख
– दुष्ट का क्या भरोसा?
• सिर चढ़ाई गादड़ी गाँव ई फूंकै लागी
– निकृष्ट को मुँह लगाने पर हानिकारक हो जाता है।
• सूरज कुंड और चन्द्र जलेरी।
टूट्या टीबा भरगी डेरी॥
– चन्द्रमा के चारोँ ओर जलेरी तथा सूरज के चारोँ ओर कुण्ड होने पर भारी वर्षा की सम्भावना होती है।
• सोनै कै काट कोन्या लागै
– सज्जन पुरुषोँ पर कलंक नहीँ लगाया जा सकता।
• हतकार की रोटी चौवटे ढकार
– मुफ्त मेँ उपभोग करना तथा अहंकार का प्रदर्शन करना।
• हर बड़ा क हिरणा बड़ा, सगुणा बड़ा क श्याम।
अरजन रथ नै हांक दे, भली करै भगवान॥
– यह माना जाता है कि हरिण जब बाँयी ओर आ जाये तो अपशकुन होता है। हरिणोँ के बाँयी ओर आने पर अर्जुन ने रथ रोक दिया परन्तु किसी ने कहा कि भगवान साथ होने पर कुछ भी अपशकुन नहीँ होता है।
• हांसी मैँ खांसी हो ज्याय
– हँसी-मजाक मेँ लड़ाई हो जाती है।
• हाकिमी गरमाई की, दुकनदारी नरमाई की
– अफसर को कड़क तथा दुकानदार को विनम्र रहना चाहिए।
• होत की भाण, अणहोत को भाई
– बहिन धनी को भाई बनाती है जबकि भाई विपत्ति मेँ भी साथ देता है।
अन्य कहावतें
• अंधाधुंध की साहबी, घटाटोप को राज।
• अंबर कै थेगलीं कोनी लागै।
• अक्कल उधारी कोनी मिलै।
• अक्कल कोई कै बाप की कोनी।
• अक्कल बड़ी के भैंस।
• अक्कल बिना ऊँट उभाणा फिरै।
• अक्कल में खुदा पिछाणो।
• अक्खा रोहण बायरी, राखी सरबन न होय।
• अगस्त ऊगा, मेह पूगा।
• अग्गमबुद्धि बाणियो, पिच्छमबुद्धि जाट।
• अग्रे अग्रे ब्राह्मणा, नदी नाला बरजन्ते।
• अजमेर को घालणिया नै चेरासाई त्यार है।
• अटक्यो बोरो उधार दे।
• अठे किसा काचर खाय है?
• अठे गुड़ गीलो कोनी अथवा इसो गुड़ गीलो कोनी।
• अठे चाय जैंकी उठे बी चाय।
• अठे ही रेवड़ को रिवाड़ो, अठे ही भेड्या री घुरी।
• अणी चूकी धार मारी।
• अणदोखी ने दोख, बीनै गति न मोख।
• अणमांग्या मोती मिलै, मांगी मिलै न भीख।
• अणमिले का सै जती हैं।
• अणसमझ को कुछ नहीं, समझदार की मौत।
• अदपढ़ी विद्या धुवै चिंत्या धुवे सरीर।
• अनहोणी होणी नहीं, होणी होय सो होय।
• अनिर्यूं नाचै, अनिर्यूं कूदै, अनिर्यूं तोड़ै तान।
• अब तो बीरा तन्नै कैगो जिकोई मन्ने कैगो।
• अबे तबे का एक रूपैया, अठे कठे का आना बार।
• अभागियो टाबर त्युंहार नै रूसै।
• अमरो तो मैं मरतो देख्यो, भाजत देख्यो सूरो।
• अम्मर को तारो हाथ सै कोनी टूटै।
• अमर पीलो में सीलो।
• अय्यां ही रांड रोला करसी र अय्यां ही पावणां जीमबो करसी।
• अरजन जसा ही फरजन।
• अरडावतां ऊंट लदै।
• अल्ला अल्ला खैर सल्ला।
• असलेखा बूठां, बैदां घरे बधावणा।
• असवार को को थी ना पण ठाडां कर दी।
• असाई म्हे असाई म्हारा सगा, असी रातां का अस्स ही तड़का।
• असो भगवान्यू भोलो कोनी जको भूखो भैसां में जाय।
• अस्सी बरस पूरा हुया तो बी मन फेरां में रह्या।
• अहारे ब्योहारे लज्जा न कारे।
• आँख कान को च्यार आंगल को फरक है।
• आँख गई संसार गयो, कान गयां हंकार गयो।
• आँख फड़के दहणी, लात घमूका सहणी।
• आँख फड़ूकै बांई, के बीर मिले के सांई।
• आँख फुड़ाई मूंड मुंडायो, घर को फेर्यो द्वार।
• आँख मीच्यां अंधेरो होय।
• आँख्यां देखी परसराम, कदे न झूठी होय।
• आँख्यां में गीड पड़ै, नांव मिरगानैणी।
• आँख्यां सै आँधो, नांव नैणसुख।
• आंगल्यां सूं नूं परै कोनी हुवै।
• आंट में आयोड़ो लो टूटै।
• आंटै आई मैरे बिलाई।
• आं तिला में तेल कोनी।
• आंधा आगे ढोल बाजै, आ डमडमी क्यां की?
• आंधा भागे रोवै, अपना दीदा खोवै।
• आंधा की गफ्फी, बहरा को बटको।
• अंधा की माखी राम उड़ावै।
• आंधा नै तो लाठी चाये।
• आंधा पीसै कुत्ता खाय।
• आंधा में काणो राव।
• आंधा सुसरा में क्यांकी लाज?
• आंधी आई ही कोनी, सूसंटा पैली ही माचगो।
• आंधी भैँस बरूं में चरै।
• आंधी मा पूत को माथो नोज देखै।
• आंधै कै भांवै किंवाड़ ई पापड़।
• आंधों के जाणै सावण की भार।
• आंधो बांटै सीरणी, घरकां नै ही दे।
• आई रुत खेती, क्यूं करै पछैती।
• आई ही छाय नै, घर की धिराणी बण बैठी।
• आए लाडी आरो घालां, कह पूंछ ई आरै में तुड़ाई है।
• आक़ को कीड़ो आक में, ढाक को कीड़ो ढाक में।
• आक में ईख, फोग में जीरो।
• आक सींचै पण पीपल कोनी सींचै।
• आकास में बिजली चिमकै, गधेड़ो लात बावै।
• आकाश में थूकै जणा आपके ई मूं पर पड़ै।
• आखर रामजी कै घर न्याव है।
• आगली दाल नै ई पाणी कोनी।
• आगलै सै पाछलो भलो।
• आगै आग न गैल्यां पाणी।
• आगै आग न पीछै भींटकी
• आगै मांडै पाछै दे, घट्या बध्या कागद सैं ले।
• आगो थारो, पीछो म्हारो।
• आ छाय तो ढोलबा जोगी ही थी।
• आज मरां काल मरां, मर्या मर्या फिरां।
• आज मर्यो दिन दूसरो जो गया सो गया।
• आज मरै जकै ने काल कद आवै।
• आज हमां अर काल थमां।
• आज ही मोडियो मूंड मूंडायो आज ही ओला पड्या।
• आटो कांटो घी घड़ो, खुल्लै केसां नार।
• आठ पूरबिया नो चूल्हा।
• आडा आया, मा का जाया।
• आडू कै तो खाय मरै, कै उठा मरै।
• आडू चाल्या, हाट, न ताखड़ी न बाट।
• आडै दिन सै बास्योड़ो ही चोखो।
• आँण गाँव को बींद र गांव को छोरा।
• आत्मा सो परमात्मा।
• आथणवचाई को मेह अर पावणूं आयो रहै।
• आदम्यां की माया, बिरखां की छाया।
• आदरा बाजै बाये, झूंपड़ी झोला खाय।
• आदरा भरै खाबड़ा, पुनबसु भरै तलाव।
• आदै पाणी न्याव होय।
• आधाक सोवै, आधाक जागे, जद बातां का रंग दोराई लागै।
• आधा में देई देवता, आधा में खेतरपाल।
• आधी छोड़ एक नै धावै, बाकी आदी मुंह से जावै।
• आधे जेठ अमाव्साय रवि आथिमतो जोय।
• आधै माह कांधे कामल बाह।
• आधो घाल्यो ऊँखली, आधो घाल्यो छाज।
सांगर साटै घण गई, मघरो मघरो राज।
• आधो धरती में, आधो बारणै।
• आ नई काया सोने की, बार बार नहीं होणै की।
• आप आपकी मूंछो कै सै ताव दे हैं।
• आप आपकी रोट्यां नीचे सै आंच देवै।
• आप आपके दाणै पाणी मे मसत है।
• आप आपको जी सै नैं प्यारो।
• आप कमाया कामड़ा, दई न दीजै दोस।
• आपका फाड्या की सै बुझावै।
• आपकी एक फूटी को दुख कोनी, पड़ोसी को दोनों फूटी चाये।
• आपकी खोल में सै मस्त।
• आपकी गयां को दुख कोनी, जेठ की रह्यां को दुख है।
• आपकी गली में कुत्ता नार।
• आप की चाय गधा नै बाप बणावै।
• आपकी छाय नै कोइ खाटी कोनी बतावै।
• आपकी छोड़ पराई तक्कै, आवै ओसर कै धक्कै।
• आपकी जांघ उघाड्यां आप ही लाजां मरै।
• आपकी पराई और पराई आपकी।
• आपकी मां ने डाकण कुण बतावै?
• आपके लागै हीक में, दूसरो के लागे भीत में।
• आपको कोढ़ सांमर सांमर ओढ़।
• आपको ठको टको दूसरै को टको टकुलड़ी।
• आपको बिगाड़यां बिना दूसरां को कोनी सुधरै।
• आपको सो आपको और बिराणू लोग।
• आपको हाथ जगन्नाथ!
• आप गरुजी कातर मारै, चेलां नै परमोद सिखावै।
• आप डुबन्तो पांडियो ले डूब्यो जजमान।
• आपनै उपजै कोनी, दूसरां की मानै कोनी।
• आप भलो तो जग भलो।
• आप मर्यां जुग परलै।
• आप मर्या बिना सुरग कठै?
• आप में अक्कल घणी दीखै, दूसरै कनै घन घणूं दीखै।
• आबरू लैर उधार दै।
• आ बलद मनै मार।
• आभ के अणी नहीं, वेश्या के धणी नहीं।
• आभा की सी बीजली, होली की सी झल।
• आभा राता मेह माता, आभा पीला मे सीला।
• आम खाणा का पेड़ गिणना?
• आम नींबू बाणियो, कंठ भींच्यां जाणियो।
• आम फलै नीचो नवै, अरंड आकासां जाय।
• आया ही समाई पण गया की समाई कोनी।
• आयी गूगा जांटी, बकरी दूधां नाटी।
• आयो चैत निवायो फूडां मैल गंवायो।
• आयो रात, गयो परभात।
• आरिषड़ा सबब जोय कर समय बताऊँ तोय।
भादूड़ो जुग रेलसी छठ अनुराधा होय।
• आ रै मेरा सम्पटपाट! मैं तनै चाटूं, मनै चाट।
• और राड्या राड कराँ, ठाला बैठ्या के कराँ।
• आल के भाव को के बेरो।
• आल पड़ै तो खेलुं मालूं, सूक पड़ै घर जाऊँ।
• आला बंचै न आप सै, सूका बंचै न कोई कै बाप सैं।
• आ ले पड़ोसण झूंपड़ी, नित उठ करती राड़।
• आधो बगड़ बुहारती, सारो बगड़ बुहार।
• आवो मीयां खाणा खावो, बिसमिल्ला झट हाथ धुवावो।
आवो मीयां छान उठावो, हम बूढ़ा कोई ज्वान बुलावो॥
• आसवाणी, भागवाणी।
• आसाडां धुर अस्टमी, चन्द सेवरा छाय।
च्यार मास चूतो रहै, जिउं भांडै रै राय॥
• आसाडे धुर अष्टमी, चन्द उगन्तो जोय।
• कालो वै तो करवरो, घोलो वै तो सुगाल।
जे चंदो निरमल हुवै तो पड़ै अचिन्तो काल॥
• आसाडे सुद नवी नै बादल ना बीज।
हलड़ फाडो ईंधन करो, बैठा चाबो बीज॥
• आसाढ़ै सुद नोमी, घण बादल घण बीज।
कोठा खेर खंखेर दो, राखो बलद ने बीज॥
• आसी च्यानण छठ, ताकर मरसी पट।
रूआयी चांदा छठ, कातरो मरसी पट॥
• आ सुन्दर मन्दर चलां तो बिन रह्यो न जाय।
माता देवी आसकां, बै दिन पूंच्या आय॥
• आसू जितरै मेह।
• आसोजां का पड़या तावड़ा, जोगी होगा जाट।
• आसोज्यां में पिछवा चाली, भर भर गाडा ल्याई।
• आसोजी रा मेहड़ा, दोय बात बिनास।
बोरटियां बोर नहीं, बिणयाँ नहीं कपास॥
• इकलक के दोलक कै (इ क लग के अर दोलग कै)।
• इजगर पूछै बिजगरा, कहा करत हो मिन्त।
पड्या रहां हां धूल में, हरी करते है चिंत॥
• इज्जत की लहजत ही और हुवै है।
• इज्जत भरम की अर कमाई करम की।
• इन्दर की मा भी तिसाई ही रही।
• इन्नै पड़ै को कुवो, उन्नै पड़ै तो खाई।
• इब ताणी तो बेटी बाप कै ही है।
• इब पछतायां के बणै द चिड़िया चुग गई खेत।
• इमरत तो रत्ती ही चोखो, झैर मण भी के काम को।
• इसी खाट इस्या ही पाया, इस रांड इस्या ही जाया।
• इसै परथावां का इसा ही गीत।
• इसो ई तेरो खाणू दाणूं, इसो ई तेरो काम कराणुं।
• इसो ई हरि गुण गायो, ईसो ई संख बजायो।
• इस्समी खाण का इसा ही हीरा, इसी भैण का इसा ही बीरा।
• ई की मा तो ई नै ही जायो।
• ईसरो रो परमेसरो।
• ईसानी बीसानी।
• उघाड़ै वारणै धाड़ नहीं, उजाड़ गांव में राड़ नहीं।
• उझल्या समदरा ना डटै।
• उठे का मुरदा उठे बलैगा अठे का अठे।
• उणीं गांव में पीर उणी में सासरो।
• उतर भैंस मेरी बारी।
• उतारदी लोई, के करैगो कोई।
• उत्तर पातर, मैं मियां तू चाकर।
• उललतै पालड़ै को कोई भी सीरी कोनी।
• उल्टी गत गोपाल की, गई सिटल्लु मांय।
• उल्टो चोर कोतवाल नै डांटै।
• उल्टो दिन बूझ कर कोनी लागै।
• उल्टो पाणी चीलां चढ़ै।
• ऊंखली में सिर दे जिको धमकां सैं के डरै।
• ऊंधै ही अर बिछायो लाद्यो।
• ऊँचै गड का ऊंचा कांगरा।
• ऊँचै चढ़ कर देखो, घर घर यो ही लेखो।
• ऊँचे चढ़ चढ़ डोली डाकै, मरद नै थापै।
राधो चेतो यूं कहै, थक्यां रहैगी आपै॥
• ऊँचो नाग चढ़ै तर ओड़े, दिस पिछमांण बादला दौड़े।
• ऊँट कै मूं में जीरै सै के हुवै?
• ऊँट को पाद धरती को न आकास को।
• ऊँट को रोग रैबारी जाणै।
• ऊँट खो ज्याय तो टोपली उतार लिये।
• ऊँट चढ्या नै कुत्तो खाय।
• ऊँटां नै सुहाल्यां सै के होय।
• ऊंदरी को जायो बिल ही खोदै।
• ऊं बात नै घोड़ा ई को नावड़ै ना।
• ऊलै गैले चालै, खत्ता खाय।
• ऊजड़ खेड़ा फिर बसै, निरधनियां धन होय।
जोबन गयो न बावड़ै मतना द्यो थे खोय॥
• ऊत गये की चिट्ठी आई, बांचै जीनै राम दुहाई।
• ऊत गयो दक्खन, उठे का ल्यायो लक्खन।
• ऊत गांव में अरंड ही रूंख।
• ऊत गांव में कुम्हारा ही महतो।
• ऊतां कै के सींग होय है।
• ऊदलती का किस दायजा?
