Marwari Muhavare ( क-घ )

Marwari Muhavare ( क-घ ) - Marwari proverbs (Muhavare) that reflect the wisdom, humor, and values of Marwari culture

MARWARI MUHAVARE

Marwari Pathshala

10/26/20241 min read

क-घ

1. "क ख ग घ ड़, काको खोटा क्यों घडै"

- Meaning: Why should someone teach or correct those who lack the basics?

- Usage: Used to refer to situations where someone is trying to improve or educate a person who has no foundational knowledge.

2. "कपूत हूँ नपूत भलो"

- Meaning: It’s better to have no child than to have a bad one.

- Usage: Emphasizes the value of quality over quantity, especially in the context of children or relationships.

3. "कर रै बेटा फाटको, खड्यो पी दूध को बाटको"

- Meaning: The son who does the hard work drinks the milk (earns the reward).

- Usage: Used to highlight that those who make an effort are the ones who reap the benefits.

4. "काणी के ब्याह में सो टेड"

- Meaning: In the marriage of a one-eyed person, even the dowry is bent or lacking.

- Usage: Points out that when something is already flawed, further problems are likely to follow.

5. "काम का ना काज का ... ढाई मण अनाज का"

- Meaning: Someone who is neither useful nor active but consumes a lot (literally worth two and a half mounds of grain).

- Usage: Used to describe someone who doesn’t contribute but still consumes resources.

6. "कौड़ी बिन कीमत नहीं सगा नॅ राखै साथ, हुवै जे नामों (रूपया) हाथ मैं बैरी बूझै बात"

- Meaning: Without wealth, even relatives don't stand by you, but when you have money, even enemies turn polite.

- Usage: Emphasizes that people value others based on their wealth or status, not necessarily their character.

7. "खरी कमाई घणी कमाई"

- Meaning: Honest earnings are the greatest earnings.

- Usage: Promotes the virtue of earning through honest and fair means.

8. "खेती करै नॅ बिणजी जाय, विद्या कै बल बैठ्यो खाय"

- Meaning: Farming and trade sustain life, but knowledge and learning also allow a person to earn a living.

- Usage: Emphasizes the importance of knowledge and education alongside traditional occupations.

9. "गादड़ै की मोत आवै जणा गांव कानी भागै"

- Meaning: When a jackal senses its death, it runs toward the village (towards humans).

- Usage: Describes a person who, in desperation or at the end, behaves irrationally or seeks help from unexpected places.

10. "गोदी मैं छोरो गळी मैं हेरै"

- Meaning: When a child is on the lap, one searches for him everywhere.

- Usage: Refers to situations where the solution or what one seeks is right in front of them, yet they search elsewhere.

11. "घी सुधारै खीचड़ी, और बड्डी बहू का नाम"

- Meaning: Ghee enhances the taste of Khichdi, but the elder daughter-in-law gets all the praise.

- Usage: Reflects situations where someone else’s efforts benefit another person’s reputation or name.

12. "घैरगडी सासू छोटी भू बडी"

- Meaning: When the mother-in-law lives far away, she seems small; when she’s nearby, she appears large.

- Usage: Describes how distance makes people view others more favorably, but close proximity often brings out their flaws.

Each of these proverbs captures the Marwari way of looking at life, emphasizing practical wisdom, humor, and cultural values.

  • क ख ग घ ड़, काको खोटा क्यों घडै ।

  • कंगाल छैल गाँव नै भारी | हिंदी – गरीब शौकीन व्यक्ति गाँव पर भारी पड़ता है।

  • कंवरजी म्हैलां से उतर्या, भोड़ल को भलको।

  • कंवारा का के न्यारा गांव बसै है।

  • कक्कै को फूट्यो आंक ई को आवै अरनाम विद्याधर।

  • कटे तो काऊ का, सीखे तो नाऊ का।

  • कठे राजा भोज, कठे गांगलो तेली।

  • कठे राम राम, कठे ट्यां ट्यां!

