Lath Sati: Shri Gilo Dadiji (Mandrela)
Lath Sati: Shri Gilo Dadiji (Mandrela) लाठ सती :श्री गिलो दादीजी (मंड्रेला)
SATI DEVIYON KI JAI
Marwari Pathshala
4/27/20241 min read
लाठ सती :श्री गिलो दादीजी (मंड्रेला)
गिलो दादी का जन्म वि. सं. 1834, सावन शुक्ला सप्तमी के दिन, राजस्थान के बगड़ गांव के सेठ श्री देवराम व माता दुलारीजी के घर हुआ था। उनका वास्तविक नाम "गंगा-गिलो" रखा गया था।
उनका विवाह संवत 1849, आषाद सुदी सप्तमी, मंड्रेला गांव के सेठ श्री गोविंदजी लाठ के पुत्र श्री गोपाल जी के साथ सम्पन्न हुआ था।
वि. सं. 1850, में गोपालजी गिलो बाई का मुकलावा करवा के बागड़ से मंड्रेला लौट रहे थे । बीच रास्ते में नक्सलवादी डाकुवो ने छुपकर गोपाल जी पर हमला किया । तत्काल, गोपाल जी परलोक सीधार गए। मृत पति को देख श्री गिलो बाई सिंह पे सवार हो, दुष्ट दल पर कहर बर्षाने लगी। तब डाकू सिरदार के क्षमा याचना करने पर, गिलो जी ने उसे जीवन दान दिया।
वि. सं. 1850, चैत्र सुदी सप्तमी (नवरात्री) के दिन, श्री गिलो बाई पति श्री गोपाल जी को लेकर सती धर्म का पालन करी थी।
लाठ परिवार की बहु होने के कारण, लाठ पारिवारो की कुल देवी के रूप में श्री गिलो सती दादी पूजी जाती है।