• ऊपर तो लहर्यो पण नीचे के पहर्यो।
• ऊबर बागा, घर में नागा।
• ऊपर राम चढ्यो देखै है।
• ऊबो मूतै सूत्यो खाय, जैंको दालद कदे न जाय।
• ऊमस कर घृत माढ गमावे, झांड कीड़ी बहार लावे।
• नीर बिनां चिडियां रज न्हावै, तो मेह बरसे धर मांह न मावै।
• एक आंख को के मीचै के खोलै।
• एक आदर्यो हाथ लग ज्याय पछै तो करसो राजी।
• एक ई बेल का तूमड़ा है।
• एक करोट की रोटी बल उठै।
• एक कांजी को टोपो दूध की भरी झाकरी नै बिगाड़ दे।
• एक कांणू एक खोड़ो, राम मिलायो जोडो।
• एक घर तो डाकण ही टालै है।
• एक घर में बहुमता र जड़ां मूल सै जाय।
• एक चणो दो दाल।
• एक जणैं की हलाई डोर हालै।
• एक जाड़ खाय, एक जाड़ तरसै।
• एक टको मेरी गांठी, मगद खांऊं क मांठी।
• एक दिन पावणूं, दूजै दिन अनखावणो, तीजै दिन बाप को मुंघावणूं।
• एक नन्नो सो दुख हड़ै।
• एक पहिये सैं गाड़ी कौन्या चालै।
• एक पग उठावै अर दूसरै की आस कोनी।
• एक पती बिन पाव रती।
• एक पीसा की पैदा नहीं, र घडी की फुरसत नहीं।
• एक पैड वाली कोन्यार बाबा तिसाई।
• एक बांदरी कै रूस्यां के अयोध्यां खाली हो ज्यासी।
• एक बार योगी, दो बार भोगी, तीन बार रोगी।
• एक भेड़ कुवै में पड़ै तो सै जा पड़ै।
• एक म्यान में दो तलवार कोनी खटावै।
• एक रती बिन पाव रती को।
• एक लरड़ी तूगी जद के हुयो।
• एकली लकड़ी ना जलैर नाय उजालो होय।
• एक सैं दो भला।
• एक सो एक अर दो सो दो।
• एक हल हत्या, दो हल काज, तीन हल खेती, च्यार हल राज।
• एक हाथ में घोडो, एक हाथ में गधो है।
• एक हाथ लील में, एक हाथ कसूमा में।
• एक हाथ सै ताली कोनी बाजै।
• ऐं बाई नै घर घणा।
• ऐ घर घोड़ी आपणा, बा छी बीकानेर।
घास घणेरो घालस्यां, बांणू द्यूं ना सेर॥
• ऐरण की चोरी करी, कर्यो सुई को दान।
ऊपर चढ़ कर देखण लाग्यो, कद आवै बीमाण॥
• ऐ विधनारा अंक, राई घटै न राजिया।
• ऐसा को तैसा मिल्या, बामण को नाई।
बो दीना आसकां, बो आरसी दिखाई॥
• ओई पूत पटेलां में, ओई गोबर भारा में।
• ओ क्यां टो टाबर ? खाय बराबर।
• ओगड़ बेटो क्यांसू मोटो, लावो गिणै न टोटो।
• ओछ की प्रीत कटारी को मरबो।
• ओछी गोडी ने सकड़, बहै उलाला बग्ग।
बो ओठी बो करल हो, आयण होय अलग्ग॥
• ओछी पूंजी घणै नै खाय।
• ओछी पोटी में मोटी बात कोनी खटावै।
• ओछै की प्रीत, बालू की सी भींत।
• ओछै की मातैगगी, चाकी मांलो बास।
• ओछो बोरो, गोदो को छोरो, बिना मुरै की सांड, नातै की रांड कदेई न्ह्याल कोनी करै।
• ओडी भली न टोडी भली, खुल्लै केंसा नार।
• ओस चाट्यां कसो पेट भरै।
• ओसर चूक्या नै मोसर नहीं मिलै।
• ओसर चूकी डूमणी, गावै आलपताल।
• ओसां सै घड़ियो कोनी भरै।
• ओ ही काल तो पड़बो, ओ ही बाप को मरबो।
• औ और तो नार पड़्यो है पण काम में डबको।
• और सदा सूतो भलो ऊभो भणो असाढ़।
• और सब सांग आ ज्मायं, बोरै वालो सांग कोन्या आवै।
• कंगाल छैल गांव नै भारी।
• कंवरजी म्हैलां से उतर्या, भोड़ल को भलको।
• बतलाया बोले नहीं अर बोलै तो डबको॥
• कंवारा का के न्यारा गांव बसै है।
• कक्कै को फूट्यो आंक ई को आवै अरनाम विद्याधर।
• कटे तो काऊ का, सीखे तो नाऊ का।
• कठे राजा भोज, कठे गांगलो तेली।
• कठे राम राम, कठे ट्यां ट्यां!
• कड़वी बेल की कड़वी तुमड़ी, अड़सठ तीरथ न्हाई। गंगा न्हाई, गोमती न्हाई, मिटी नहीं कड़वाई।
• कण कण भीतर रामजी, ज्यूं चकमक में आग।
• कद नटणी बांस चढै, कद भोजन पावै।
• कद राजा आवै, कद दाल दलूं।
• कदे गधो गूण पर, कदे गूण गधा पर।
• कदे घई घणा, कदे मूठी चणा।
• कदे नाव गाडी पर, कदे गाडी नाव पर।
• कनफडा दोन्यू हीन बिगाड्या।
• कुन्या फूले, तुल फले, वृश्चिक ल्यावै लाण।
• कपड़ा फाट गरीबी आई, जूती टूटी चाल गमाई।
• कपूत जायो भलो न आयो।
• कबित सोवै भाट नै, खेती सोवै जाट नै।
• कबूतर नै कुवो ही दीखै।
• कम खालेणा पण कम कायदे नहीं रहणा।
• कमजोर की लुगाई, सबकी भौजाई।
• कमजोर को हिमायती हारै।
• कमजरो गुस्सा ज्यादा, ऐई मारा खाणै का रादा।
• कमाई गैल समाई।
• कमाऊ आवै डरतो, निखट्टु आवै लड़तो।
• कमावै धोती हाला, खा ज्याय टोपी हाला।
• कमावै थोड़ो खरचै घणूं, पैलो मूरख उणनै गिणूँ।
• कमेड़ी बाज नै कोनी जीतै।
• करड़ी बाँघै पगड़ी घुरड़ लिववै नक्ख।
करड़ी पैरे मोचड़ी, अणसरज्या ही दुक्ख॥
• करणी जिसी भरणी।
• करणी पार उतरणी।
• करणी भोगै आपकी, के बेटो के बाप।
• करन्ता सो भोगन्ता खोदन्ता सो पड़न्ता।
• करम कमेड़ी को सो, मन राजा को सो।
• करमहीन खेती कैर, के काल पडै के बलद मरै।
• करम फूटया नै भाग फूट्या ही मिलै।
• करम में घोड़ी लिखी, खोल कुण ले ज्याय?
• करम में लिख्या कंकर तो के करै शिवशंकर?
• कर ये महती मालपुआ, बो लेसी हुया हुया।
• कर रै बेटा फटाको, घर को रह्यो न घाट को।
• कर रै बेटा फाटको, खड़्यो पी दूध को बाटको।
• कर ले सो काम, भजले सो राम।
• कर्क मैद को के भाव? कै चोट जाणिये।
• कर्म की सगलै बाजै है।
• करैगो टहल तो पावैगो महल।
• करैगो सेवा तो पावैगो मेवा।
• कल सूं कल दबै है।
• कलह कलसै पैंडे को पाणी नासै।
• कसम मरे को धोखो कोनी, सुपनू सांचो होणूं चाये।
• कसाई कै दाणै नै बकरी थोड़ी ही खा सकै है?
• कसो हाक मार्यां कूवो खुदै है।
• कांई गोडियो कैवै अर कांई पूंगी कैवे।
• कांट कटीली झाखडी लागै मीठा बोर।
• कांटे सै कांटो नीसरै।
• कांदा खाय कमधजां, घी खायो गोलांह।
चुरू चाली ठाकरां, बाजंतै ढोलांह॥
• कांदे वाला छीलका है उचीदै जितणी है बाई आवै।
• कांधियो थोड़ा ई बलै है।
• कांधे पर छोरो, गांव में ढिंढोरो।
• काकड़ी की चोरी अर मूकां की मार।
• काका खोखो पायो, कह, काका कै सागै तो ऐ है गैरा करैगी।
• काग कुहाड़ो नर, काटै ही काटै।
• सुई सुहागो सापुरुष, सांठै ही सांठै।
• काग पढ़ायो पींजरै, पढगो च्यारूं वेद, समझायो, समझ्यो नहीं, रह्यो ढेढ को ढेढ।
• कागलां कै काछड़ा होता तो उड़तां कै ना दीखता।
• कागलां कै सराप सूं ऊंट कोनी मरै।
• कागलो हंस, हाली सीखै हो सो आप हाली भी भूलगो।
• कागा किसका धन हरे, कोयल किसकूं देय।
जीभड़ल्यां के कारणै, जग अपनो कर लेय॥
• कागा कुत्ता कुमाणसा, तीन्यूं एक निकास।
ज्यां ज्यां सेर्यां नीसरै, त्यां त्यां करे बिनास॥
• कागा हंस न गधा जती।
• काच कटोरो, नैण जल, मोती दूध अर मन्न।
• काच की भट्टा मांइ मांय धवै।
• काचो दूध खटाई फाड़ै, तातो दूद जमावै।
• काजल सै आंख भरी कोनी हुवै।
• काजी के मार्योड़ो हलाल होवै है।
• काटर कै हेज घणों।
• काठ की हांडी दूसरां कोनी चढ़ै।
• काठ डूबै लोडा तिरै।
• काणती भाभी छाय घाल, घालस्यूं दहीं, तु सुप्यार भोत बोल्या ना।
• काणती भेड़ को र्याड़ो ही न्यारो।
• काणियां पांड्या राम राम।
देखी रै तैरी ट्याम ट्याम॥
• काणी कै ब्या मैं फेरां तांई खोट।
• काणी कै ब्या में सौ कोतिक।
• काणी को काडल भी कोनी सुहावै।
• काणी छोरी तनै कुण ब्यावैगो, कह ना सरी, मैं मेरै भायां नै खिलाऊंगी।
• काणूं खोड़ो कायरो, ऐंचताणूं होय।
इण नै जद ही छोड़िये, हाथ घेसलो होय॥
• कात्या जी का सूत, जाया जी का पूत।
• कातिक की छांट बुरी, बाणियां की नांट बुरी, भायां की आंट बुरी, राज की डांट बुरी।
• कातिक राज, कीर्तियां, मंगसिर हिरणियां, पोवां पारधी जोड़ा, काटी कटै न घोड़ा।
• काती कुत्ती माह बिलाई, फागण मर्द अर ब्याह लुगाई।
• काती रो मेह कटक बराबर है।
• काती सब साथी।
• कादा नै छैड़ै, छाटां भरै।
• कानां ने मुंदरा होसी तो सै आपै आदेस कहसी।
• कान में कीटी अन्तर अर लगास्यूं।
• कानूड़ो कल में आयो, रात बड़ी दिन छोटा ल्याओ।
• काम अर लाम को बैर है।
• काम करल्यो सो कामण कर्या।
• काम करै कोई, मोज उड़ावै कोई।
• काम की मा उरैसी, पूत की मां परैसी।
• काम नै काम सीखावै।
• काम पड्यो जद सेठजी तमेलै चढ़गा।
• काम सर्यो जुग बीसर्यो, कुणबो बाराबाट।
• कामी कै साख नहीं, लोभी कै जात नहीं।
• काल कुसम्मै ना मरै, बामण बकरी ऊंट।
बो मांगे बा फिर चरै, बो सूखा चाबै ठूंठ॥
• काल जाय पण कलंक नहीं जाय।
• काल बागड़ सैं नीपजै, बुरो बामण सै होय।
• काल मरी सासू, आज आयो आंसू।
• काला कनै बैठ्यां काट लागै।
• काला रै तूं मलमल न्हाय, तेरी कालूंस कदै नहिं जाय।
• काली भली न कोड्याली।
• काली हांडी कनै बैठ्यां कालूस लागै।
• कालै गाबा को कालो दाग कोई कोनी देखै।
• कालै कै कालो नहीं जामै तो कोड्यालो तो जरूर ही जामै।
• कालो आंक भैंस बराबर।
• किमै गुड़ ढीलो, किमैं बाणियूं ढीलो।
• कियां फिरै जाणै बिगड्योड़ै ब्याव में नाई फिरै ज्यूं।
• किरती एक जबूकड़ो, ओगन सह गलिया।
• किरपण कै दालद नही, ना सूरां कै सीस।
दातारां कै धन नहीं, ना कायर कै रीस॥
• किसन करी सो लीली, म्है बाजां लंगवाड़ा।
• किसाक बाजा बजै, किसाक रंग लागै।
• कीड़ी नै कण, हाथ नै मण।
• कीड़ी पर के कटक?
• कीड़ी सचै तीतर खाय, पापी को धन परलै जाय।
• कुए की मांटी कुए में लाग ज्या है।
• कुछ लख्या सो मन में राख।
• कुण सी बाड़ी को बथवो है।
• कुत्तां कै पाड़ौस सै कसौ पैरो लाग्यो।
• कुत्ता तेरी काण कै तेरै घणी की।
• कुत्ती क्यूं भुसै है, कै टुकड़ै खातर।
• कुत्तै की पूँछ बार बरस दबी रही पण जद निकली जद टेढ़ी की टेढ़ी।
• कुमाणस आयो भलो न जायो।
• कुम्हार की गधी, घर घर लदी।
• कुम्हार कुम्हारी नै तो कोनी जीतै, गधैड़ै का कान मरोड़ै।
• कुम्हार नै कह, गधै पर चढ़ जद तो को चढ़ै ना, पाछै आप चढ़ै।
• कुल बिना लाज ना, जूं बिना खाज ना।
• कुंभार रे घर में फूटी हांडी।
• कूआ सै कूओ कोनी मिलै, आदमी सै आदमी मिल जाय।
• कूण किसी कै आवै, दाणू पाणी ल्यावै।
• कूदिये ने कूवै खेलिये न जूवै।
• कूद्यो पेड़ खजरू सूं, राम करै सो होय।
• कूरा करास खाय, गेहूँ जीमै बाणिया।
• कुवै में पड़ कर सूको कोई बी नीकलै ना।
• कूवो खोदे जैनै खाड त्यार है।
• के कुत्ती कै पाणई गाडो चालै है?
• के गीतड़ां से भींतड़ा।
• के गूजर को दायजो कै बकरी कै भेड़।
• कै जाणै भेड़ सुपारी सार।
• के तो घोड़ो घोड्यां में के चोरां लियो लेय (के चोर लेईगा)।
• के तो फूड़ चालै कोनी अर चालै जद नो गांव की सीम फोड़ै।
• के नागी धोवै अर के नागी निचोवै।
• के फूँक सै पहाड़ उड़ै है?
• के बाड़ पर सोनूं सूकै है?
• के बेटी जेठ के स्हारै जाई है?
• के बेरो ऊँट के करोट बैठे?
• के मारै बादल को घाम, के मारै बैरी को जाम।
• के मारै सीरी को काम, कै मारे काटर की जाम।
• के मीयां मरगा, क रोजा घटगा।
• के रोऊं ऐ जणी! तूं आंगी दी न तणी।
• केले की सी कामड़ी होली की सी झल!
• केश वेश पाणी आकास नहीं चितेरो देखै आस।
• के सर्व सुहागण के फरहड़ रांड़।
• के सहरां, के डहरां।
• के सोवै बंबी को सांप, के सोवै जी के माई यन बाप।
• कै जागै जैंकै घर में सांप, कै जागै बेटी को बाप।
• कै डूबै अररोला कै डूबै बोला।
• कै तो गैली पैरै कोनी अर पैंरे तो खोलै कोनी।
• कै तो पैल बलद चालै कोनी, र चालै तो सात गांवां की सींव फोड़ै।
• कै तो बावलो गांव जा कोन्या अर जा तो बावडै कोन्या।
• के मोड्यो बांधै पागड़ी, कै रहै उघाड़ी टाट।
• कैर को ठुंठ टूट ज्यागो, लुलैगो नहीं।
• कैं लड़ै लड़ाकडो कै लड़ै अणजाण।
• कै हंसा मोती चुगै कै लंघन कर ज्याय।
• कोई को हाथ चालै तो कोई की जीभ चालै।
• कोई कै बैंगण बायला, कोई कै बैंगण पच्छ कोई कै बादी करै, कोई कै जाय जच्च।
• कोई गावै होली का, कोई गावै दिवाली का।
• कोई भी मा का पैट से सीख कर कोनी आवै।
• कोई मानै न तानै, मैं तो लाडै की भुवा। (कोई मानै ना तानै ना, मैं लाडो की भुवा)
• कोई स्यान मस्त, कोई ध्यान मस्त, कोई हाल मस्त, कोई माल मस्त।
• कोडी कोडी धन जुड़ै।
• कोडी कोडी करतां बी लंग लागै है।
• कोडी चालै डौकरी, कैंका काडै खोज।
कांई थारो खो गयो पूछै राजा भोज॥
• म्हरै सैं थारै गई जैंका काडूं खोज।
•थारै सैं बी जायगी मत गरबावै भोज॥
• कोयलां की दलाली में काला हाथ।
• कोस चाली कोन्या अर तिसाई।
• कौण सुणै किण नै कहूँ, सुणै तो समझौ नाहि।
कहबो सुणबो समझबो, मन ही को मन मांहि॥
• क्यूं आंधो न्यूंतै, क्यूं दो बुलावै।
• क्यूं लो खोटो, क्यूं लुहार खोटो।
• क्यूं धो चीकणा, क्यूं कुंहाड़ो भूंठो।
• क्रितिका करे किरकिरो, रोहिणी काल सुकाल।
थे मत आबो मृगशिरी हड़हड़ करती काल॥
• खटमल कुत्तो दायमो, जय्यो मांछर जूं।
• खर घूघ मरख नरां सदा सुखी प्रिथिराज।
• खर बाऊं बिस दाहणूं।
• खरी मजुरी चोखा दाम।
• खल खाई न भल आई, सासरै गई न भू कुहाई।
• खल गुड एकै भाव।
• खांड गली का सै सिरी, रोग गली का कोई नहीं।
• खां साब लकड़ी तोड़ो तो कै ये काफरका काम, खां साब खीचड़ी खावो तो कै बिसमिल्ला।
• खाईये त्यूंहार, चालिए व्यौहार।
• खाज पर आंगली सीदी जाय।
• खाणू पीणू खेलणू, सोणू खूंटी ताण।
आछी डोबी कंथड़ा, नामदी के पाण॥
• खाणू माँ का हाथ को होवो भलांई झैर ई, चालणू गैलै को होवो भलाई फेर ई, बैठणू, भायां को होवो भलांई बैर ई, छाया मौके की होवै भलांई कैर ई, जीमणूं, प्रेम को होवो भलांई झैर ई।
• खाणो मन भातो, पैरणो जग भातो।
• खात अर पाण, के करै बिनाणी।
• खाबो खीर को अर बाबो तीर को।
• खाबो सीरा को अर मिलबो वीरा को।
• खाय धणी को, गीत गावै बीरै का।
• खाय कर सो ज्यांणू, मार कर भाग ज्याणूं (खा कर सो ज्याणू अर मारकर भाग ज्याणू)
• खाये जैंको गाये।
• खारी बेल की खारी तूमड़ी।
• खाल पराई लीकड़ो ज्याणूं भूस में जाय।
• खाली लल्लोई सीख्यो है, दद्दो कोनी सीख्यो।
• खावण का सांख, पावणा का बासा।
• खावै पूणुं, जीवै दूणु।
• खिजूर खाय सो झाड़ पर चढ़ै।
• खिलाया को नांव कोनी होय, रुवाया को नांव हो जाय।
• खींचिये न कब्बान छोड़िये न जब्बान।
• खीर खीचड़ी मन्दी आंच।
• खुले किंवाड़ा पोल धसै।
• खूट्यो बाण्यो जूना खत जोवै।
• खेत नै खोवे गैली, मोडा नै खोवै चेली।
• खेत बड़ा, घर सांकड़ा।
• खेत हुवै तो गांव सैं आथूणों ही हूवै।
• खेती करै बिणज नै ध्यावै, दो मांआडी एक न आवै।
• खेती धणियां सेती।
• खेती बादल में हैं।
• खेती सदा सुख देती।
• खेल कोठा में पाणी कुवै मैँ सैं ई आवै।
• खेल खिलाड्यां को, घोडा असवारां का।
• खैरात बंटै जठै मंगता आपै ही पूंच ज्यावै।
• खोई नथ बटोड़ा में नणद को नांव।
• खो की मांटी खो में लागै।
• खोटा काम ठेठ सूं कीन्या, घर खातो नै मांग्या दीन्या।
• खोटो पीसो खोटो बेटो, ओडी वर को माल।
• खोडली खाट खोड़ला पाया, खोड़ली रांड खोडला ई जाया।
• खोपड़ी खोपड़ी की मत न्यारी।
• खोयो ऊंट घड़ा में ढूंढै।
• खोली रै तो पूर आप ही घल ज्या।
• गंगा गयां गंगादास, जमना गयां जमनादास।
• गंगा तूतिये में कोनी नावड़ै।
• गंगाजी को न्हावणूं, बिपरां को ब्योहार।
डूब जाय तो पार है, पार जाय तो पार॥
• गंजो नाई को के धरावै?