  • कड़वी बेल की कड़वी तुमड़ी, अड़सठ तीरथ न्हाई। गंगा न्हाई, गोमती न्हाई, मिटी नहीं कड़वाई।

  • कण कण भीतर रामजी, ज्यूं चकमक में आग।

  • कद नटणी बांस चढै, कद भोजन पावै।

  • कद राजा आवै, कद दाल दलूं।

  • कदे गधो गूण पर, कदे गूण गधा पर।

  • कदे घई घणा, कदे मूठी चणा।

  • कदे न घोड़ा ही सिया, कदे न खीँच्या तंग। कदे न रांड्या रण चढ्या, कदे न बाजी जंग॥ हिंदी – कायर पुरुष कभी भी साहसपूर्ण कार्य नहीँ कर सकता।

  • कदे नाव गाडी पर, कदे गाडी नाव पर।

  • कनकड़ा दोन्यू दीन बिगाड़्यो | हिंदी – निकृष्ट साधु दोनोँ ही धर्महीन हो जाते हैँ।

  • कनफडा दोन्यू हीन बिगाड्या।

  • कपड़ा फाट गरीबी आई, जूती टूटी चाल गमाई।

  • कपूत जायो भलो न आयो।

  • कपूत हूँ नपूत भलो ।

  • कबित सोवै भाट नै, खेती सोवै जाट नै।

  • कबूतर नै कुवो ही दीखै | हिंदी – प्रत्येक व्यक्ति को स्वार्थपरक लक्ष्य ही दिखाई देता है।

  • कबूतर नै कुवो ही दीखै।

  • कम खालेणा पण कम कायदे नहीं रहणा।

  • कमजरो गुस्सा ज्यादा, ऐई मारा खाणै का रादा।

  • कमजोर की लुगाई, सबकी भौजाई।

  • कमजोर को हिमायती हारै।

  • कमाई गैल समाई।

  • कमाऊ आवै डरतो, निखटू आवै लड़तो | हिंदी – कमाने वाला डरता हुआ तथा निकम्मा व्यक्ति लड़ता हुआ आता है।

  • कमाऊड़ै नै घी, खाऊड़ै नै दुर छी! हिंदी - कमाने वाले का सर्वत्र सम्मान होता है और उड़ाने वाले को सभी अवज्ञा की नजर से देखते हैं।

  • कमावै थोड़ो खरचै घणूं, पैलो मूरख उणनै गिणूँ।

  • कमावै धोती हाला, खा ज्याय टोपी हाला।

  • कमेड़ी बाज नै कोनी जीतै | हिंदी – कमजोर बलवान से नहीँ जीत सकता।

  • कर ये महती मालपुआ, बो लेसी हुया हुया।

  • कर रै बेटा फाटको, खड्यो पी दूध को बाटको ।

  • कर ले सो काम, भज ले सो राम ।

  • करड़ी बाँघै पगड़ी घुरड़ लिववै नक्ख। करड़ी पैरे मोचड़ी, अणसरज्या ही दुक्ख॥

  • करणी जिसी भरणी।

  • करणी पार उतरणी।

  • करणी भोगै आपकी, के बेटो के बाप।

  • करन्ता सो भोगन्ता खोदन्ता सो पड़न्ता।

  • करम कमेड़ी को सो, मन राजा को सो।

  • करम फूटया नै भाग फूट्या ही मिलै।

  • करम में घोड़ी लिखी, खोल कुण ले ज्याय?

  • करम में लिख्या कंकर तो के करै शिवशंकर?

  • करम लिखा कंकर तो के करै शिव शंकर ।

  • करमहीण किसनियो, जान कठै सूं जाय । करमां लिखी खीचड़ी, घी कठै सूं खाय ।।

  • करमहीण खेती करे, के हळ भागे के बळद मरे ।

  • करमहीन खेती कैर, के काल पडै के बलद मरै।

  • करैगो टहल तो पावैगो महल।

  • करैगो सेवा तो पावैगो मेवा।

  • कर्क मैद को के भाव? कै चोट जाणिये।

  • कर्म की सगलै बाजै है।

  • कल सूं कल दबै है।

  • कलह कलासै पैँडे को पाणी नासै | हिंदी – घर मेँ क्लेश होने पर परीँडे का पानी भी नष्ट हो जाता है।

  • कसम मरे को धोखो कोनी, सुपनू सांचो होणूं चाये।

  • कसाई कै दाणै नै बकरी थोड़ी ही खा सकै है?

