Gobardhan - गोबरधन
गोबरधन - कातिक म दिवाली क दूस र दिन सबे र 'गोबरधन' की पूजा कर । इ दिन गोबर स गोबरधन बना कर, जल दही, मोली, रोली, चावल, फूल, तेल म भिजा कर रूई, मूंग की दाल, चार बतासा, चार गुड़ की सुहाली, सफेद कपड़ो और दक्षिणा चढ़ा व । दीयो चास । गोबरधन क सीर पर झेरनो र क्ख । एक गोबरधन को गीत और चार बधावा गा व । फेरी दे व । पि छ पूजा को चढ़ावो तो मिसरानी न दे दे व । झेरनो वापस रखे ले व ।
TEEZ TYOYHAAR
MARWARI PATHSHALA
10/31/20241 min read
गोबरधन
कातिक म दिवाली क दूस र दिन सबे र 'गोबरधन' की पूजा कर । इ दिन गोबर स गोबरधन बना कर, जल दही, मोली, रोली, चावल, फूल, तेल म भिजा कर रूई, मूंग की दाल, चार बतासा, चार गुड़ की सुहाली, सफेद कपड़ो और दक्षिणा चढ़ा व । दीयो चास । गोबरधन क सीर पर झेरनो र क्ख । एक गोबरधन को गीत और चार बधावा गा व । फेरी दे व । पि छ पूजा को चढ़ावो तो मिसरानी न दे दे व । झेरनो वापस रखे ले व ।
गोबरधन-गीत
नन्द महर घर सुरहीसी 'गाय, कजली बन चरबा गइ ओ राम। एक बन चरती सकल बन चूर, कजली बन सारो चाँ ओ राम। चरती चरती माता होइ ए तिसाइ, नारियो क धरा ए बधावणा ओ राम। त न ए गवतरी माता जाण न द्यां, कजली बन सारो चर्या ओ राम। एक बार तो नार बीरा घर न जाऊँ, घरां ए उड़ी क बालक बाछड़ा ओ राम। झूठी ए गवतरी माता झूठ न बोल, घरां ए गई क्यू बाव ड़ ओ राम। हम न पतीज म्हार राम न पतीज, बचनारी बान्धी सुरही ना र व ओ राम। आइ ए गवतरी माता बैठी आप क ठांव, ढलक ढलक आंसू पड़ ओ राम। आवो रे मेरा बालक बाछा पीवो मेरो दूद,
बचनारी बान्धी सुरही नार व ओ राम। चालो ऐ गवतरी माता चालं था र साथ, बचनारो बान्धो दुदो नां पिबां ओ राम। आग आग बालक बछा पिछ सुरही गाय, नारिये क घरां ए बधावणा ओ राम। पहली तो मेरा नार माँमा हम न बिणास, पीछ एक बिणसी मेरी माय न ओ राम। कुण र मेरा बालक बाछा दीनी थान सीख, कुण गुरु समझाइया ओ राम। अलख निरंजन बाबो दिन्ही म्हा न सीख, प्रेम गुरु समझाइया ओ राम। त न रे म्हारा बालाक बाछ झबला टोपी द्यां, पीलो ए ऊढ़ावां थारी माँ न ओ राम ।
त न तो म्हारा बालक बाछा कड़ा बांकडा द्यां, हार घड़ावा थारी माँ न ओ राम । जीवो रे मेरा बालक बाछा लाख बरस, थे म्हारो मान बढ़ाइया ओ राम ।