• गंजो अर कांकरां में लोटै।
• गंडक कै भरोसै गाडो कोनी चालै।
• गंडकड़ो तो लूह लूह मरगो, धणी कै भांवै ही कोनी।
• गंडक नारेल को के करै?
• गंडक नै देख कर गंडक रोवै।
• गई आबरु पाछी कोनी आवै।
• गई चीज को के पिस्तावो?
• गई तिथ बामण ही को बांचै ना।
• गई बात नै जाण दे, हुई बात नै सीख।
• गई बात नै घोड़ा भी कोनी नावड़ै।
• गई भू गयो काम, आयी भू आयो काम।
• गई ही छाय ल्यावण नै, दुहारी भी दे आई।
• गटमण गटमण माला फेरै, ऐ ही काम सिधां का।
दीखत का बाबाजी दीखै, नीचै खोज गधां का।
• गढ़ बैरी अर केहरी, सगो जंवाई जी।
इतणा तो अलग भला, जब सुख पावै जी।
• गढां कै गढ ही जाया।
• गड़गड़ हंसै कुम्हार की, माली का चर रया बुंट।
तू मत हंसै कुम्हार की, किस कड़ बैठे ऊँट।
• गणगोर्यां नै ही घोड़ी न दौड़े तो कद दोडै?
• गणगोर रूसै तो आपको सुहाग राखै।
• गधा नै घी कुण दे?
• गधा ने घी दियो तो कै आंख फोड़ै है।
• गधा नै नुहायां घोड़ो थोड़ो ई हो ज्याय।
• गधेड़ो ई मुलक जीत ले तो घोड़ नै कुण पूछै?
• गधेड़ी चावल ल्यावै तो बा थोड़ी ही खाय।
• गधेड़ै कै जेओठ में धूदी चढ़ै।
• गधेड़ै को मांस तो खार घाल्यां ही सीजै।
• गधेड़ो कुरड़ी पर रंजै।
• गधै में ज्ञान नहीं, मूसल कै म्यान नहीं।
• गधो घोड़ो एक भाव।
• गधो मिसरी को कै करै?
• गम बड़ी चीज है।
• गया कनागत आई देवी बामण जीमै खीर जलेबी।
• गया कनागत टूटी आस, बामण रोवै चूल्है पास।
• गरजवान की अक्कल जाय, वरदवान की सिक्कल जाय।
• गरजै जिसोक बरसै कोनी!
• गरीब की लुगाई, जगत की भोजाई।
• गरीब की हाय बुरी।
• गरीब को बेली राम।
• गरीबदास की तो हवा-हवा है।
• गुरु की चोट, विद्या की पोट।
• गले अमल गुल री हुवै गारी, रवि सिस रे दोली कुंडारी।
सुरपत धनक करै विध सारी (तो) एरापत मघवा असवारी॥
• गहण लाग्यो कोन्या मंगता पैलाई फिरगा।
• गहणो चांदी को अर नखरो बांदी को।
• गांठ को जाय अर लोक हंसाई होय।
• गांधी बेटा टोटा खाय, डेढ़ा दूणा कठे न जाय।
• गांव करै सो गैली करै।
• गांव की नैपे खेड़ा ही कहदी है।
• गांव को ठाकर केरड़ी मार दी, पण म्हे क्यूं कहां?
• गांव गयो, सूत्यो जागै।
• गांव गांव खेजड़ी अर गांव गांव गूगो।
• गांव बलै डूम त्युंवारी मांगै।
• गांव बसायो बाणियो, पार पड़ै जद जाणियो।
• गांव में घर ना, रोडी में खेत ना।
• गांव में पड्यो भजांड़ो, के करैगो सामी तारो।
• गांव हुवै जठे ढेढवाड़ो ही हुवै।
• गाछ गैल बेल बधै।
• गाजर की पूंगी बाजी तो बाजी नहीं तोड़ खाई।
• गाजै जिको बरसै कोनी।
• गाडा को फाचरो अर लुगाई को चाचरो, कुट्योडो ही चोखो।
• गाडा टलै हाडा नही टलै।
• गाडा नै देख कर पाडा का पग सूजगा।
• गाडा में छाजला को के भार?
• गाडिये लुहार को कुण सो गांव?
• गाडी उलट्यां पछै विनायक मनायां के होय?
• गाडी को पहियो अर आदमी की जीभ तो चालती ही चोखी।
• गाडी सै अर लाडी सै बच कर रैणूं।
• गाडै लीक सौ गाडी लीक।
• गादड़ मारी पालखी, में धडूक्यां हालसी।
• गादड़ै की तावलां सै बेर थोड़ाई पाकै।
• गादड़ै की मार्योडी सिकार नार थोड़ा ई खाय।
• गादड़ै की मोत आवै तो गांव कानी भाजै।
• गादड़ै कै मूंडै न्याय।
• गाय अर कन्या ने जिन्नै हांकदे, उन्नै ही चाल पड़ै।
• गाय की भैंस के लागी?
• गाय की बाछी नींद आवै आछी।
• गाय ल्याये न्याणै की, भू ल्याये घरियाणै की।
• गायां भायां बामणां, भाग्यां ही भला।
• गायां में कुण गयो, गोदो, कह मार दे बिलोवणो मोदो।
• गारड बिना झैर कोनी उतरै।
• गारै में पग, गिदरां पर बैठबा दे।
• गाल्यां सै गूमड़ा कोनी होय।
• गावणू अर रोवणू सैने आवै है।
• गीवूं ल्यावै तो गधी अर खाय अमीर।
• गीत में गाण जोगो ना, रोज में रोवण जोगो ना।
• गूजर उठे ही गुजरात।
• गुड़ की डली दे दे नहीं बाणिये की बेटी बण ज्याऊंगी।
• गुड़ कोनी गुलगुला करती, ल्याती तेल उधारो, परींडा में पाणी कोनी, बलीतो कोनी न्यारो।
कड़ायो तो मांग कर ल्याती पण आटा को दुख न्यारो।
• गुड़ खाय गुडियानी को पछ करै।
• गुड़ गीलो हो तो मांखी कदेस की चाट ज्याती।
• गुड़ै गुवाड़ै, फोज पापड़ै आवै।
• गुड़ा घालै जितणो ही मीठो।
• गुड़ डलियां, घी आंगलियां।
• गुड़ तो अंधरै में बी मीठो।
• गुड़ देतां मरै, बीनै झैर क्यूं देणूं?
• गुड़ बिना किसी चोथ?
• गुण गैल पूजा।
• गुर-गुर विद्या, सिर-सिर बुद्धि।
• गुरू चेलो लालची, दोनूं खेलै दाव।
दोनूं कदेक डूबसी, बैठ पत्थर की नाव।
• गुरु सै चेलो आगला।
• गुलगुला भावै पण तेल कठे सूं आवै।
• गुवाड़ को जायो की नै बाबो कै।
• गूंगा तेरी सैन में समझौ कुल में दोय।
के गूंगा की मावड़ी के गूंगा की जोय॥
• गूंगी अर गीता गावै।
• गूंगो बड़ो क राम, कै बड़ो तो है सो है ही पण सांपा से कुण बैर करै।
• गूजर किसकी पालती, किसका मित्र कलाल?
• गूजर सै ऊजड़ भली।
• गेरदी लोई तो के करैगो कोई?
• गैब को धन ऐब में जाय।
• गैली रांड का गैला पूत।
• गैली सारां पैली।
• गैलो भलो न कोस को, बेटी भली न एक।
मांगत भली न बाप की, साहेब राखै टेक॥
• गोकुल सै मथरा न्यारी।
• गोद को छोरो, राखणूं दोरो।
• गोदी कां नै गेर कर पेट कां की आस करै।
• गोबर को घड़ो, काठ की तलवार।
• गोबर में तो घींघला ही पड़ै।
• गोरी में गुण होगो तो ढोलो आपै ही आ मिलैगौ।
• गोला किसका गुण करै, ओगणगारा आप, माता जिण की खाबली, सोला जिण का बाप।
• गोलै के सिर ठोलो।
• गौले को गुर जूत।
• गोलो र मूंज पराये बल आंवसै।
• गोह चाली गूगै नै, सांडो बोल्यो-मेरी भी जात है।
• ग्यारस को कडदो बारस नै ग्रहण को दान, गंगा को असमान।
• ग्रह बिन घात नहीं, भेद बिन चोरी नहीं।
• घटतोला मिठ बोला।
• घड़ी को ठिकाणूं कोनी अर नाम अमरचन्द।
• घड़ै कुम्हार, भरै संसार।
• घड़ै गैल ठीकरी, मा गैल डीकरी।
• घड़ै सुनार, पैरे नार।
• घड़ै ही गडुओ, होगी भेर।
• घड़ो फूट कर गिरगण ही हाथ आवै।
• घणा जायां घण ओलमा, घणा जायं घण हाण।
• घण जायां घण नास।
• घण जीते, सूरमों हारै।
• घण बूंठा कण हाण।
• घण मीठा के कीड़ा पड़ै।
• घणा हेत टूटण का, बड़ा नैण फूटण का।
• घणी तीन-पांच आछी कोन्या।
• घणी दाई घणा पेट फाड़ै।
• घणी सराही खीचड़ी दांतां कै चिपै।
• घणी सूधी छिपकली चुग-चुग जिनावर खाय।
• घणूं खाय ज्यूं घणूं मरै।
• घणूं बल भर्यां घूंडी पड़ै।
• घणूं सियाणो कागलो दे गोबर में चांच।
• घर आयो पावणो रोवतड़ी हँस।
• घरकां नै मारणूं, चोरां नै धारणूं।
• घर का टाबर काणा भी सोवणा।
• घर का टाबर खीर खा, देवता भलो मानै।
• घर का पूत कुंवारा डोलै, पाडोसी का नो नो फेरा।
• घर की आदी ई भली।
• घर की खांड किरकिरी लागै, गुड़ चोरी को मीठो।
• घर की खाय, सदा सुख पाय।
• घर की डाकण घर का नै ही खाय।
• घर की छीज लोक की हांसी।
• घर को जोगी जोगणूं आन गांव को सिद्ध।
• घर को देव अर घर का पूजारा।
• घर गयां की छांग उसी का केरड़ा, बेटां री बोताज क नैड़ा खेतड़ा।
• चाली जैसो तिकूं रा बोलणा, एता दे करतार फेर न बोलण।
• घर गैल पावणूं या पावणा गैल घर।
• घर-घर मांटी का चूला।
• घर जाए का दिन गिणूँ क दांत।
• घर तो घोस्यां का बी बलसी, पण सुख ऊंदरा भी कोनी पावै।
• घर तो नागर बेल पड़ी, पाड़ोसण को खोसै फूस।
• घर नै खोवै सालो, भीँत नै खोवै आलो।
• घर बलती कोनी दीखै, डूंगर बलती दीखै।
• घर-बार थारा, पण ताला कूंची म्हारा।
• घर ब्याह, भू पीपलां।
• घर में अंधेरो तिलां की सी रास।
• घर में आई जोय, टेडी पगड़ी सीधी होय।
• घर में कसालो, ओढ़ै दुसालो।
• घर में कोन्या तेल न ताई, रांड मरै गुलगुलां तांई।
• घर में नाही अखत को बीज, रांड पूजै आखा तीज।
• घर में सालो, दीवाल में आलो, आज नहीं तो काल दिवालो।
• घर मोटो टोटो घणूं, मोटो पिव को नांव ऐं कारण धण दुबली, म्हारो रसता ऊपर गांव।
• घर रोक्यो सालां, भींत रोकी आलां।
• घर वासे ही रांड अर गोद की बेटी गिरलाई न्ह्याल करै।
• घर सै उठ बनै में गया अर वन में लागी लाय।
• घर सै बेटी नीसरी, भांवै जम ल्यो भांवै जंवाई ल्यो।
• घरै घाणी, तेली लूखो क्यूं खावै?
• घाघरी को साख नजीक को हो ज्याय।
• घिरत ढुल्यो मूंगा कै मांय।
• घी खाणूं तो पगड़ी राख कर खाणूं।
• घी घाल्योड़ो तो अंधेरा में बी छान्यूं कोन्या रैवै।
• घी जाट को, तेल हाट को।
• घी सक्कर, अरू दूध क ऊपर पप्पड़ा, सात भयां कै बीच सवाया कप्पड़ा।
• घर में घीणा होय क हुडी चोलणा, एता दे करतार फेर नह बोलणा।
• घी सुधारै खीचड़ी नाम बहू को होय।
• घुरी में गादड़ो ई सेर।
• घूंस चालती तो बाणियो धरमराज नै भी घूंस दे देतो।
• घूमटा सैं सती नहीं, मुंडाया सै जती नहीं।
• घूमर हाली कै बिछिया चाये।
• घोड़तां कै ब्या में गादड़ा ही गीत गावै।
• घोड़ा तो ठाण बिकै।
• घोड़ै के अवसार को अर बूडली माई को साथ?
• घोड़ै कै नाल जड़तां गधेड़ो ही पग उठावै।
• घोड़ै को लात सूं घोड़ो थोडी ही मरै।
• घोड़ो घास सैं यारी करै तो खाय के?
• घोड़ो चाये निकासी नै, बावड़तो सो आए।
• घोड़ो दौड़े दौडे, कुण जाणै।
• घोड़ो मर्द मकोड़ो, पकड्यां छोड़ै थोड़ो।
• चक्कू खरबूजै पर पड़ै तो खरबूजै को नास, खरबूजो चक्कू पर पड़ै तो खरबूजै को नास।
• चडती जवानी हर भर्योडी आंट कितना औगण कोनी करै?
• चढसी जिका नै गिर्यां सरसी।
• चणा चाब कहै, म्हे चावण खाया, नहीं छान पर फूस, म्हे हेली से आया।
• चणा जठे दांत ना अर दांत जठे चणा ना।
• चणूं उछल कर किसो भाड़ नै फोड़ गेरसी?
• चतर नै चोगणी, मूरख नै सोगणी।
• चमारी अर रावलै जा आयी।
• चलती को नांव गाडी है।
• चांच देई जठे चुग्गो भी त्यार है।
• चांद को गण गंडक नै भार्यो।
• चांद सूरज कै भी कलंक लागै।
• चाए जिता पालो, पांख उगतां ही उड़ ज्यासी।
• चाकरी सै सूं आकरी।
• चाकी में पड़ कर सापतो कोनी नीसरै।
• चान आगै लूंगत कतीक बार छिपै।
• चाम को के प्यारो, काम प्यारो है।
• चालणी को चाम, घोडै की लगाम, संजोगी को जाम, कदे न आवै काम।
• चालणी मे दूद दूवै, करमां नै दोस देवै।
• चाली पिरवा पून मतीरी पीली।
• चावलां की भग्गर को के हुवै, बाजरै की को तो सोक्यूं हो।
• चावलां को खाणो फलसै तांई जाणो।
• चिड़पिड़ै सुहाग सूं रंडापो ही चोखो।
• चिड़-चिड़ी की के लड़ाई, चाल चिड़ा मैं आई।
• चिड़ी की चांच में सो मण को लकड़ो।
• चित्रा दीपक चेतवे, स्वाते गोबरधन।
डंक कहे हे भड्ड़ली अथग नीपजै अन्न॥
• चींचड़ी र खाज।
• चीकणी चोटी का सै लगवाल।
• चीकणै घड़ै पर पानी की बूंद को ठहरै ना।
• चीकणै घड़ै पर बूंद न लागै, जै लागै तो चीठो।
• चील को मांस तो चुटक्यां में ही जासी।
• चुस्सी को सिकार और ग्यारा तोप।
• चूंटी टूंटी को भी लंक लागै है क्यूं कै नित बड़ी है।
• चूंटी चून घड़ा दस पाणी का।
• चून को लोभी बातां सूं कद मानै।
• चूनड़ ओढ़ै गांठ की, नांव पीर को होय।
• चूसै का जाया तो बिल ई खोदैगा।
• चूसै के बिल में ऊंट कैयां समावै।
• चेला ल्यावै मांग कर, बैठा खावै महन्त।
राम भजन को नांव है, पेट भरण को पन्थ॥
• चैत चिड़पडो सावण खरखड़ा।
• चैत पीछलै पाख, नो दिन तो बरसन्तो राख।
• चैत महिने बीज लुकोवे धुर बैंसाखां केसू धोवै।
• चैत मसा उजाले पख, नव दिन बीज लुकोई रख।
• आठम नम नीरत कर जोय, जां बरसे जां दुरभख होय।
• चैत मास नै पख अंधियारा, आठम चवदस हो दिन सारा।
• जिण दिस बादलण जिण दिस मेह, जिण दिस निरमल जिण दिस खेह।
• चोखो करगो, नाम धरगो।
• चोटी काट्यां चेलो कोनो होय।
• चोटी राख कर घी खाणूं।
• चोपड़ी अर दो दो।
• चोपदरां कै सैं कुण परोसो ले?