  • कसो हाक मार्यां कूवो खुदै है।

  • कांई गोडियो कैवै अर कांई पूंगी कैवे।

  • कांट कटीली झाखडी लागै मीठा बोर।

  • कांटे सै कांटो नीसरै।

  • कांदा खाय कमधजां, घी खायो गोलांह। चुरू चाली ठाकरां, बाजंतै ढोलांह॥

  • कांदे वाला छिलका है, ऊंची दे जितणी ही बास आवै | हिंदी – बुराई को जितने पास से देखोगे उतनी ही अधिक बुराई दिखाई देगी।

  • कांधियो थोड़ा ई बलै है।

  • कांधे पर छोरो, गांव में ढिंढोरो।

  • काकड़ी की चोरी अर मूकां की मार।

  • काका खोखो पायो, कह, काका कै सागै तो ऐ है गैरा करैगी।

  • काग कुहाड़ो नर, काटै ही काटै।

  • काग पढ़ायो पींजरै, पढगो च्यारूं वेद, समझायो, समझ्यो नहीं, रह्यो ढेढ को ढेढ।

  • कागलां की दुर्शीष ऊं ऊंट कोनी मरै ।

  • कागलां कै काछड़ा होता तो उड़ता कोन्या दीखता? हिंदी – मनुष्य के गुण स्पष्ट दिखाई देते हैँ।

  • कागलां कै सराप सूं ऊंट कोनी मरै।

  • कागलो हंस, हाली सीखै हो सो आप हाली भी भूलगो।

  • कागा किसका धन हरे, कोयल किसकूं देय। जभड़ल्यां के कारणै, जग अपनो कर लेय॥

  • कागा कुत्ता कुमाणसा, तीन्यूं एक निकास। ज्यां ज्यां सेर्यां नीसरै, त्यां त्यां करे बिनास॥

  • कागा हंस न गधा जती।

  • काच कटोरो, नैण जल, मोती दूध अर मन्न।

  • काच की भट्टा मांइ मांय धवै।

  • काचो दूध खटाई फाड़ै, तातो दूद जमावै।

  • काजल सै आंख भरी कोनी हुवै।

  • काजी के मार्योड़ो हलाल होवै है।

  • काटर कै हेज घणोँ |हिंदी – दूध न देने वाली गाय बछड़े से प्रेम प्रदर्शित करती है।

  • काठ की हांडी दूसरां कोनी चढ़ै।

  • काठ डूबै लोडा तिरै।

  • काणती भाभी छाय घाल, घालस्यूं दहीं, तु सुप्यार भोत बोल्या ना।

  • काणती भेड़ को न्यारो ही रयाड़ो/गवाड़ो | हिंदी – निकृष्ट व्यक्तियोँ को जब विशिष्ट लोगोँ मेँ स्थान नहीँ मिलता तो वे अपना संगठन अलग ही बना लेते हैँ।

  • काणियां पांड्या राम राम। देखी रै तैरी ट्याम ट्याम॥

  • काणी के ब्याह में सौ टेड ।

  • काणी कै ब्या में सौ कोतिक।

  • काणी कै ब्या मैं फेरां तांई खोट।

  • काणी को काडल भी कोनी सुहावै।

  • काणी छोरी तनै कुण ब्यावैगो, कह ना सरी, मैं मेरै भायां नै खिलाऊंगी।

  • काणी भाभी पाणी प्याई, कै लक्खण तो दूधआळा है।

  • काणूं खोड़ो कायरो, ऐंचताणूं होय।इण नै जद ही छोड़िये, हाथ घेसलो होय॥

  • कातिक की छांट बुरी, बाणियां की नांट बुरी, भायां की आंट बुरी, राज की डांट बुरी।

  • कातिक राज, कीर्तियां, मंगसिर हिरणियां, पोवां पारधी जोड़ा, काटी कटै न घोड़ा।

  • काती कुत्ती माह बिलाई, फागण मर्द अर ब्याह लुगाई।

  • काती रो मेह कटक बराबर है।

  • काती सब साथी।

  • कात्या जी का सूत, जाया जी का पूत।

  • कादा नै छैड़ै, छाटां भरै।

  • कान में कीटी अन्तर अर लगास्यूं।

  • कानां ने मुंदरा होसी तो सै आपै आदेस कहसी।

  • कानूड़ो कल में आयो, रात बड़ी दिन छोटा ल्याओ।

  • काम अर लाम को बैर है।

  • काम करल्यो सो कामण कर्या।

  • काम करै कोई, मोज उड़ावै कोई।

  • काम का ना काज का ... ढाई मण अनाज का ।

  • काम की माँ उरैसी, पूत की माँ परैसी | हिंदी – कर्मठ व्यक्ति सभी को अच्छा लगता है, अकर्मण्य किसी को अच्छा नहीँ लगता।

  • काम तो करेङो ई भलो ।

  • काम नै काम सीखावै।

  • काम पड्यो जद सेठजी तमेलै चढ़गा।

  • काम सर्यो जुग बीसर्यो, कुणबो बाराबाट।

  • कामी कै साख नहीं, लोभी कै जात नहीं।

  • काल कुसम्मै ना मरै, बामण बकरी ऊंट। ब मांगे बा फिर चरै, बो सूखा चाबै ठूंठ॥

  • काल जाय पण कलंक नहीं जाय।

  • काल बागड़ सैं नीपजै, बुरो बामण सै होय।

  • काल मरी सासू, आज आयो आंसू।

  • काला कनै बैठ्यां काला लागै | हिंदी – दुर्जन के संग से कलंक लगता ही है।

  • काला रै तूं मलमल न्हाय, तेरी कालूंस कदै नहिं जाय।

  • काली भली न कोड्याली।

  • काली हांडी कनै बैठ्यां कालूस लागै।

  • कालै कै कालो नहीं जामै तो कोड्यालो तो जरूर ही जामै।

  • कालै गाबा को कालो दाग कोई कोनी देखै।

  • कालो आंक भैंस बराबर।

  • कालो वै तो करवरो, घोलो वै तो सुगाल। जे चंदो निरमल हुवै तो पड़ै अचिन्तो काल॥

  • काळी बहू अर जल्योड़ो दूध पीढ्याँ ताईं लजावै ।

  • काळी हांडी रै कनै बैठयाँ काळस न सरी काट तो लाग्यां सरै ।

  • काळो कै काळो न जलमे तो किल्ड काबरो जरुर जलमै ।

  • किमै गुड़ ढीलो, किमैं बाणियूं ढीलो।

  • कियां फिरै जाणै बिगड्योड़ै ब्याव में नाई फिरै ज्यूं।

  • किरती एक जबूकड़ो, ओगन सह गलिया।

  • किरपण कै दालद नही, ना सूरां कै सीस। दातारां कै धन नहीं, ना कायर कै रीस॥

  • किसन करी सो लीली, म्है बाजां लंगवाड़ा।

  • किसाक बाजा बजै, किसाक रंग लागै।

  • कीड़ी नै कण, हाथ नै मण।

  • कीड़ी पर के कटक?