• चोर की जड़ चोर ही दाबै।
• चोर की मा घड़ै में मुंह देकर रोवै।
• चोर की मां रो बी कोनी सकै।
• चोर कै छाती है, पण पग कोनी।
• चोर कै बागली ही कोनी।
• चोरी चोरी करे पण घर आव ने ता साच बोले है।
• चोर चोरी सै गयो, जूती बदलण सै थोड़ो ई गयो।
• चोर नै के मारे, चोर की मां नै मारे।
• चोर पेई लेगो, ले जाओ ताली तो मेर कन्नै है।
• चोरी अर सीना जोरी।
• चोरी को धन मोरी में जाय।
• चौमासे को गोबर लीपण को, न थापण को।
• च्यार कूंट सै मथुरा न्यारी है।
• च्यार चोर चोरासी बाणिया, के करै बापड़ा एकता बणिया।
• च्यार दिना री चानणी, फेर अंधेरी रात।
• छदाम को छाजलो, छै टका गंठाई का।
• छन में छाज उड़ावै, पल मैं करै निहाल।
• छाज तो बोलै सो बोलै पण चालणी बी बोलै जै कै ठोतरसो बेज।
• छींक खाये, छींकत पीये, छींकत रहिये सोय।
छींकत पर घर कदे न जाये, आछी कदे न होय॥
• छुट्येडा तीर पाछा कोनी आवै।
• छेली दूद तो देवै पण देवै मींगणी करकै।
• छोटी-मोटी कामणी सगली बिस की बेल।
• छोटो उतणूं ही खोटो।
• छोडा छोलणं बूंट उपाड़न, थपथपियो, ओ नाई एता चेला न करो, गरुजी काम न आवै कांई।
• छोड़ो ईस, बैठो बीस।
• छोरा! तेरी पेट तो बांको, कहै, ढाई सेर राबड़ी तो ऐं ही में उलझाल्यूं।
• छोरा! पेट क्यूं टूटगो? कै मांटी खाऊं हूं।
• छोरा, बार मत जाजै, बीजली मार देगी, कह- ऐ जाटां हाला ना खेलै है, कह, ऐ तो बीजली का मार्योड़ो ही है।
• छोरी ऐं गांव में चौधर कैं कै, कह, भई पहल काणैं तो म्हारै खेत निपज्यो हो सो चौधर म्हारे थी। इबकै बाजरी मेरै काका कै हो गई सो चौधर ऊंकै चली गई।
• छोरो बगल में, ढूंढै जंगल में।
• छोर्यां सै ही घर बस ज्याय तो बाबो बूडली क्यूं ल्यावै?
• जगत की चोर, रोकड़ को रुखालो।
• जट खोस्यां किसा ऊंट मरै है?
• जटा बधे बडरी जब जांणा, बादल तीतर-पंख बखाणां, अवस नील रंग व्है असमाणां, घण बरसे जल रो घमसाणां।
• जठे देखै तवा परात, उठे नाचै सारी रात।
• जठे पड़ै मूसल, उठै ही खेम कूसल।
• जद कद दिल्ली तंवरां।
• जननी जल्मे तो दोय जण, के दाता के सूर, नातर रहजे बांझड़ी, मती गंवावे नूर।
• जब लग तेरे पुण्य को, बीत्यो नही करार।
तब लग मेरी माफ है, औगण करो हजार।
• जबान में ही रस जबान में ही बिस।
• जमी जोरू जोर की, जोर हट्यां और की।
• जमींदार कै बावन हाथ हुवै।
• जमीन को सोवणियो अर झूठ को बोलणियो संकड़ेलो क्यूं भूगतै?
• जयो चींचड़ी, दायमू, खटमल, माछर जूं, अकल गई करतार की, अता बणाया क्यूं।
• जल को डूब्यो तिर कर निकलै, तिरिया डूब्यो बह ज्याय।
• जल का जामा पहर कर, हर का मंदर देख।
• जलम अकारथ ही गयो गोरी गले न लग्ग।
• जलम को आंधो नाम नैणसुख।
• जलम को दुख्यारो, नांव सदासुखराय।
• जलम घड़ी अर मरण घड़ी टाली कोनी टलै।
• जलम रात अर फेरा टाली कोनी टलै।
• जसा बोलै डोकरा, बसा बोलै छोकरा।
• जसा साजन, उसा भोजन।
• जसा देव, बसा ई पूजारा।
• जसो राजा, बसी ही परजा।
• जहर खायगो सो मरैगो।
• जहर नै जहर मारै।
• जां का मरग्या बादस्याह, रुलता फिरै वजीर।
• जांट चढै जको सीरणी बांटै।
• जागै सो पावै, सोवै जो खोवै।
• जाट कहै सुण जाटणी इणी गांव में रैणो।
ऊंट बिलाई ले गई हांजी हांजी कहणों।
• जाट की बेटी और काकोजी की सूं।
• जाट को के जजमान, राबड़ी को के पकवान।
• जाट गंगाजी हा आयो के कह, खुदाई कुण है।
• जाट जंगल मत छेड़िये, हाट्यां बीच किराड़।
रंघड़ कदे न छेड़िये, जद द करै बिगाड़।
• जाट जंवाई भांणजो, रैबारी सूनार।
कदे न होसी आपणा, कर देखो व्योहार।
• जाट जठे ठाठ।
• जाट जडूलै मारिये, कागलिये नै आलै।
मोठ बगर में पाड़िये, चोदू हो सो बालै।
• जाट जाट तेरो पेट बांको, कह, मैं ऐ मैं ई दो रोटी राबड़ी अलजा ल्यूंगो।
• जाट डूबै धोली धार, बाणियो डूबै काली धार।
• जाटणी की छोरी र भलकै बिना दोरी।
• जाट न जायो गुण करै, चणैं न मानी बाह।
चन्नण बिड़ो कटायकी, अब क्यूं रोवै बराह।
• जाट रै जाट! तेरै सिर पर खाट, कह, मियां रै मियां! तेरै सिर पर कोल्हू, कह, तुक तो मिली ना, कह, बोझ्यां तो मरैगो।
• जाण न पिछाण मैं लाडा की भुवा।
• जाण मारै बाणियूं, पिछाण मारै चोर।
• जातरी धाणकी र कैवे भींट्योडो को खावूं नी।
• जातै चोर का झींटा ही चोखा।
• जावण लाग्या दूद जमै।
• जावो कलकत्तै सूं आगै, करम छांवली सागै।
• जावो भांव जमी के ओड़, यो ई माथो यो ई खोड़।
• जावो लाख रहो साख।
• जायां पहलां न्हाण किसो?
• जिकै गांव नहीं जांणू, ऊंको गैलोही क्यूं पूछणूं?
• जिण का पड्या सुभाव क जासी जीव सूं।
नीम न मीठो होय, सींचो गुड़ र घींव सूं।
• जितणै की ताल कोनी, उतणै का मजीरा फूटगा।
• जितणा मूंडा, उतणी बात।
• जिसी करणी, उसी भरणी।
• जींकै घर में दूजै गाय, सो क्यूं छाछ पराई जाय?
• जीं हांडी में सीर नई, बा चडती ई फूटै।
• जीं की खाई बाजरी, ऊंकी भरी हाजरी।
• जी को चून, ऊंको पुन्न।
• जी को बाप बीजली सै मरै, बो कड़कै सैं डरै।
• जी नै देख्यां ताप आवै, बो ही निगोड़्यो ब्यावण आवै।
• जीबड़ल्यां घर ऊजड़ै, जीबड़ल्यां घर होय।
• जीभड़ली मेरी आलपताल कडकोला खा मेरो लाड़लो कपाल।
• जीम्यां पाछै चलू होय है।
• जीम्यांर पातल फाड़ी।
• जीव को जीव लागू।
• जीवतड़ा नहीं दान, मर्यांने पकवान।
• जीवतां लाख का, मर्यां सवा लाख का।
• जीवती मांखी कोन्या गिटी जाय।
• जीवैगा नर तो करैगा घर।
• जीवो बात को कहणियुं जीवो हुंकारा दीणियुं।
• जी हांडी में खाय, बी में ही छेद करै।
• जुगत जाणनुं हांसी खेल कोनी।
• जुग देख जीणुं है।
• जुग फाट्यां स्यार मरै।
• जूती चालैगी कतीक, कह, बीमारी जाणिये।
• जे टूट्यां तो टोडा।
• जेठ गल्यो गूजर पल्यो।
• जेठ जी की पोल में जेठ जी ही पोढ़ै।
• जेठ बीती पहली पड़वा, जो अम्बर धरहड़ै।
आसाढ सावण काड कोरो, भादरवै बिरखा करै।
• जेठ मूंगा सदा सूंगा।
• जेठा अन्त बिगाड़िया, पूनम नै पड़वा।
• जेठा बेटा भाई बराबर।
• जेठा बेटा र बेठा बाजरा राम दे तो पावै।
• जेबां घाल्या हाथ जणा ही जाणिया, रुठ्योडो भूपाल क टूठ्या बाणियां।
• जेर सैंई सेर हुया करै है।
• जेवड़ी बलज्या पण बल कोनी जाय।
• जै की चाबै घूघरी, बैंका गावै गीत।
• जैं की टाट, जैं की ही मोगरी।
• जैतलदे बिना किसो रातीजुगो।
• जै तूं गेरैगो तोड़-मरोड़, मैं निकलूं गी कोठी फोड़।
• जै धन दीखै जावतो, आधो दीजै बांट।
• जै बाण्या तेरे पड़ गया टोटो, बड़जया घी का कोटा में, खीर खांड का भोजन करले, यो भी टोटा टोटा में।
• जै भीज्यो ना काकड़ो तो क्यां फेरै हाली लाकड़ो?
• जै रिण तारे बाप को तो साडा मूंग बुहाय।
• जैसा कंता घर भला, वैसा भला विदेश।
• जोजरै घड़ै ही जोरी अवाज।
• जी जोड़ै सो तौड़ै।
• ज्यादा लाड सै टाबर बिगड़ै।
• ज्यूं-ज्यूं बड़ो हुवै ज्यूं-ज्यूं पत्थर पड़ै है।
• ज्वर जाचक अर पावणो, चोथे मंगणहार।
लंघण तीन कराय दे, कदे न आसी द्वार।
• झखत विद्या, पचत खेती।
• झगड़ै ही झगड़ै तेरो कींणू तो देख।
• झगड़ो अर भेंट बधावै जितनी ई बधै।
• झट काढी पट बाई।
• झलकणै सूं सोनी कोनी होय।
• झूठ की डागलां तांई दोड़।
• झूठ बिना झगड़ो नहीं धूल बिना घड़ो नहीं।
• झूठ बोलणियों र धरती पर सोवणियों संकड़ेलो क्यूं भगतै?
• झूठी राख छाणी, ल्हादी न दाजी धांणी।
• झूठै की के पिछाण, कै बो सोगन खाय।
• झैर नै झैर मारै।
• टका लेगी ऊर कूंडो फोड़गी।
• टकै की हांटी फूटी, गंडक की जात पिछाणी।
• टकै-टकै न्यूत है।
• टपकण लागी टापरी, भीजण लागी खाट।
• टक्को टूंसी एक न यार, तोरण मारण होग्यो त्यार।
• टक्को लाग्यो न पातड़ी, घर में भू दड़कदे आ पड़ी।
• टांडो क्यूं हो? कै सांड हां। गोबर क्यूं करो? कै गऊ का जाया हां।
• टाटी कै घर नै फेरतां के बार लागै?
• टाबर है पण बड़ा का कान कतरै।
• टाबरां की टोली बुरी, घर में नार बोली बुरी।
• टुकड़ा दे दे बछड़ा पाल्या, सींग हुया जद मारण चाल्या।
• टूट गई डाली, उड़ गया मोर। धी मरी, जंवाई चोर।
• टूटतै आकास कै बलो कोनी लागै।
• टूटी की बूटी कोनी।
• टूटी नाड़ बुढापो आयो, टूटी खाट दलिद्दर छायो।
• ठंडो लोह ताता नै काटै।
• ठठेरै की बिल्ली खुड़कां सै कोनी डरै।
• ठगां कै ठग पावणा।
• ठग्यां ठग, ठगायां ठाकर।
• ठांगर कै हेज घणूं, नापीरी कै तेज घणूं।
• ठाकर आया ए ठुकराणी! चूले आग न पंडै पाणी।
• ठाकर गया अर ठग रह्या मुलक का चोर।
बै ठुकराणी मर गई, जणती ठाकर और।
• ठाकर तो कूलै मांड्योड़ो बी बुरो।
• ठाकर व्है वो जाण समज्झै अक्खरां। सीरोही तरवार बहे सिर बक्करां।
• पातां सामी पांत क पैल परूसणा। एक दे करतार फेर क्या चावणा।
• ठाकरां ऊत गई। कह, गयां ही जाय है।
• ठाकरां की टाबर टीकर है? कह, भाई रे साले रे दो डावड़ा है। ठाकरां क्यूं गावो, कह, रोवण में ही कोनी धापां।
• ठाकरां खल खावो हो, कह, आ ही कुत्ता हूं खोसी है।
• ठाकरां गैर बखत कठे, कह, गैर बखत तो म्हे ही हां।
• ठाकरां, घोड़ी ठेका तीन देसी।
ठाकर यार तो पैली ही ठेकै आसी, दोय तो एकली देसी।
• ठाकरां ठाडा किसाक? कमजोर का तो बैरी ही पड्यां हां।
• ठाकरां धोला आवगा और भागो हो, कह, भाग-भाग तो धोला किया है, नहीं तो कालां में ही मार गेरता।
• ठाकरां, पूंचो पतलो दीखै है? कह, लाग्यां बेरो पड़सी।
• ठाकरां, ब्याया क कुवांरा? कह, आधा। आधा क्यूं? म्हे तो त्यार हां, आगलो मिल ज्याय तो पूरा हो ज्यावां।
• ठाकरां भागो किसाक? कह, गैल की मार जाणिये।
• ठाकरां, मर्या सुण्या? कह, सांपरत खड्या हां नी।
• ठाडा का दो बांटा।
• ठाडै कै धन को बोजो-बोजो रूखालो है।
• ठाडै को ठींगो सिर पर।
• ठाडै को डोको डांग नै फाड़ै।
• ठाडै हीणै का दोय गैला।
• ठाडो मारै अर रोवण भी कोन्या दे।
• ठाली ठुकराणी पेई मं हाथ जाय।
• ठाली बैठी डोकरी, घर में घाल्यो घोड़ो।
• ठालै बैठ्यां सूं बेगार भली। (ठालफ सैं बेगार भली)
• ठिकाणे ठाकुर पूजीजै।
• ठिकाणै सै ई ठाकर बाजै।
• ठोकर खार हुंस्यार होय।
• डर तो घणै खाये को है।
• डाकण अर जरख चढी।
• डाकण बेटा ले क दे?
• डाकणां के ब्यावां में नूतारां का गटका।
• डाकणां सै गांव का नला के छाना है।
• डाडी कै लाग्यां आपके पहलां बुझावै।
• डिगमरां कै गांव में धोबी को के काम?
• डूंगर चढ़तो पांगलो, सीस अणीतो भार।
• डूंगर तो देखै बा का ही होय है।
• डूंगर बलती दीखै, पगां बलती कोनी दीखै।
• डूंगरां नै छाया कोनी होय।
• डूबतो सिंवालां न हाथ घालै।
• डूमकी जाणै तो बखाणै।
• डूम गाय-गाय मरै, धणीड़ै कै भांवै ही कोन्या।
• डूमणी रे रोवण में ही राग।
• डूर्मा आडी डोकरी, बलदां आडी भैंस।
• डेड घड़ा अर डीडवाणु पाऊं।
• डेढ छैल की नगरी में ढाई छैल आयो है, ठग्गैगो, ठगावैगो नहीं।
• डोकरी मुसाण कैंका? आये गये का?
• डोकरी र राज कथा कोय।
• ढक्योड़ो मत उघाड़ और बू घर तेरो ई है।
• ढबां खेती, ढबां न्याव।
• ढल्यो घोटी, हुयो मांटी।
• ढींगा कतरा ही घलाले, पतासो एक घालूं ना।
• ढेढ को मन लह्यावड़ै में।
• ढेढणी और रावलै जा आई।
• ढेढ नै सुरग में भी बेगार।
• ढेढ रे साथे धाप र जीमो भांवै आंगली भर कर चाखो।
• ढेढ रो पल्लो लगावो, भांवै बाथे पड़ो।
• ढेढां री दुरसीस सूं दाव थोड़ा ही मरै।
• ढोसी का डूंगर चीकमा होता तो नारनोल का कुत्ता कदेस का चाट ज्याता।
• तंगी में कुण संगी?
• तड़कै तो ल्यो चकांचक? कह, कैं कै? कह, आ भी सांची है!
• तरवार को घाव भर ज्या, बात को कोनी भरै?
• तलै तो हूँ पर ऊपर टांग मेरी ई है।
• तवै की काची नै, सासरै की भाजी नै कठेई ठोड कोनी।
• तवै चढ़ै नै धाड़ खाय।
• ताण्यां तेरै मांय बास आयै है, कह, मेरी बासो बी कठे है।
• ताण्यूं कुणसी पोसांका में।
• ताता पाणी सैं कसी बाड़ बलै?
• तातो खावै छायां सोवै, बैंको बैद पिछोकड़ रोवै।
• ताली लाग्यां तालो खुलै।
• तावलो सो बावलो।
• तिरिया चरित न जाणे कोय, खसम मारके सत्ती होय।
• तिल देखो, तिलां की धार देखो।
• तीज त्युंहारां बावड़ी, ले डूबी गणगौर।
• तीजां पीछै तीजड़ी, होली पाछै ढूंढ।
फेरां पाछै चुनड़ी, मार खसमकै मूंड।
• तीतर कै मूंडै कुसल है।
• तीतर छोड बणी में दीया, भटजी हो गया नीराला।
• तीतर पंखी बादली, विधवा काजल रेख।
बा बरसै बा घर करै, ई में मीन न मेख।
• तीन तेरा घर बिखरै।
• तीन बुलांया तेरा आया, भई राम की बाणी।
राधो चेतन यूं कहै, द्यो दाल में पाणी।
• तीन सुहाली, तेरा थाली, बांटण वाली सतर जणी।
• तीसरे सूखो आठवैं अकाल।
• तुरकणी कै रांध्योड़ा में कसर?
• तुरकणी कात्योड़े में ही फिदकड़ो।
• तूं आंटीली मैं अणखीली क्यूंकर होय खटाव?
• तूं ई गांव को चोधरी, तूं ई नम्बरदार।
• तूं क्यूं लाडो उणमणी तेरै सेलीवालो साथ।
• तूं खत्राणी मैं पाडियो, तूं बेस्या मैं भांड।
तेरे जिमाये मेरे जीमणै में पत्थर पड़ियो रै रांड।
• तूं डाल-डाल मैं पात-पात।
• तूं बी राणी मैं बी राणी, कूण भरै पैंडे को पाणी?