  • कीड़ी सचै तीतर खाय, पापी को धन परलै जाय।

  • कुंदन जड़े न जड़ाव, जमे सलामत कीट। कहे जडिया सुण ले जगत, उड़े मेह की रीठ॥ हिंदी – यदि नगीने जड़ते समय कुंदा न लगे तथा सलाइयोँ पर कीट जमने लगे तो वर्षा की सम्भावना होगी।

  • कुंभार रे घर में फूटी हांडी।

  • कुए की मांटी कुए में लाग ज्या है।

  • कुए मैँ पड़कर सूको कोई भी निकलै ना | हिंदी – जैसा कार्य वैसा फल।

  • कुछ लख्या सो मन में राख।

  • कुण सी बाड़ी को बथवो है।

  • कुत्ता तेरी काण कै तेरै घणी की।

  • कुत्तां कै पाड़ौस सै कसौ पैरो लाग्यो।

  • कुत्ती क्यूं भुसै है, कै टुकड़ै खातर।

  • कुत्तै की पूँछ बार बरस दबी रही पण जद निकली जद टेढ़ी की टेढ़ी।

  • कुन्या फूले, तुल फले, वृश्चिक ल्यावै लाण।

  • कुमाणस आयो भलो न जायो।

  • कुम्हार की गधी, घर घर लदी।

  • कुम्हार कुम्हारी नै तो कोनी जीतै, गधैड़ै का कान मरोड़ै।

  • कुम्हार नै कह, गधै पर चढ़ जद तो को चढ़ै ना, पाछै आप चढ़ै।

  • कुल बिना लाज ना, जूं बिना खाज ना।

  • कुवै में पड़ कर सूको कोई बी नीकलै ना।

  • कूआ सै कूओ कोनी मिलै, आदमी सै आदमी मिल जाय।

  • कूण किसी कै आवै, दाणू पाणी ल्यावै।

  • कूदिये ने कूवै खेलिये न जूवै।

  • कूद्यो पेड़ खजरू सूं, राम करै सो होय।

  • कूरा करास खाय, गेहूँ जीमै बाणिया।

  • कूवो खोदे जैनै खाड त्यार है।

  • के कुत्ती कै पाणई गाडो चालै है?

  • के गीतड़ां से भींतड़ा।

  • के गूजर को दायजो कै बकरी कै भेड़।

  • के तो घोड़ो घोड्यां में के चोरां लियो लेय (के चोर लेईगा)।

  • के तो फूड़ चालै कोनी अर चालै जद नो गांव की सीम फोड़ै।

  • के नागी धोवै अर के नागी निचोवै।

  • के फूँक सै पहाड़ उड़ै है?

  • के बाड़ पर सोनूं सूकै है?

  • के बेटी जेठ के स्हारै जाई है?

  • के बेरो ऊँट के करोट बैठे?

  • के मारै बादल को घाम, के मारै बैरी को जाम।

  • के मारै सीरी को काम, कै मारे काटर की जाम।

  • के मीयां मरगा, क रोजा घटगा।

  • के मोड्यो बांधै पागड़ी, कै रहै उघाड़ी टाट।

  • के रोऊं ऐ जणी! तूं आंगी दी न तणी।

  • के सर्व सुहागण के फरहड़ रांड़।

  • के सहरां, के डहरां।

  • के सोवै बंबी को सांप, के सोवै जी के माई यन बाप।

  • केले की सी कामड़ी होली की सी झल!

  • केश वेश पाणी आकास नहीं चितेरो देखै आस।

  • कै जागै जैंकै घर में सांप, कै जागै बेटी को बाप।

  • कै जाणै भेड़ सुपारी सार।

  • कै डूबै अररोला कै डूबै बोला।

  • कै तो गैली पैरै कोनी अर पैंरे तो खोलै कोनी।

  • कै तो पैल बलद चालै कोनी, र चालै तो सात गांवां की सींव फोड़ै।

  • कै तो बावलो गांव जा कोन्या अर जा तो बावडै कोन्या।

  • कै हंसा मोती चुगै कै लंघन कर ज्याय।

  • कैं लड़ै लड़ाकडो कै लड़ै अणजाण।

  • कैर को ठुंठ टूट ज्यागो, लुलैगो नहीं।

  • कोई कै बैंगण बायला, कोई कै बैंगण पच्छ कोई कै बादी करै, कोई कै जाय जच्च।

  • कोई को हाथ चालै तो कोई की जीभ चालै।

  • कोई गावै होली का, कोई गावै दिवाली का।

  • कोई भी मा का पैट से सीख कर कोनी आवै।

  • कोई मानै न तानै, मैं तो लाडै की भुवा। (कोई मानै ना तानै ना, मैं लाडो की भुवा)

  • कोई स्यान मस्त, कोई ध्यान मस्त, कोई हाल मस्त, कोई माल मस्त।

  • कोडी कोडी करतां बी लंग लागै है।

  • कोडी कोडी धन जुड़ै।

  • कोडी चालै डौकरी, कैंका काडै खोज। काई थारो खो गयो पूछै राजा भोज॥

  • कोयलां की दलाली में काला हाथ।

  • कोस चाली कोन्या अर तिसाई।

  • कौड़ी बिन कीमत नहीं सगा नॅ राखै साथ, हुवै जे नामों (रूपया) हाथ मैं बैरी बूझै बात।

  • कौण सुणै किण नै कहूँ, सुणै तो समझौ नाहि।कहबो सुणबो समझबो, मन ही को मन मांहि॥

  • क्यूं आंधो न्यूंतै, क्यूं दो बुलावै।

  • क्यूं धो चीकणा, क्यूं कुंहाड़ो भूंठो।

  • क्यूं लो खोटो, क्यूं लुहार खोटो।

  • क्रितिका करे किरकिरो, रोहिणी काल सुकाल। थे मत आबो मृगशिरी हड़हड़ करती काल॥

  • खटमल कुत्तो दायमो, जय्यो मांछर जूं।

  • खर घूघ मरख नरां सदा सुखी प्रिथिराज।

  • खर बाऊं बिस दाहणूं।

  • खर, घूघू, मूरख नरा सदा सुखी प्रिथिराज | हिंदी – गधा, उल्लू तथा मूर्ख मनुष्य सदा सुखी रहते हैँ क्योँकि ये चिन्ता नहीँ करते।

  • खरी कमाई घणी कमाई ।

  • खरी मजुरी चोखा दाम।

  • खल खाई न भल आई, सासरै गई न भू कुहाई।

  • खल गुड एकै भाव।

  • खां साब लकड़ी तोड़ो तो कै ये काफरका काम, खां साब खीचड़ी खावो तो कै बिसमिल्ला।

  • खांड गली का सै सिरी, रोग गली का कोई नहीं।

  • खाईये त्यूंहार, चालिए व्यौहार।

  • खाज पर आंगली सीदी जाय।

  • खाणू पीणू खेलणू, सोणू खूंटी ताण। आछी डोबी कंथड़ा, नामदी के पाण॥

  • खाणू माँ का हाथ को होवो भलांई झैर ई, चालणू गैलै को होवो भलाई फेर ई, बैठणू, भायां को होवो भलांई बैर ई, छाया मौके की होवै भलांई कैर ई, जीमणूं, प्रेम को होवो भलांई झैर ई।

  • खाणै में दळिया, मिनखां में थळिया।

  • खाणो मन भातो, पैरणो जग भातो।

  • खात अर पाण, के करै बिनाणी।

  • खाबो खीर को अर बाबो तीर को।

  • खाबो सीरा को अर मिलबो वीरा को।

  • खाय कर सो ज्यांणू, मार कर भाग ज्याणूं (खा कर सो ज्याणू अर मारकर भाग ज्याणू)