• तू आवे ढिग एक बार तो मैं आऊं ढिक अट्ठ।
तू म्हां सै करड़ो रहै तो म्हे बी करड़ा लट्ठ।
• तू काणूं मैं खोड़ो, राम मिलायो जोड़ो।
• तू चालै तो चाल निगोड्या, मैं तो गंगा न्हाऊंगी।
• तू रोवे है छाक नै, मैं बूझण आई कै उधारो की कै ऊँ ल्याऊं।
• तेरा मेरा दो गैला।
• तेरी आंख में ताकू द्यूं हूं, कायर मना हुए।
• तेरी मेरी बोली में ई को सलै ना।
• तेरै ल्होड़िये नै न्यूतो है, कह, मेरै तो सगला ढाई सेर्या है।
• तेल तो तिल्यां में सै ही निकलसी।
• तेल बलै बाती बलै, नांव दिवा को होय।
• तेल बाकला भैंरू पूजा।
• तेली की जोरू ल्हूखो क्यूं खाय?
• तेली सूं खल ऊतरी, हुई बलीतै जोग।
• थारी म्हारी बोली में, इतरो ही फरक्ख।
तू तो कहै फरेस्ता र मैँ कहूं जरक्ख।
• थावर की थावर ही किसा गांव बलै है।
• थोथो चणो बाजै घणो।
• थोथो संख पराई फूंक सैं बाजै।
• दगाबाज दूणू नवै, चीतो चोर कबाण।
• दगो कैंको सगो नहीं।
• दबी मूसी कान कटावै।
• दमड़ां को लोभी बातां सै कोनी रीझै।
• दमड़ी का छाणा धुआंधार मचाई।
• दलाल कै दिवालो नहीं, महजीत कै तालो नहीं।
• दसां डावडो, बीसां बावलो, तीसां तीखो, चालीसां चोखो। पचासां पाको, साठां थाको, सतरां सूलो, अस्सी लूलो। नब्बे नांगो सोवां तो भागी ई भागो।
• दांत दरांतो दायमो, दारी और दरबान।
ये पांचू दद्दा बुरा, पत राखै भगवान।
• दांत भलांई टूच ज्यावो, लो कोनी चबै।
• दांतला कसम को रोवता को बेरो पड़ै न हांसता को।
• दाई सै पेट छानो कोनी।
• दाता दे, भंडारी को पेट बलै।
• दाता सैं सूम भलो, जो झट दे उत्तर देय।
• दादू दुवारा में कांगसियां को के काम?
• दादो असो सावो काढ्यो के जान दिन कै दिन आई रही।
• दादो घी खायो, म्हारी हथेली सूंघल्यो।
• दान की बाछी का दांत कुण देख्या?
• दाणै दाणै म्होर-छाप है।
• दाल भात लम्बा जीकारा, ऐ बाई! परताप तुम्हारा।
• दास सदा उदास।
• दिन आयां रावण मरै।
• दिन करै सौ बैरी कोन्या करै।
• दिनगे को भूल्योड़ो संज्या घरा आज्याय तो भूल्योड़ो कोनी बाजै।
• दिन जातां बार कोनी लागै।
• दिन दीखै न फूड़ पीसै।
• दिलां का दिल साईदार है।
• दिल्ली की कमाई, दिल्ली में लुटाई।
• दिल्ली में रह कर भी भाड़ झोंकी।
• दीपक कै भांवै नहीं, जल जल मरै पतंग।
• दीवा बीती पंचमी, जो शनि मूल पड़न्त।
बिवणा तिवणा चौगणा, महंगा नाज करन्त।
• दीवा बीती पंचमी, मूल नछतर होय।
खप्पर ले हाथां फिरै, भीख न घालै कोय।
• दीवा बीती पंचमी, सोम शुकर गुरु मूल।
डंक कहे हे भड्ड़ली, निपजे सातूं तूल।
• दीवाली का दीवा दीठा, काचर बोर मतीरा मीठा।
• दुखां को भांडो, नांव सदासुखराय।
• दुनिया की जीभ कुण पकड़ै?
• दुनिया दुरंगी है।
• दुनिया देखै जैसी कह दे।
• दुनिया नै कुण जीतै?
• दुनिया पराये सुख दुबली है।
• दुनिया में दो गरीब है, कै बेटी, कै बैल।
• दुनिया है अर मतलब है।
• दुश्मन की किरपा बुरी, भली सैन की त्रास।
आर्डग कर गरमी करे, जद बरसण की आस।
• दूजवर की गोरड़ी, हाथां परली मोरड़ी।
• दग्गड दग्गड खाऊंगी, बोलैगो तो मारूंगी मर ज्याऊंगी।
• दूद दयां का पावणां, छाछ नै अणखावणा।
• दूध को दूध पाणी को पाणी।
• दूध चुंघावै मायड़ी, नांव धाय को होय।
• दूध पीती बिलाई गंडकड़ां मैं जा पड़ी।
• दूध बेचो भांवै पूत बेचो।
• दूध भी धोलो, छाय भी धोली।
• दूध बी राख, दुहारी भी राख।
• दूध हाली की लात बी सहणी पड़ै।
• दूबड़ी तो चरवाटै ही हो छै।
• दूबलै पर दो लदै।
• दूबली पर दो साढ़।
• दूबली खेती घणै नै मारै।
• दूबलो धीणूं दूसरा की छाय सै खोवै।
• दूबलो जेठ देवरां बराबर।
• दूर का ढोल सुहावणा लागै।
• दूर जंवाई फूल बरोबर, गांव जंवाई आदो।
घर जांवई गधै बरोबर, चाये जितणो लादो।
• दूसरां कै घरां च्यार खाटां पर कमर खुलै।
• दूसरों को माल तूंतड़ा की धड़ में जाय।
• दूसरां पर बुरी चीतै जणा आप पर ई पड़ै।
• दूसरै की थाली में घणू दीखै।
• देखते नैणां, चालते गोड़ां।
• देख पराई चूपड़ी मत ललचावै जी।
ल्हूखी-सुखी खाय कर ठंडो पाणी पी।
• देख पराई चोपड़ी, पड़ मर बेईमान।
दो घड़ी की सरमा सरमी, आठ पहर आराम।
• देख्या ख्याल खुदाय का, किसा रचाया रंग।
खानजादा खेती करै तेली चढै तरंग।
• देख्यां-देखी साधै जोग, छीजै काया, बधै रोग।
• देख्या देस बंगाला, दांत लाल मूं काला।
• देख्यो नांही जैपरियो, कल में आकर के करियो।
• देणूं अर मरणूं बराबर है।
• देबा नै लेबा नै रामजी को नांव है।
• दे रै पांड्या असीस, मैं के देऊं, मेरी आत्मा ही देसी।
• देव जिसाई पुजारा।
• देव देख्या अर जात पुरी हुई।
• देवां सै दाना बड्डा होय है।
• देसी चोरी, परदेशी भीख।
• देस जिसाई भेस।
• देसी कुतिया, बिलायती बोली।
• दो तो चून का भी बुरा।
• दो दाणा की खातर घोड़ी बेची जायगी के?
• दोनूं हाथ मिलायां ही धुपै।
• दोयती तो कुंआरो डोलै, नानी का नो-नो फेरा।
• दो बुरां बुराई हुवै।
• दोय दोय गयंद न बंधसी, एकै कंबू ठाण।
• दोय मूसा दोय कातरा, दोय टीडी दोय ताव।
दोय री बादी जल हरै, दोय बीसर दो बाव।
• दोय लड़ै, जठे एक पड़ै।
• दौलत सूं दोलत बधै।
• दो सावण, दो भादवा, दो कातिक, दो मा।
ढांडी-ढोरी बेच करं, नाज बिसावण जा।
• घड़ी को सिर हाल दियो, ढीयै को जबान कोनी हलाई।
• घणी की कांच दाबण गई, आ पड़ी आपकी।
• घणी रे घणी म्हारा निघण घणी। तूं बैठ्यां म्हारै चिन्ता घणी।
• धन को तेरा, मकर पचीस, जाड़े दिन, दो कम चालीस।
• धन खेती, धिक चाकरी।
• धन दायजा बहगा, छाती फूटा रहगा।
• धन धणिया को गुवाल कै हाथ में लकड़ी।
• धनवन्ता कै कांटो लाग्यो, स्हाय करी सब कोय।
निरधन पड्यो पहाड़ सूं, बात न पूछी कोय।
• धनवान को के कंजूस अर गरीब को के दातार।
• धरतियां सोवणियूं संकड़ेल क्यूं भुगतै?
• धरती परै सरक ज्याए, छैला पांव धरैंगा ए।
• धरम की जड़ सदा हरी।
• धरम को धरम, करम को करम।
• धान पुराणा धृत नया, त्यूं कुलवन्ती नार।
चौथी पीठ तुंरग की, सुरक निसानी चार।
• धानी धन की भूख क साका की?
• धाया तेरी छा राबड़ी, तेरै गंडकड़ां सैं तो कढ़ाय।
• धायो जाट गाड़ी रो बाद काढ़ै।
• धायो धपनूं पेदी हाला पग करै।
• धायो मीर, भूखो फकीर, मर्यां पाछै पीर।
• धायो रांगड धन हरै, भूखो तजै पिराण।
• धीणोड़ी कै सागै हीणोडी मर ज्यावै।
• धीणूं भैंस को, हो भांवै सेर ही।
• धीरे धीरे ठाकरां, धीरे सब कुछ होय।
माली सीँचै सो घड़ा, रुत आयां फल होय।
• धूल खायां किसो पेट भरै?
• धूल धाणी, राख छाणी।
• धेला की न्यूतार, थांम कै बांथ घालै।
• धेलै की हांडी फूटी, गंडक की जात पिछाणी।
• धोती में सब उघाड़ा है।
• धोबण सै के तेलण घाट, ऊंकै मोगरी, ऊंकै लाठ।
• धोबी की हांते गधो खाय।
• धोबी कै घर में बड़गा चोर, डूब्या और ई और।
• धोबी कै बसो चाहै कुम्हार कै, गधो तो लदसी।
• धोबी को गधो घर को न घाट को।
• धोबी को गधो, स्वामी की गाय।
राजा को नोकर, तीनूं गत्तां से जाय।
• धोबी बेटा चान-सा, चोटी न पट्टा।
• धोलै पर दाग लागै।
• नंदी परलो रुंखड़ो-जद, कद होण विलास।
• नई नो दिन, पुराणी सो दिन।
• नकटा देव, सूरजा पूजारा।
• नकटा, नांक कटी, कह, मेरी तो सवा गज बधी!
• नकटी-बूची को जागी खसम।
• न कोई की राई में, न कोई की दुहाई में।
• नखरो नायण को, बतलावणों ब्यावण को।
• नगद नाणा, बीन परणै काणा।
• नगारा में तूती की आवाज कुण सुणै?
• नट-विद्या आ ज्याय पण जट-विद्या कोनी आवै।
• नणद को नणदोई गलै लगाकर रोई, पाछै फिर कर देख्यो तो सगो न सोई।
• नथ खोई नणद नैं दीनी।
• नदी किनारै बैठ की क्यूं न हाथ पखालै?
• न नो मण तेल होय, न राधा नाचै।
• न भेवै काकड़ो तो क्यूं टेरै हाली लाकड़ो?
• नयी जोगण काठ की मुद्रा।
• नयो बलद खूंटो तोड़ै।
• न नानेरै, घोड़ो दादेरै।
• नर में नाई आगलो, पंखेरू में काग, पाणी मांगो काछबो, तीनूं दग्गाबाज।
• नरुका नै नरूको मारै, के मारै करतार।
• नवै चन्द्रमा नै सै राम-राम करै।
• नष्ट देव की भ्रष्ट पूजा।
• नसीब की खोटी, प्याज और रोटी।
• नांव गंगाधर, न्हावै कोनी उमर में।
• नांव तो बंशीधर, आवै कोनी अलगोजो बजाणूं ही।
• नांव धापली, फिरै टुकड़ा मांगती।
• नांव मोटा, घर में टोटा।
• नांव राखै गीतड़ा के भींतड़ा।
• नांव लिछमीधर, कन्नै कोनी छिदाम ही।
• नांव लियां हिरण खोड़ा होय।
• नांव लेवा न पाणी देवा।
• नांव विद्याधर, आवै कोनी कक्को ही।
• नांव सीतलदास, दुर्वासा-सो झाली।
• नांवच हजारीलाल, घाटो ग्यारा सै को।
• नाई की परख नूंवां में है।
• नाई दाई बैद कसाई, इण को सूतक कदे न जाई।
• नाई नाई, बाल कताक? कह, जजमान! मूंडै आगे आ ज्याय है।
• नाई बामण कुत्तो, जाते देख हू हूकरतो।
• नाई हालो ठोलो, बाणिया हालो टक्को।
• ना कोई सैं दोसती, ना कोई सै बैर।
• नागां का रामजी परो कर गैला होबो करै है।
• नागाई को लाल तुर्रो।
• नागा को लाय में के दाजै?
• नागी के धोवै अर के निचोवै?
• नागा बूचो, सै सैं ऊंचो।
• ना घर तेरा, ना घर मेरा, एक दिन होगा जंगल डेरा।
• नाचण ई लागी जब घूंघट क्यां को?
• नाचूं क्यां? आंगणूं बांको।
• नाजरली, जेल बधो। कै बस म्हां ताणी ही है।
• नाजुरतिये की लुगाई, जगत की भोजाई।
• नाजो नाज बिना रह न्याय, काजल टीकी बिना कोनी रवै।
• नाड़ां टांकण बलद बिकावण, तू मत चालै आधै सावण।
• नादान की दोस्ती जीव का जंजाल।
• नादीदी का नो फेरा।
• नादीदी कै लोटो हुयो, रात्यूं उठ-उठ पाणी पियो।
• नादीदी कै हुई कटोरी, पाणी पी-पी पदोरी।
• नादीदी को खसम आयो, दिन में दीओ जोयो।
• नाना मिनख नजीक, उमरावां आदर नहीं। बीं ठाकर नै ठीक, रण में पड़सी राजिया।
• नानी कसम करै, दूयती नैं डंड।
• नानी रांड कुंवारी मरगी, दोयती का नो-नो फेरा।
• नापै सो गज, फाड़ै कोन्या एक गज।
• नामी चोर मार्यो जाय, नामी साह कमा खाय।
• नायां की जनेत में सब क ई ठाकर।
• नारनोल की आग पटकीड़ो दाजै।
• नारां का मूंडा कुण धोया है?
• नारी को एक बी चोखो, सूरी का बारा बी के काम का?
• नारी नर की खान।
• नाहर ने रजपूत ने रेकारे री गाल।
• निकमो नाई पाटड़ा मूंडै।
• निकली होठां, चढ़ी कोठां।
• निकासी कै बखत घोड़ो चाये, कै फिरतो सो आजे।
• नीचो कर्यो कांधो, देखण हालो आंधो।
• नीत गैल बरकत है।
• नीम तलै सोगन खा ज्याय, पीपल तलै नट ज्याय।
• नीम न मीठ होय, सींचो गुड़ धीव सै, जिणका पड्या सुभाव क जासी जीव सै।
• नेकी-बदी साथ चालै।
• नेम में निमेख घटै, सीख में मुजरो घटै।
• नेम निमाणा, धर्म ठिकाणा।
• नोकर खाय ठोकर।
• नोकर मालिक का हां क बैंगण का?
• नोकरी की जड़ धरती सैं सवा हाथ ऊंची।
• नोकरी ना करी।
• नोकरी है क भाई-बन्दी?
• नो नेसां, दस केसां।
• नो पूरबिया, तेरा चोका।
• नो पेठा तेरा लगवाल, घोड़तै नै लेगो कोतवाल।
• नो सौ मूसा मार कर बिल्ली गंगाजी चली।
• न्यारा घरां का न्यारा बारणा।
• न्हाये न्हाये ई पुण्य।
• पंच परमेसर होय है।
• पंचां की बात सिर माथै, पर म्हारलो नालो अठी कर ई भवैगो।
• पग कादै में अर जाजम पर बैठबा दे।
• पगां पांगली, नांव फुदकी।
• पगां में लीतरा, कांधै पर डुपट्टो।
• पगां सैं गांठ दियोड़ी हाथां सै कोनी खुलै।
• पड़ पड़ कै ई सवार होय है।
• पड़ै ऊंट पर सै रूसै भाड़ैती सै।
• पढ्योडो पूछै है क दायमूं?
• पढ्यो तो है पण गुण्यो कोनी।
• पतली छाय खाटा सैं क्यूं खोवै?
• पर घर लागी पून ज्यूं आवै, घर लागी कित जाय?
• पर नारी पैनी छुरी, तीन ओड सै खाय।
धन छीजै, जोबन हरै, पत पंचा में जाय।
• परभाते गेह डंबरा, सांजे सीला बाव।
डंक कहै हे भड्डली, काला तणा सुभाव।
• परभाते गेह डंबरा, दोफारां तापन्त।
रातूं तारां निमला, चेलाकरो गछंत।
• परमात्मा घणदेबो है।
• परमारथ के काम में क्यां को पूछणुं?
• पराई खीचड़ी गहणै मेल्यो जीव।
• पराई खाई खीचड़ी में घी घणीं दीखै।
• पराई पीर परदेस बराबर।
• परया पूत कमाई थोड़ाई घालै।
• परायी आस जाय निरास, आपकी आस भोग-विलास।
• पवन गिरी छूटै परवाई, ऊठे घटा छटा चढ़ आई। सारो नाज करे सरसाई, घर गिल छोलां इन्द्र धपाई।
• पहलां चाबां घूघरी, पाछै गावां गीत।
• पहलां बाबजी फूटरा घणा, फेर टाट मुंडाली।
• पहलां लिख कर पाछै देय, भूल पड्यां कागद सैं लेय।
• पहली कहदे जिको घणखाऊ कोनी बाजै।
• पहली पड़वा गाजै तो दिन भैतर की बाजै।
• पहली पेट पूजा, फेर काम दूजा।
• पहली रहतो यूँ तो तमियो जातो क्यूं।
• पहली रोहण जल हरे, बीजी बहोतर खाय, तीजी रोहण तिण हरै, चौथी समन्दर जाय।
• पहलो सुख नीरोगी काया, दूजो सुख हो घर में माया, तीजो सुख पुत्र अधिकारी, चोथो सुख पतिव्रता नारी, पांचवों सुख राजा में पासा, छठो सुख सुस्थाने बासा, सातवों सुख विद्याफलदाता, ए सातूं सुख रच्या विधाता।
• पांगली अर परबत लांघै।
• पांगली डाकण घरकां नै ही खाय।
• पांच आंगलियां पूंज्यो भारी।
• पांच पंच छट्ठो पटवारी, खुल्ला केस चुरावै नारी।
घिरतो फिरतो दातण करै, जैंका पाप सैं कीड़ा मरै।
• पांच पंच मिल कीजै काज, हारे जीत आवे न लाज।
• पांच सात की लाकड़ी एक जणै को मार।
• पांचू आंगली एक सी कोनी होय।
• पाँच बाई पांच ठोड, मोको आयां एक ठोड।
• पांत में दुभांत क्यां की?
• पांव उभाणै जायसी, कोडी धज कंगाल।
• पांवरी कुत्ती, पकवानी रुखाली।
• पांवरी कुत्ती, पूंछ में कांगसियो।
• पांवरी सांड, नारनोल को भाड़ो।
• पांवरी सांड, पकवानी की भूखी।
• पांवरी सांड बनाती कूंची।
• पांवरी सांड, लुहागरजी को भाड़ो।
• पाखी हालो पहली करकै।
• पाडै को अर पराई जाई को राम बेली।
• पाणी तो निवाण में जाय।
• पाणी पीकर के जात पूछणी?
• पाणी पीवै छाण, सगपण कीजै जाण।
• पान पड़ंतो यू कहै, सून तरुवर बनराय।
इबका बिछड्या कद मिलां, दूर पड़ांगा जाय।
• पानी पाला पादसा, उत्तर सूं आवै।
• पापी की पाण आये बिना कोनी रैवै।
• पाप को घड़ो भर कर फूटै।
• पापी कै मन में पाप बसै।
• पापी को धन परलै जाय।
• पापी नाव डुबोवै।
• पाव चून, चोबारै रसोई।
• पाव बीगा धरती, जी में अड़ावो न्यारो।
• पिरवा पर पिछवा फिरै, घर बैठी पणिहार भरै।
• पिव बिन किसा तिंहवार।
• पिसारी कै तो चावण कोई लावो।
• पीपल तलै हां भर कर कीकर तलै नट ज्याय।
• पीरकां की आस करै, जकी भाईड़ा नै रोवै।
• पीरा ल्यावैं दांतली, घरां कुहाड़ी जाय।
• पीसां की खीर है।
• पीसै कनै पीसो आवै।
• पीसैगी सो तो पिसाई लेगी।
• पीसै हाली को बेटो झूंझणिए सै खेलै।
• पीसो पास को, हथियार हाथ को।
• पीसो बोझां कै कोनी लागै।
• पीसो माई, पीसो बाप, पीसो बिना बड़ो सन्ताप।
• पीसो हाथ को मैल है।
• पुजारी की पागड़ी, ऊंटवाल की जोय।
बेजारा की मोचड़ी, पड़ी पुराणी होय।
• पुराणी बहल अर चिमकणा नारा।
• पुल का बाया मोती निपजै।
• पूछता नर पंडित।
• पूत का पग पालणै ही दीख्यावै।
• पेट की आग बुझती सी बुझै।
• पेट कै आगै ना है।
• पेट कै दर्द को माथा नै के बेरो?
• पेट टूटै तो गोडां नै भारी।
• पेट पिरोत मुंह जजमान।
• पैरण नै घाघरो ई कोन्यां, नांव सिणगारी।
• पोता भू की राबड़ी, दोयता भू की खीर।
मीठी लागे राबड़ी खाटी लागै खीर।
• पोथा सैं थोथा हुआ, पिंडत हुया न कोय।
ढाई, अक्खर प्रेम का, पढ़ै सो पिंडत होय।
• पोही मावस मूल बिन, रोहिण (बिन) आखातीज।
श्रवण बिन सलूणियुं क्यूं बावै है बीज?
• फलको जेट को, बालक पेट को।
• फागण मर्द और ब्याह लुगाई।
• फागण में सी चोगणो, जै चालैगी बाल।
• फाटी घाघरी, रेसम को नाड़ो।
• फाटै नै सीमै ना, रूसै नै मनावै ना, ते काम कय्यां चालै?
• फाट्या कपड़ा मत देखो, घर दिल्ली है।
• फाड़णियै नै सीमणियुं कोनी नावड़ै।
• फिरै सो चरै, बंध्यो भूखां मरे।
• फूंकण जुगती जीब कोन्या निचली रहै।
• फूटे लाडू में सै को सीर।
• फूट्या बाग फकीर का, भरी चीलम ढुल ज्याय।
• फूट्यो घड़ो आवाज सै पिछाण्यू जांय।
• फूड़ (रांड) की फेरां तांई उच्छल।
• फूड़ कै घर हुई कुंवाड़ी, कुत्ता मिल चाल्या रेवाड़ी।
• काणै कुत्ते लीन्या सूण, करा तो ली पण ढकसी कूण।
• फूड़ को मैल फागण में उतरै।
• फूड़ चालै, नो घर हालै।
• फूलां फूलगी, गैल का दिन भूलगी।
• फेरां कै बखत कन्या तिसाई।
• फेरां के बखत दादी, बान बनौरे खाबा नै पोती।
• फोज कै अगाड़ी, घोड़ै कै पिछाड़ी।
• फोग आलो बी बलै, सासू सुदी भी लड़ै।
• फोज को आगे अर ब्याह को पाछो घणूं करड़ो हयो है।
• बंधी भारी लाख की, खुल्ली बीखर जाय।
• बंधी मूठी लाख को, खुल्ली मूठी राख की।
• बकरी छोड्यो ढाक, ऊंट छोड्यो आक।
• बकरी दूध तो दे पण मींगणी करकै।
• बकरी रोवै जीवन नै, कसाई रोवै मांस नै।
• बकरै की मां कद तांई खैर (कुसल) मनावै?
• बखत चल्यो जाय पण बात रै ज्याय।
• बखत नहीं बिणजै जको बाणियूं गंवार।
• बगल में सोटो, नाम गरीबदास।
• बटोड़ै में सैं तो ऊपला ई नीकलै।
• बडका जीता तो फोज भेली हो ज्याती।
• बड़ै लोगां कै कान होय, आंख नहीं।
• बड्डी भू का बड्डा भाग, छोटो बनड़ो घणो सुहाग।
• बडां की बड़ी ई बात।
• बड़ा घरां का बड़ा ई बारणां।
• बडी बडी बात, बगल में हाथ।
• बड़ी रातां का बड़ा ई तड़का।
• बड़े गांव जांऊ, बड़ा लाडू खाऊं।
• बड़ै रूंखां बड़ा डाला।
• बड़ो बड़कलो, बाणियूं, कांसी और कसार।
ताता ही नै तोड़िये, ठंडो करै बिकार।
• बणिया लिखैं, पढ़ै करतार।
• बणी बजावै बाणियूं।
• बदी असाढ़ी अष्टमी, नहीं बादल, नहिं बीज, हल फाडो इंधन करो, ऊभा चाबो बीज।
• बदी कोर सिर नीचो।
• बदी राम बैर।
• बरसै भरणी, छोड़े परणी।
• बलद ब्यावै तो कोनी बूडा तो होय।
• बलदां खेती घोड़ां राज, मरदां सुधरै पराया काज।
• बल बिना बुध बापड़ी।
• बाऊं तीतर, बाऊं स्याल, बाऊं खर बोलै असराल।
• बाऊं घू घू घूमका करै (तो) लंका को राज बिभीषण करै।
• बांका रहज्यो बालमा, बांकां आदर होय।
बांकी बन में लाकड़ी, काट न सक्कै कोय।
• बांझड़ी के जाणै जापै की पीड़?
• बांझ ब्यावै तो कोनी बूडी तो होय।
• बांट कर खाणा अर सुरग में जाणा।
• बांदी कैंका घोड़ा बकस दे?
• बांदी दूसरां का पग धोदे पण आपका को धोया जायं ना।
• बांध्यो तो बलद ई को रैवै ना।
• बावूं भलो न दाहिणो, ल्याली जरख सुनार।
• बांस चढ़ी नटणी कहै, हुयां न नटियो कोय, मैं नट कै नटणी हुई, नटै सो नटणी होय।
• बाई का फूल बाई ही लागगा।
• बाईजी पेट में सै तो नीकल्या पण हांडी में सै कोनी नीकूल्या।
• बाई सोवणी तो घणी ई है पण आंख में फूलो।
• बागल कै बागल पावणी, एक डाली कैं तूं भी लूमज्या।
• बाछड़ो खूंटै कै पाण कूदै।
• बाजरो सलियां, मोठ फलियां।
• बाजै अबला, पण छै प्रबला।
• बाजै टाबर, खाय बराबर।
• बाजै पर तान आवै।
• बाड़ के सहारै दूब बधै।
• बाड़ खेत नै खाय।
• बाड़ में मूत्यां कसौ बैर नीकलै? बाड़ में हाथ घालण सैं तो कांटो ही लागै।
• बाणिया की नांट बुरी, कातिक की छांट बुरी।
• बाणियूं के तो आंट में दे, के खाट में दे।
• बाणिये को बेटी नै मांस कै सुवाद को के बेरो?
• बाणियो खाट में तो बामण ठाठ में।
• बाणियो मेवा को रूंख है।
• बाण्यो लिखै, पढ़ै करतार।
• बात को चालणूं अर संजोग को पीवाणूं।
• बात में हुंकारो, फौज में नंगारो।
• बातां रीझै बाणियूं, गीता सैं रजपूत।
बामण रीझै लाडुवां, बाकल रीझै भूत।
• बादल कर गर्मी करै, जद बरसण की आस।
• बादल की छाया सै कै दिन काम सरै?
• बाद तो रावण का ई कोनी चाल्या।
• बादल में दिन दीखै, फूड़ दलै न पीसै।
• बान बनौरे पोती खाय, फेरां में बखत दादी जाय।
• बाप कै धन सींत को, बेटी नै देसी रीत को।
• बाप को मार्यो मानै पुकारै, पण मा को मार्यो की नै पुकारै?
• बाप चराया, बाछड़ा, माय उगाई बींत।
के जाणैगी बापड़ी, बड़ै घरां की रीत।
• बाप न मारी लूंगटी, बेटो गोलंदाज।
• बापमुई कहो चाहे मामुई।
• बाबाजी की झोली में जेवड़ा की नीकल्या।
• बाबाजी को बाबाजी, तरकारी को तरकारी।
• बाबाजी, थारा ही चरणा को परसाद है।
• बाबाजी धूणी तपो हो? कहो, भाया काय जाणै है।
• बाबाजी बछड़ा घेरो। कह, बछड़ा घेरता तो स्यामी क्यूं होता?
• बाबाजी भजन कोन्या करो।
बच्चो रोवण में ई कोन्या धापां।
• बाबाजी में गुण होसी तो आदेस करणियां घणा।
• बाबाजी संख तो सुदियां बजायो, कह, देव को न देव कै बाप को, टका नो काट्या है।
• बाबजी सरूप तो था ई, ऊपर सैं राखी रमाली।
• बाबो आयो चाये, छाहे छान फाड़ कर ही आओ।
• बाबो आवै न ताली बाजै।
• बाबो गयो नो दिन, नो आया एक दिन।
• बाबो गयो बीज नै, सिट्टा पाक्यां आयो।
• बाबोजी का भायला, कै गूजर कै गोड़!
• बाबो मर्यो टीमली जाई, रह्या तीन का तीन।
• बाबो सै ने लड़ै, बाबा नै कुण लड़ै?
• बाबो सीवै ऐं घर में, टांग पसारै ऊं घर में।
• बामण कह छूटै, बलद वह छूटै।
• बामण कुत्ता हाथी, कदे न जात का साथी।
• बामण कै हाथ में सोना को कचोलो है।
• बामण तो हथलेवो जुडावण को गर्जी है।
• बामण नाई कूकरो, जात देख घुर्राय; कायथ कागो कूकडो जात देख हरखाय।
• बामण नै दी बूढ़ी गाय, पुत्र हुयोन दालद जाय।
• बामण नै दे बूड़ी गाय, धर्म नहीं तो दालद जाय।
• बामण नै साठ बरस तांई तो बुध आवै कोन्या, पछै जा मर।
• बामण बचन परमाण।
गंगाजी को मींडकी गाय करके जाण।
• बामण को जी लाडू में।
• बामण सैं बामण मिल्यो, गैलला जलम का संस्कार।
देण-लेण नै कुछ नहीं, नमस्कार ही नमस्कार।
• बामण हाथी चढ्यो बी मांगै।
• बामण हीर को, गुर को न पीर को।
• बामणियुं बतलायो, लैरां लाग्यो आयो।
• बारठजी की घोड़ी हाली हुई।
• बारलै गांव की छोरी, लाडु बिना दोरी।
• बारह बरस तांई बेड़ी में रह्यो, घड़ी तांई थोड़ी ही तुड़ासी।
• बारा बरस सैं बांझ ब्याई, पूत ल्याई पांगलो।
• बारा बरस सै बाबो बोल्यो, बोल्यो पड़ै अकाल।
• बालक देखै हीयो, बूडो देखै कीयो।
• बालक राजा, सेइये, ढलती लीजे छांय।
• बाल खोस्यां मुरदा हलका कोनी होय।
• बाल सोनूं कान तोड़ै।
• बावलां का कसा गांव न्यारा होय है?
• बावला मरगा, ओलाद छोड़गा।
• बावली अर भूतां खदेड़ी।
• बावलो अर भांग पीली।
• बावै सो लूणै।
• बासी बचै न कुत्ता खाय।
• बाही को लणही, करही जो भरही।
• बिंदगा सो मोती।
• बिंदराबन में रहसी सो राधे गोविन्द कहसी।
• बिगड़ी तो चेली बिगड़ी बाबोजी तो सिद्ध का सिद्ध।
• बिडदायां बल आवै।
• बिणज करैला बाणिया और करैला रीस।
• बिणजी लाग्यो, बाणियूँ, चूंटी लागी गाय।
• बावड़ै तो बावड़ै, नहिं दूर निकल ज्याय।
• बिना खम्भा आकास खड्यो है।
• बिना ताल तूमरो कोनी बाजै।
• बिना तेल दिवो कोनी चसै।
• बिना पढ्यो दायमो, पढ्यो-पढ़ायो गौड़।
• बिना पींदै को लोटो चाहे जिन्ने गुड़ जाय।
• बिना बलदां गाडी कोनी चाले।
• बिना बाप को छोरो, बिगड़ै, बिना माय की छोरी।
• बिना मन का पावणां, थानै घी घालूं क तेल? बिना लिखै पावै नहीं बड़ी बस्त को भोग? बिना लूण का रांधै साग, बिना पेच का बांधै पाग।
• बिना कंठ का गावै राग, न सग, न साग, न राग।
• बित्त भर की छोकरी, गज बर की जीभ।
• बिभीछण बिना भेद कुण बतावै? बिरछां चढ़ किरकांट बिराजे, स्याह सफेद लाल रंग साजे।
• बिजनस पवन सूरिया बाजे, घड़ी पालक मांहे मेह गाजे।
• बिरडिये को गारड़ कोनी।
• बिलाई को मन मलाई में।
• दिल्ली नै कदै मंगल गातां देख्या ना।
• बिल्ली बजारिया तो घणां ई करै, पण गांव का कुत्त करण के जद ना।
• बीगड़्योड़ा तीवण कोनी सुधरै।
• बीघै-बीघै भूत अर-बिसवै-बिसवै सांप।
• बीजली को मार्योड़ो पलकां सैं डरै।
• बीत्या दिन नह बावड़ै, मुवा न जीवै कोय।
• बीन के मूंडै ही लाल पड़ै जद जनते के करै?
• बीन तो आयो ई कोनी अर फेरां की त्यारी।
• बीन तो बडो घणूं। कै और ना बडो होयो जाय है, अब तो जल्दी करो।
• बीन बजण सैं रह गई, टूट गया सब तार।
बीना बिचारी के करै, गया बजावणहार।
• बीन बीनणी छोटा-मोटा घर में कोनी थाली-लोटा।
• बीन बीनणी सावदान, घर में कोनी पांव धान।
• बीन मरो चाये बीनणी, बामण को टक्को त्यार।
• बुध बावणी, शुक्कर लावणी।
• बुढ़ापै की जावै मायतां नै घणी प्यारी लागै।
• बुध बिन विद्या वापड़ी।
• बुरी बुरी बामण कै सिर।
• बूची बाकरी खोड़ियो गुवाल।
• बूडां बरकत होय है।
• बूडा गिण्या न बालका, तड़को गण्योन सांझ।
जण जण को मन राखतां, वेश्या रहगी बांझ।
• बूडो बडेरो मर ज्याय जद के सामर सूनी हो ज्याय।
• बूढली कै घर में नार का बड़्यो। (बूढली कै घर में चोर बड़गो)
• बूढली नै पापड़ बेलता बोला दिन होगा।
• बूढै बाप नै अर बूढै बैल नै बाहलै जतो ही थोड़ो।
• बूढो हो चाहै ज्वान, हत्या तांई काम।
• बूरा का लाडू खाय सो बी पिस्तावै, न खाय सो बी पिस्तावै।
• बैई कसियां बैई साज, काल करी सो करल्यो आज।
• बेईमान का घोड़ा मैदान में थकै।
• बेटा जाय दालद ल्याया, बेटा हुआ स्याणा, दालद हुआ बिराणा।
• बेटियां की मा राणी, भरै बुढ़ापै पाणी।
• बेटी अर बलद जूडो कोनी गेर्यो।
• बेटी जाम जमारो हार्यो।
• बेटी रहै आप सैं, नई तो रहै न सागी बाप सैं।
• बेटी रूसै सासरै जाणनै, बेटो रूसै न्यारो होण नै।
• बेड़ा लिखिया ना टलै, दीया अंट बुलाय।
• बेमाता का घाल्योड़ा आंक टलै कोन्या।
• बै चिड़कली और देख जो भरड़ दे उड़ ज्याय।
• बैठणियां में बैठणियूँ, भागतडांके आगै।
• बैठतो बाणियो अर उठती मालण सस्तो बेचै।
• बैठी सूती डूमणी घर में घाल्यो घोड़ो।
• बैद की किसी रांड को होय ना?
• बैम की दारू कोनी।
• बैरागी रो जाम, कदै न आवै काम।
• बैरी न्यूत बुलाइया, कर भायां सैरोस।
आप कमाया कामड़ा, दई न दीजै दोस।
• बोई कुंहाड़ो अर बोई बैंसो।
• बोखी अर भूंगड़ा चाबै।
• बोड़ा घड़ा उघाड़ा पाणी, नार सुलखणी कय्यां जाणी। दाणा चाबै पीसती, चालै पल्ला घींसती।
• बोलै सोई बाछड़ा खोलै।
• बोळो बूझै बोळी नै, कै रांध्यो है होळी नै?
• बोल्या अर लाद्या।
• ब्या कर्यो काकै कोल्है, बो ऊंकै ओल्है बो ऊंकै ओल्है।
• ब्या बिगाड़ै दो जणां, के मूंजी के मेह।
बो पीसो खरचै नहीं, बो दड़ादड़ देह।
• ब्याया नहीं तो जनेत तो गया हां।
• भंगण अर भींटोय खाय है कोन्या।
• भंडार हालै, कुत्तै की-सी हुई।
• भगत जगत कूं ठगत।
• भगतण रो जायो कै नै बाप कैवै?
• भगवान तो बासना का भूखा है।
• भगवान दे जणा छप्पर फाड र दे दे।
• भगवानियूं इसो भोलो कोन्या जो भूखो गायां मैं जावैगो।
• भठियारी पलोथण कठै सैं लगावै?
• भड़भूज्यां की छोरी अर केसर का तिलक।
• भदरा जां घर लागसी, जां घर रिध और सिद्ध।
• भला जाया ए बापड़ी, के भाट अर के कापड़ी।
• भला भली प्रिथमी छै।
• भलै को बखत ई कोन्या।
• भलो आदमी आपकी भलाई सैं डरै, नागो जाणै मेरे सै डरै।
• भलो करतां बुरो होय है।
• भलो कर भलो होगो, सोदो कर नफो होगो।
• भवानी का लेख को टलै ना।
• भांखड़ी कै कांटा को आगड़ै तांई जोर।
• भांग भखण है सहज पण, लहरां मुसकल होय।
• भांग मांगै भूंगड़ा, सुलफो मांगै घी।
दारू मांगे जूतिया, खुसी हो तो पी।
• भाई कै मन भाई आयो, बिना बुलाये आपै आयो।
• भाई को भाई बैरी है।
• भाई नै भाई कोनी सुहावै।
• भाई बड़ो न भय्यो, सबसै बड़ो रूपप्यो।
• भाई बेटी तो ब्यावै ना अर कसर छोड़ै ना।
• भाई भूरा-लेखा पूरा।
• भाई री भीड़ भुआ सुं नी भागै।
• भाख फाटी, खोल-टाटी, राम देगो दाल, बाटी।
• भागां का बलिया, रांधी खीर, होया दलिया।
• भाग्यां पाछै बावड़ै बो बी मरद ई है।
• भाठैं सै भाठो भिड़्यां बीजली चिमकै।
• भाड़ै की गधी, घर-घर लदी।
• भाण कै घर भाई, अर सासरै जंवाई।
• भाण कै भाई गंडक, सासरै जुंवाई गंडक।
• भाण जांऊ जांऊ करै ही, बीरो लेण नै ही आयगो।
• भाण राड लडूंगी, कुराड नहीं लडूंगी।
• भादवै की रूत भली, भली घट बसन्त।
• भादरवे जग रेलसी, छट अनुराधा होय।
डंक कहे हे भड्डली, करो न चिंत कोय।
• भादू की छा भूतां नै, कातिक की छा पूतां नै।
• भाव को भाई के करै? भाव राखै सो भाई।
• भींत गैल मांडणा अर पोत गैल रंग।
• भींत गैल मांडणा आप ही आप आ ज्यावै।
• भींतड़ा नाम कि गीतड़ा नाम।
• भींत नै खोवै आलो, घर ने खोवै सालो।
• भीख सैं भंडर कोनी भरै।
• भीज्या कान हुआ असनान।
• भुवां मिस लिये अर भतीजी मिस दिये।
• भू आई सासू हरखी, पगां लागी पर परखी।
• भूख कै लगावण कोनी, नींद के बिछावण कोनी।
• भूख न देखै जूठ्या भात।
• भूखा की बावड्यावै पण झूठा की को बावड़ै ना।
• भूखा कै जान कोन्या।
• भूखै को थाली में पडयां ही इमान आवै।
• भूखै घर की छोरी अप भलकै बिना दोरी।
• भूखो ठाकर आक चाबै।
• भूखो तो धायां पतीजै।
• भूखो पूछै ज्योतसी, धायो पूछै बैद।
• भूखो बामण सोवै अर भूखो जाट रोवै।
• भूखो बाण्यो हंसै अर भूखा रांगड़ कमर कसै।
• भू घर तेरै स्हैर पण राखियो ढक्यो-ढूम्यो।
• भू घरियाणै की, अर गाय न्याणै की।
• भूतां के लाडुआं में इलायची को के स्वाद?
• भू परोस्सया कायंगा बि मारे मन ज्यायंगा।
• भू बछेरा डीकरां, नीमटियां परवाण।
• भूल को टक्को भूल में गयो।
• भूल्यो बामण भेड़ खाई, आगै खाय तो राम-दुहाई।
• भेड़ की लात पगां तलै-तलै।
• भेड़ खटकी नै धीजै।
• भेड़ पर ऊन कुण छोड़ै?
• भेड़ भगतणी पूंछड़ै में माला।
• भेभण राणी चोरटी, रात्यूं सिट्टा तोड़ती।
• भेलै भांडा खुड़कै ही।
• भैंस आगै बांसरी बजाई तो गोबर को इनाम।
• भैंस आपको रंग देखै ना, छत्तै नै देख कर बिदकै।
• भैंस को पोटो सूकती सो सूकै।
• भैंस खल सै यारी करै तो के खाय?
• भैंस मरगी तो मरगी खरी को सबड़को तो मार ही लियो।
• भैंसो मींडो बाकरो, चौथी विधवा नार।
ये च्यारूं माड़ा भला, मौटा करै बिगाड़।
• भोलै ढालै का राम रूखाला।
• भोलो गजब को गोलो है।
• भोलो मित्र दुश्मनी की गरज पालै।
• मंगती अर भींट्यो खाय ई कोन्या।
• मंदर कै अगाड़ी, थाण के पिछाड़ी।
• मंडावो चाये लिखावो, चिड़ावो चाये खिजाओ।
• मंढी एक अर मोडो घणा।
• मँहगो रोवै एक बार, सैंगो रोवै बार-बार।
• मकोड़ो कहै, मा! मैं गुड़ की भेली उठा ल्याऊं, कह, कड़तू कानी देख।
• मजूरी मै के हजूरी?
• मत मरज्यो बालक की मावड़ी, अर मत मरज्यो बूढ़ै की जोय।
• मतलब की मनुहार जगत जिमावै चूरमा।
• मथरा में रहसी जको राधा किसना (राधा गोविन्द) कहसी।
• मदकुमाऊ कुमावै तो कोनी, पण घरांतो आवै।
• मन कै पाज कोनी।
• मन सै भावै, मूंड हिलावै।
• मन बिन मेल नही, बाड़ बिना बेल नहीं।
• मन राजा को, करम कमेड़ी को सो।
• मन होय तो बेटो दे दे, नहीं बेटी ही कोनी दे।
• मन होय तो मालवै जायावै।
• मर ज्याणूं, कबूल, पण जौ को दलियो नहीं खाणूं।
• मरण नै सरोग पण मन हथलेवै में ही रयो।
• मरणूं इयान सैं ना जाणूं है।
• मरतां किसा गाडा जुपै है?
• मरद को जोबन साठ बरस जे घर में होय समाई।
नार को जीवन तीस बरस हर बैल को जोबिन ढाई।
• मरद तो जब्बान बंको, कूख बंकी गोरिया।
सुहरहल तो दूधार बंकी, तेज बंकी घोड़िया।
• मरद तो मूंछ्याल बंको, नैण बंकी गोरिया।
सुरहल तो सींगला बंकी, पोड बंकी घोड़िया।
• मरदां मणकों हक्क है, मगर पचीसी मांय।
• मरबो तो हैजा को अर धन सट्टा को।
• मरी क्यां? सांस कोनी आयो।
• मरी रांड, हुयो बैरागी।
• मरै जको तो बोली सै ही मर ज्यावै, नई तो गोली सै ई कोनी मरै।
• मरै पूत की आंख कचोलै सी।
• मरै है पण मलार गावै है।
• मरो मा, जीवो मांवसी, घी घाल्यो न, न गोडा चालसी।
• मरो हांडणी नार, मरो कठखाणूं टट्टूं।
• मर्या नै भूल जाय, आया नै कोनी भूलै।
• महलां बैठ्यो छेड़ै, जको कुरडी बैठे सैं कुहावै।
• महावतां सै यारी, अर दरवाजा सांकड़ा।
• मांग कर छाय ल्यावै, सूरज नै छांटो दे।
• मांग्यां तो मोत ई कोनी मिलै।
• मांग्यो आवै माल, जांकै कांई कमी रै लाल?
• मांज्या थाल! उतर्यां बार।
• मांटी का ढालिया, अंग्रेजी किवाड़।
• मांटी की भींत डिगती बार कोनी लगावै।
• मा का पेट सै कोई सीख कर कोनी आवै।
• मा कै सरायां पूत कोन्यां सरायो जाय, जगत कै सरायां सरायो जाय।
• मा गैग डीकरी, घड़ गैल ठीकरी।
• मा जी ई माजी, पण है तो पूण ई तेरा बरस की।
• माता कै तो सारा बेटा-बेटी इकसार होय है।
• माथो मूंड्यां जती नहीं।
• मान का तो मुट्ठी भूंगड़ा ही घणा।
• मान बड़ा क दान?
• मा, न मा को जायो, देसड़लो परायो।
• माना चाली सासरै, मनावण हालो कुण?
• मानै तो देव, नहीं भींत को लेव।
• मा पर पूत पिता पर घोड़ो, घणों नही तो थोड़म थोड़ो।
• मा बाप मरगा, ऐं ई घर की करगा।
• मा भठियारी, पूत फतेखां।
• मा मरी आधी रात, बाप मर्यो परभात।
• मामा को ब्या अर मा परोसगारी।
• मा! मामा किसाक? बेटा, मेरा ई भाई।
• मा मैं बड़ो हुयां बामणां ही बामणां नै मारस्यूं, कह, बेट बडो ही क्यूं होसी।
• माया अंट की, विद्या कंठ की।
• माया तेरा तीन नाम, परस्या, परसो, परसराम।
• माया मिलगी सूम नै, ना खरचै, ना खाय।
• माया सै छाया भली।
• मार कर भाग ज्याणूं, खाकर सो ज्याणूं।
• मार कुसार, छाणा की मार।
• मार कै आगै भूत भागै।
• मारण हालै को तो हाथ पकड़्यो जाय, बोलण हालै की जीब कोनी पकड़ी जाय।
• मारणूं ऊंदरो, खोदूणं डूंगर।
• मारणियै सैं जिवाणियूं ठाडो (बडो) है।
• मारले सो मीर।
• मारवड़ा की मूढ़ता, मिटसी दोरी मिन्त।
• मारवाड़ मनसूबे डूबी, पूरबी गाणा में।
खानदेस खुरदों में डूबी, दक्षिण डूबी दाणा में॥
• मारै आप, लगावै ताप।
• मारै नहीं जको बलो उठावै।
• मार्यो-कूट्यो एक नांव, जीम्यो-जूठ्यो (खायो-पीयो) एक नांव।
• माल गैल जगात माल सैं चाल आवै।
• मालिक को मालिक कुण?
• माली अर मूला छीदा ही भला।
• मावां पोवां धोंधूकार, फागण मास उड़ावै छार, चैत मासा बीज ल्हकोवै, भर बैसाखां केसू धोवै, जेठ जाय तपन्तो तो कुण रोकै सावण भादवा जल बरसंतो।
• मिनख को के बड़ो, बीसो बडो है।
• मिनख माणसियो, दो होय है।
• मिनख सूण की दई रोटी खाय है।
• मिनख हजार वर्ष नींव बांधे, भरोसो पलक को ई कोन्या।
• मियां की दौड़ महजीत तांई।
• मिंया नै सलाम की खातर क्यूं रूसायो?
• मियां रोवो क्यूं? कै, बन्दा की सकल ही इसी है।
• मियूं बीबी दो जणां, क्यूं खावै बै जो चणा?
• मियूं मर्यो जद जाणियो, जद चलीसो होय।
• मिल बिछड़ो मत कोय।
• मिलै मुफतरो माल, सांड रैवै सोरा।
• मिल्या भिंट्या अर हुंसेर पूरी हुई।
• मींडका नै तिरणूं कुण सिखावै?
• मीठी छुरी अर झैर की भरी।
• मीठै कै लालच जूठो खाय।
• मुंह गैल थाप।
• मुंह टोकसी-सो, नांव सरुपली।
• मुंह सुई-सो, पेट कुई-सो।
• मुंह सै निकल ज्या सो भाग धणी का।
• मुकदमा में दो चाये, कोडा अर गोडा।
• मुख में राम, बगल में छुरी।
• मुर्गी के तो ताकू कोई डाम।
• मुतबल को संसार सनेही।
• मुतलब बणतां लोग हंसै तो हँसबा द्यो।
• मुरदां क साथ कांधिया कोन्या बलै।
• मुरदै पर चाहै एक कस्सी गेरो, चाहै सो कस्सी गेरो।
• मूं आगै नार, पीठ पीछै पराई।
• मूंग–मोठ में कुणं सो बडो अर कुण सो छोटो (मूंग मोठ में कुण ल्होड़ो-बडो?)
• मूंछा उखाड्या सैं मुरदा हलका थोड़ा हो छै।
• मूंड मुंडायां सर ज्याय जिको क्यूं कुमावै?
• मूं लागी चाट कोन्या छूटै।
• मूर्खा को माल मसकरा खाय।
• मूरख कह छूटै, बलद बह छूटै।
• मूरख कै मांथै सींक कोनी होय।
• मूरख न टक्को दे देणूं, पण अक्कल नहीं देणी।
• मूरख सै काम पड़ै जब के करणूं? चुप रह ज्याणूं।
• मूल सैं ब्याज प्यारो।
• मेवा तो बरसत भला, हूणी हो सो हुयो।
• मूसल कै अणी ना, गरीब कै धणी ना।
• मूसै को जायो बिल ई खोदैगो।
• मे बाबो आयो, सिट्टा-फली ल्यायो।
• मेरे लला के कुण-कुण यार? धोबी, छीपी अर मणियार।
• मेरै छोटक्यं नै न्यूत चाहै बडोड़ा नै न्यूंत, सै ढाई सेर्या है।
• मेरी ई मूंड मेरी मोगरी।
• मेरे खुदा बकसियो ढाई सेर की लापसी खा ज्याय, पण खा ज्या कैं भड़वा की? मेरो मियूं घर नहीं, मूझ किसी का डर नहीं।
• मेवां की माया, बिरखां की छाया।
• मेहा तो तित बरस सी, जित राजी होसी राम।
• मैं कै गलै छरी।
• मै गलो कटावै।
• मैं बी राणी, तूं बी राणी, कूण भरैं पैंडे को पाणी?
• मैं मरूं मेरी आई, तूं क्यूं मरै पराई जाई?
• मैं लेऊं थी तन्ने, तूं ले बैठी मन्नै।
• मोडा करै मलार, पराये घरां पर।
• मोडां की राड में तूंबा ई उछलै।
• मोडा घणा, बैकुण्ड सांकड़ी।
• मोडी गाय सदा बैडकी कुहावै।
• मोडो कूद्यो अर बैकुण्ड कै मांय।
• मोड्यो लोटै राख में, दो पोवै दो काख में।
• मोत मानगी मामलो, मन्दी मांगणहार।
• या जांघ उघाड़ै तो या लाजां मरै, या उघाड़ै तो या।
• यो टोरड़ो तो दोरो ई पार होसी।
• या देवी बोळा भगत तार्या है।
• या बेटी अर यो दायजो।
• या नै आपकी यारी सैं ही काम।
• यारी का घर दूर है।
• यो ही म्हारो आसरो, के पीर के सासरो।
• रंकी रीझै तो रो दे।
• रजूपत की जात जमी।
• रजपूती धोरां मे रलगी, ऊपर चढ़गी रेत।
• रमता राम, बैठ्या सोई मुकाम।
• रलायां हाथ धुपै।
• रहण नै तो टापरी कोन्या, सुपनू देखै महलां को।
• रही घणां दिन राज कै, बे इज्जत बरती।
जाती करै जुहराड़ा, धणियां सू धरती।
• रांड आगै गाल कोनी।
• रांड कै मार्योड़ै की अर गांव में फिर्योडै की दाद-फिराद कोनी।
• रांड के सुहागन पगां लागी, मेरे जिसी तूं भी होज्या।
• रांड स्याणी तो होवै पण होवै खसम मर्यां पाछै।
• राई का भाव रात ही गया।
• राई बिना किसो रायतो?
• राख पत, रखाय पत।
• राग, रसोई पागड़ी, कदे कदे बण ज्यावै।
• राधो भलो न पिरागो।
• राजा करै सो न्याव, पासो पड़ै सो डाव।
• राजा कै घर मोतियां की के कमी है?
• राजा के सोनै का पागड़ा? कह, आज के दिन तो भलांई गुड़ा का कराल्यां।
• राजा गढ़ां में, जोगी मढां में।
• राजा, जोगी, अगन, जल, इण की उलटी रीत।
डरता रहियो परसराम, ये थोड़ी पालै प्रीत।
• राजा बांधै दल, बैद बांधै मल।
• राजा मान्या सो मानवी, मेवां मानी धरती।
• राजा राज पिरजा चैन।
• राजा रूसै तो आपको गांव राखै।
• राजा सल्ला को, पीसो पल्ला को।
• राड करै तो बोलै आडो।
• राड को घर हांसी, रोग को घर खांसी।
• राड सै बाड़ भली।
• राणी नै काणी मना कहो।
• रात अंधेरी, मा परोसगारी।
• रात आगै उँवार कोनी।
• रात की नींद गई, दिन की भूख गई।
• रात च्यानणी, बात आंख्या देखी मानणी।
• रात नै रात्यूंदो, दिन में सूजै ई कोन्या।
• रात बी खोई, जगात भी दी।
• राबड़ी को नांव गुलसफ्फा।
• राबड़ी के कहै, मन्नै दांतां सै खावो।
• राबड़ी में गुण होता तो ब्या में नां रांधता।
• राबड़ी में राख रांधै, चून चाटै पीसती।
देखो रै या फूड़ रांड़, चालै पल्ला घींसती।
• राम कह कर रहीम के कहणूं?
• राम की डांग पर बेड़ो हैं।
• राम कै घर को राम नै ही बेरो।
• राम को अर राज को सिर ऊपर कै गैलो है।
• रामजी ऊपर चढ्यो देखै है।
• रामजी को नांव सदा मिसरी, जब चाखै जब गूंद गिरी।
• राम झरोखै बैठ कर, सबका मुजरा लेय।
जैसी देखै चाकरी, जैसा ही भर देय।
• राम दे तो बाड़ में ही देदे।
• रामदेवजी नै मिल्या जका ढेढ ही ढेढ।
• राम घणी के गांव घणी।
• राम नै लंका लूट्यां ही जुग बीतगा।
• राम–राम चौधरी, सलाम मियांजी।
पगे लागूं पांडिया, दंडोत बाबाजी।
• राम रूस्योड़ो बुरो।
• रामूं कहो भावं उजाड़ कहो।
• रावली घोड़ी, बावला हसवार।
• रावलै को तेल पल्लै में ई चोखो।
• राम पुराणी बाजरो, मींडक चाल जंवार।
इक्कड़ दुक्कड़ मोठिया, कीड़ी नाल गंवार।
• रिपिया तेरी रात, दूजो नर जलम्यो नहीं।
जे जलम्या दो च्यार, तो जुग में जीया नहीं।
• रिपियो हाथ को मैल है।
• रूअं धूअं अर मूंवां, जाड़ो कोनी लागै।
• रूप का रूड़ा रोहीड़ै का फूल।
• रूप की धणियाणी पाणी भरबा जाय।
• रूप को रोवै, करम को खाय।
• रेवड़ में कुण गयो? बाबो! कह, बाबो भेड्या सैं भी बूरो।
• रोगी की रात अर भोगी को दिन करड़ो नीसरै।
• रोज में रोवण जोगो न, गीत में गावण जोगो न।
• रोटी साटै रोटी, के पतली के मोटी।
• रोतो जाय अर मारतो जाय।
• रोयां बिना मा बी बोबो कोनी दे।
• रोयां राबड़ी कुण घालै।
• रोवती जाय, मुवै की खबर ल्यावै।
• लंका में किसा दालदी कोनी बसै।
• लंका में बावन हाथ का।
• लंघन सै लापसी चोखी।
• लखण लखेसरी का, करम भिखारी का।
• लजवन्ती घर में बड़ी, फूड़ जाणै मेरे सै डरी।
• लदणिया ई लद्या करैं है।
• लद्योड़ा ही लदै।
• लरड़ी पर ऊन कुण छोड़ है?
• लांबी बां दूर तांई पसरै।
• ला कोई बीरन ऐसा नर, पीर बबरची भिस्ती खर।
• लाखां पर लेखो, क्रोडां पर कलम।
• लागै जठे पीड़।
• लागै जैंकै करकै।
• लाग्यो तो तीर, नहीं तुक्को ही सही।
• लाग्यो अर भाग्यो।
• लाज तो आंख्या की होय है।
• लाठी टूटै न भांडो फूटै।
• लाडू की कोर चाखै जठे ही मीठी।
• लाडू फूटै उठे तो भोरा खिँडै ही।
• लातां को देव बातां सै कोनी मानै।
• लाबद्या को ओड कोनी।
• लाम को अर काम को बैर है।
• लाय लाग्यां किसो कुवो खुदै?
• लालाजी करी ग्यारस अर बा बारस की दादी।
• लिखी है ललाट लेख ऊं मैं नहीं मीन-मेख।
• लिछमी आई ज्यां ही गइ।
• लिछमी कठे जाकर राजी हुई।
• लीद की खाय तो हाथी की खाय जिंको पेट तो भर ज्याय।
• लीप्यो पोत्यो आंगणूं और पहनी-ओढ़ी स्त्री सुन्दर लागै।
• लुगाई कै पेट में टाबर खटा ज्याय, पण बात कोनी खटावै।
• लुगाई को न्हाणू, मरद खाणूं।
• लुगाई की कमाई मोट्यार खाय तो टांटियै को बिस उतर ज्याय।
• लूंगा चढ़गी बांस, उतरै चौथे मास।
• लूण फूट-फूट कर निकलै।
• लूण बिना रसोई पूण।
• लूली अर लीपै। दो जणां पकड्यां, कह आके बात? कह, आ चोखो लीपै।
• ले पाड़ोसण झूंपड़ी, नित उठ करती राड।
आदो बगड़ बुहारती, सारो ही बुहार।
• ले ले करतां तो डाकण भी कोन्या ले।
• लोडा तिरै, सिल डूबै।
• लोहां लक्कड़ चामड़ा पहलां किसा बखाण।
बहू बछेरा डीकरा, नीमटियां परवाण॥
• ल्याऊं चून उधारो कोई गुड़ दे तो।
मर-पड़ की खाल्यूं-कोई ल्याकर दे तो॥
• लहसण बी खायो, रोग बी को गयो ना।
• वर घोडी घर और था, खाती दाणू घास।
यह घर घोड़ी आपणां, कर गोविंद की आस॥
• वाकै जासी धरतड़ी, वाकै जा आसमान।
• वा ही नार सुलाखणी, जैंको कोठी धान।
• विद्या बणिता बेल नृप, ये नहिं जात गिणन्त।
जो ही इनसे प्रेम करै, ताहू कै लिपटन्त॥
• वेश्या बरस घटावै अर जोगी बधावै।
• वैसुन्दर देवता घणी ई चोखो पण घर में लाग्यां बेरो पड़ै।
• संख अर खीर भर्यो।
• संजोग पीवतां के बार लागै।
• संदेसां बिजण अर हाथ हाथां खेती।
• संवारतां बार लागै, बिगड़ातां कोनी लागै।
• सक्करखोरा नै सक्कखोरो सो कोम की ऊंलाई खा कर मिल ज्याय।
• सगलै गुण की बूज हैं।
• सगलो गांव लट्टै, कोई घालै, कोई नट्टै।
• सगो कीजे जाण कर, पाणी पीजे छाण कर।
• सग्गो समरथ कीजिये, जद-तद आवै जाव।
• सत मत खोओ सूरमा, सत खोयं पत जाय।
सत की बांधी लिच्छमी, फेर मिलै गी आय॥
• सदा दिवाली सन्त कै, आठो पहर आनन्द।
• सदा न जुग में जीवणा, सदा न काला केस।
• सदा न बरैस बादली, सदा न सावण होय।
• सदा ही इकासर दिन कोनी रैवे।
• सपूत की कमाई मैँ सै को सीर।
• सपूत तो पाड़ोसी को बी चोखो।
• सब कोई झुकतै पालड़ै का सीरी है।
• सब आप आपकै भाग की खाय है।
• सब आप आपको काढ्यो पाणी पीवै है।
• सबकी मय्या सांझ।
• सबसूं रिलमिल चालिये, नदी नाव संजोग।
• समझणहार सुजाण, नर मोसर चूकै नहीं।
ओसर की अहसाण, रहे घण दिन राजिया॥
• समदर को के सूकै?
• समै दिवाली पोलकर न्हाण।
• सरीर कै रोगी की दवा है, मन कै रोगी की कोनी।
• सलाम तांई मियां नै क्यूं रूसाणो।
• सांई हाथ करतणी, राखैगो उनमान।
• सांकड़ी गली अर मारणां बलद।
• सांगर फोग थली को मेवो।
• सांच कहै थी मावड़ी, झूठ कहै था लोग।
खारी लागी मावड़ी, मीठा लाग्या लोग॥
• सांच नै आंच कोन्या।
• सांची कह्यां झांल उठै।
• सांप की रांद झाडूलो काटै।
• सांप कै चीखलै को बडो अर के छोटो?
• सांप कै मांवसियां को के साख?
• सांप को खोयोड़ो बीछ्यां सैं के डरै?
• सांप-चकचूंदर हाली हो रही है।
• सांप चालती मोत है।
• सांप भी मर जाय और लाठी भी न टूटै।
• सांप सगलै टेढो मेढो चालै पण बिल में बड़ै जद सीदो हो ज्याय।
• सांप सलीट्या सदा ई देख्या, इजगर बाबो अबकै।
• सांपां का ब्या में जीभां की लपालप।
• सांपां कै किसा साख?
• सांपां कै डर गूगो ध्यावै।
• सांस जब लग आस।
• सांसी कै क्यांको दिवालो?
• सांसी साह सरावगी, श्रीमाल सुनार।
ये सस्सा, पांचूं बूरा, पहले करो विचार॥
• साची कही, भाठा की दई।
• साजा बाजा केस, गोड बंगाला देस।
• साठी बुध नाठी।
• सात बार, नो तिंह्वार।
• साता मामा को भाणजो भूख्यो रैज्या।
• सातों गैला मोकला तेरै जच्चै जठे जा।
• साधवां कै कसो सुवाद, आवण दे मलाई सुदां ई।
• साधां की पावली ई चोखी।
• साधू को धन सीर को।
• सापुरसां का जीवणां थोड़ा ही भला।
• सामर पड्यो सो लूण।
• सारी दुनी ओगणी है नै आप आपरै पड़दै भीतर उघाड़ी है।
• सारी रामायण पढ़ ली, सीता कुण की भू?
• सालगजी का सालगजी, गोफणियूं का गोफाणियूं।
• साली छोड़ सासुओं सै ई मसकरी।
• सालै बिना क्यां को सासरो?
• सावण का अंधा नै हर्यो ई हर्यो दीखै।
• सावण का पंचक गलै, नदी बहन्ता नीर।
• सावण की छा भूतां नै, कातिक की छा पूतां नै।
• सावण छाछ न घालती, भर बैसाखां दूध।
गरज दिवानी गुजरी, घर में मांदो पूत॥
• सावण पहली पंचमी, जे बाजै बहु वाय।
काल पड़ै सब देश में, मिनख मिनख नै खाय॥
• सावण बद एकादशी, जितनी रोहिणी होय।
वितणूं समय विचारियो, जै कोइ पंडित होय॥
• सावण में तो सूर्यो चालै, भादूड़ै पुरवाई।
आस्योजां में नाडा टांकण, भरभर गाडा ल्याई॥
• सावल करतां कावल पड़ै है।
• सास बिना कांइ सासरो?
• सासरै को बास, आपकै कुल को नास।
• सासरै खटावै कोनी, पीर में सुहावै कोनी।
• सासू का भुवां नै जीकार आच्छया कोनी।
• सासू जाणै करूं कलेवा, भू काढ़ै गैल का केवा।
• सासू बोली—बीनणी ग्यारस करसी के? बीनणी बोली—मैं तो टाबर हूँ।
• सासू मरगी कटगी बेड़ी, भू चढ़गी हरकी पेड़ी।
• सिकार की बखत कुतिया हंगाई।
• सिर को बोझ पगां नै भारी।
• सिर चढ़ाई गादड़ी गांव ई फूंकै लागी।
• सिर पर भींटको, तम्बू में बड़बादे।
• सिरफोड़ै को मुंडफोडो भायलो।
• सिर भारी सरदार का, बग भारी मुरदारा का।
• सिरी को टाबर ताबड़ै बाल्योड़ो ही चोखो।
• सिलारै नै सिरलारो कोनी देख सकै।
• सिव सिव रटै, संकट कटै।
• सींत को चन्नण घस रे लाल्या, तूं भी घस, तेरा घरकां नै बुलाल्या।
• सींत को माल मसकरा खाय।
• सीखड़ल्यां घर ऊजड़ै, सीखलड़ल्यां घर होय।
• सीतला माता! मन्ने घोड़ो दिये, कह, मै ई गधे पर चढूं हूं।
• सीधी आंगलिया घी कोन्या निकलै।
• सीधै पर दो लदै।
• सीर की होली फूंकण की ही होय है।
• सीर सगाई चाकरी, सुखीदावै को काम।
• सीली तो सपूती हो, सात पूत की मा हो। कह, रैणदे, तेरी आसींस नै, नौ तो पेली ई है।
• सीसा मसोना सुघड़ नर, मंदरा की बोलन्त।
कांसी कुत्ती कुभारजा, बिन छेड्या कूकन्त॥
• सुक्करवारी बादली, रही सनीसर छाय।
सहदेव कहै हे भड़ली, बिन बरसी नहिं जाय॥
• सुख की तो आधी भली, दुख की भली न एक।
• सुख सोवै कुम्हार की चोर न मटिया लेय। अथवा चोर न गधिया लेय।
• सुधर्यो काज बिगड़यो नांही, घी ढुल्यो मूंगा मांही।
• सुरग को दरवाजो कुण देख्यो है?
• सुलफो सट्टो संखियो, सुलफो और सराब।
सस्सा पांचू नेठ है, खोवै मुंह की आब॥
• सुसरो बैद कुठोड़ खाई।
• सूत्यां की तो पाडा ही जणै।
• सूदी छिपकली घणा जिनावर खाय।
• सूनां खेत सुलाखणा, हिरणां चर चर जाय।
• सून मांथै बामण आछ्यो कोन्या।
• सूम कै घर में धूम क्यांकी?
• सूरज कुंड अर चांद जलेरी, टूटा बीबा भरगी डेरी।
• सूरदासजी ल्यो मोठ, कह, और मर गा के?
• सूरदासजी ल्यो खांड अर घी, कह सुणावै है और बापां नै, पटक तो को देना।
• सेर की हांडी में सवा सेर कोनी खटावै।
• सेर नै सवा सेर मिल ज्याय।
• सेल घमोड़ो सो सहै, जो जागीरी जाय।
• सेह कै ही मूंडै दांत होय तो दिनमें ई ना चरै।
• सै भूखा उठै है, भूखा सोवै कोन्या।
• सोक तो काचै चून की बी बूरी।
• सोक नै सोक कोनी सुहावै।
• सो झख्या अर एक लिख्या।
• सोड़ गैल पग पसारो।
• सो दिन चोर का, एक दिन साहूकार को।
• सो धोती अर एक गोती।
• सो नकटां में एक नाक हालो ही नक्कू बाजै।
• सोनी की बेटी संहगी सरूप।
बाणिया की बेटी महंगी करूप॥
• सोनूं गयो करण कै साथ।
• सोनै कै काट कोन्या लागै।
• सोनै कै थाल में तांबै की मेख।
• सोमां शुक्रां सुरगुरां जे चन्दा ऊगन्त।
डंक कहे हे भड्डली, जल थल एक करन्त॥
• सो में सूर सहस में कांऊं, सबसै खोटो ऐंचाताणूं।
ऐंचाताणूं करी पूकार, कंजा सै रहियो हुंसियार॥
• सोरठियो दूहो भलो, भल मरवणी री बात।
जोबण छाई घण भली, तारां छाई रात
• सोरै ऊंट पर तो चढ़ै।
• सोला साल सै माथो न्हायो, जेली सै सुलझायो।
• सो सुनार की, एक लुहार की।
• सो हाथी सो करहला, पूत निपूति होय।
मेवा तो बरसत भला, होणी हो सो होय॥
• स्याणा समझवान की तो सगली बातां मौत है।
• स्याम का मर्या नै दिन कद उगै?
• स्यामीजी तिलक तो चोखा कर्या, बच्चाजी सूक्यां ठीक पड़सी।
• स्यालो तो भोगी को अर ऊंद्यालो, जोगी को।
• हंस आपके घर गया, काग हुआ परवान।
जावो विप्र घर आपणै, सिंघ किसा जजमान॥
• हंसली तो घड़ल्यूं पर घर को धणी बस में कोन्या।
• हकीमजी! मैं तो मर्यो, तो कह, अटेकुण जीर्यो है।
• हड़ हड़ हंसै कुम्हार की, मालण का टूटै बूंट।
तूं के हांसै बावली, कैंकड़ बैठै ऊंट॥
• हथेली में सिरस्यूँ कोनी ऊगै।
• हन्ते थोड़ी दाल घणी।
• हर बड़ा क हिरणा बड़ा, सगुणा बड़ा क श्याम।
अरजन रथ नै हांक दे, भली करै भगवान॥
• हर हर गंगा गोदावरी, किमैक सरदा अर किमैक जोरावरी।
• हरी खेती ग्याभण धीणूं, पार जब जांणिये।
• हर्यो देख कर चरै, सूखो देख कर बिदकै।
• हंसा समद न छाड़िये, जै जल खारो होय।
डाबर डाबर डोलतां, भलो न कहसी कोय।
• हलकै पर बल आवै।
• हलदी जरदी ना तजै, खटरास तजै न आम।
• हलदी में रंग्योड़ी चादर, नांव पीताम्बर।
• हवा हवा को मोल है।
• हांसी में खांसी हो ज्याय।
• हाथ को गास अर बैकुण्ठ को बास।
• हाथ तेरै पांव तेरै मिनख की-सी देह।
मैं तनै पूछुं बांदरा, घर क्यूं ना करा लेह?
• हाथ नै हाथ खाय।
• हाथ पोलो तो जगत गोलो।
• हाथ लियो कांसो, मांगण को के सांसो?
• हाथा लगावै, पगां बुझावै।
• हाथियां की कमाई खातां मींडकां की कद खाई।
• हाथियां की गैल घणां ही गंडकड़ा घुस्या करैं है।
• हाथी आक की डाली कोनी बँधै।
• हाथी का खाणै का दांत और होय है और दिखावणा का दांत और।
• हाथी कै खोज में सबका खोज समावै।
• हाथी को गुर आंकस है।
• हाथी नै हर्या कुण कहै?
• हाथी मरै तो भी नौ लाख को।
• हाथी हजार को, म्हावत कौडी च्यार को।
• हाथी हाथ ऊंट घोड़ा और सै चित्राम थोड़ा।
• हार्यो जुवारी दूणूं खेलै।
• हार्योड़ो ऊंट धरमसाला कानी देखै।
• हाल तो चावल काचा ही है।
• हिन्दवां कै छोटा नै ई मुसकल।
• हिन्दू कहतो सरमावै, लड़तो कोन्या सरमावै।
• हिम्मत कीमत होय, बिन हिम्मत कीमत नहीं।
• हिये को आंधो, गठड़ी को पूरो।
• हिरणों कैं सींगा की गादड़ां नै कद सुहांत?
• हींजड़ा की कमाई मूंछ मुँडाई में।
• हींजड़ा भी कदे कताल लूटी है?
• हीरां की परख जोरी ही जाणै।
• हूणी नै निमस्कार है।
• हेत कपट विवहार, रहे न छानो राजिया।
• होत की भाण अणहोत को भाई।
• होणी हो सो होय।