  • खाय धणी को, गीत गावै बीरै का।

  • खाये जैंको गाये।

  • खारी बेल की खारी तूमड़ी।

  • खाल पराई लीकड़ो ज्याणूं भूस में जाय।

  • खाली लल्लोई सीख्यो है, दद्दो कोनी सीख्यो।

  • खावण का सांख, पावणा का बासा।

  • खावै तो डाकण, ना खावै तो डाकण |हिंदी – बद से बदनाम बुरा होता है।

  • खावै पुणू–जीवै दुणू | हिंदी – कम खाने वाला अधिक जीता है

  • खावै पूणुं, जीवै दूणु।

  • खिजूर खाय सो झाड़ पर चढ़ै।

  • खिजूर खाय सौ झाड़ पर चढ़ै | हिंदी – खतरा वही उठाता है जिसे लाभ की आशा होती है।

  • खिलाया को नांव कोनी होय, रुवाया को नांव हो जाय।

  • खींचिये न कब्बान छोड़िये न जब्बान।

  • खेता खेती छोड़ दे,उद्यम कर ले ओर । मोठ मुसकरा खायगा,चारो लेगा चोर ।।

  • खेता खेती मत करो उद्यम करो कुछ और, मोठ मश्खरा चाबग्या चारे ने लेग्या चोर।

  • खीर खीचड़ी मन्दी आंच।

  • खुपरी जाण खोपरा, बीज जाण हीरा, बीकाणो भंडार रा मीठा हुवै मतीरा । हिंदी - बीकानेरी मरुधरा की वनस्पतियों के राजा मतीरे की तुलना हीरे-जवाहरातों से की गई हैं।

  • खुले किंवाड़ा पोल धसै।

  • खूट्यो बाण्यो जूना खत जोवै।

  • खेत नै खोवे गैली, मोडा नै खोवै चेली।

  • खेत बड़ा, घर सांकड़ा।

  • खेत हुवै तो गांव सैं आथूणों ही हूवै।

  • खेती करै नॅ बिणजी जाय, विद्या कै बल बैठ्यो खाय ।

  • खेती करै बिणज नै ध्यावै, दो मांआडी एक न आवै।

  • खेती धण्यां सेंती । हिंदी – मालिक की देखरेख से ही खेती (कार्य) अच्छी होती/ता है।

  • खेती बादल में हैं।

  • खेती सदा सुख देती।

  • खेल कोठा में पाणी कुवै मैँ सैं ई आवै।

  • खेल खिलाड्यां को, घोडा असवारां का।

  • खैरात बंटै जठै मंगता आपे ही पूंच ज्यावै | हिंदी – जहाँ खैरात बँट रही हो, भिखारी पहुँच ही जाते हैँ।

  • खो की मांटी खो में लागै।

  • खोई नथ बटोड़ा में नणद को नांव।

  • खोखा म्हांने चोखा लागै, खेजड़लो ज्यूं खजूर। निंबोळी-अंबोळी सिरखी, रस देवै भरपूर ||हिंदी - इसमें खेजड़ी को खजूर से बेहतर और निंबोळी को आम से मीठी व रसीली मानने का लेख है|

  • खोखा व्है तो खावां, गीत व्है तो गावां। हिंदी - जैसी परिस्थिति हो उसी के अनुसार चलना चाहिए।

  • खोटा काम ठेठ सूं कीन्या, घर खातो नै मांग्या दीन्या।

  • खोटो पीसो खोटो बेटो, ओडी वर को माल।

  • खोडली खाट खोड़ला पाया, खोड़ली रांड खोडला ई जाया।

  • खोपड़ी खोपड़ी की मत न्यारी।

  • खोयो ऊँट घड़ा मैँ ढूँढै | हिंदी – अत्यधिक ठगे जाने पर असम्भव भी सम्भव लगता है।

  • खोली रै तो पूर आप ही घल ज्या।

  • गंगा गयां गंगादास, जमना गयां जमनादास।

  • गंगा तूतिये मैँ कोनी नावड़ै | हिंदी – गंगा नदी छोटे पात्र मेँ नहीँ आ सकती।

  • गंगा रो गटोळियो, लोटो पाणी ढोळियो, धोया कान अर होया सिनान।

  • गंगाजी को न्हावणूं, बिपरां को ब्योहार। डूब जाय तो पार है, पार जाय तो पार॥

  • गंजो अर कांकरां में लोटै।

  • गंजो नाई को के धरावै?

  • गंडक की पूंछ तो बांकी ही रहसी ।

  • गंडक कै भरोसै गाडो कोनी चालै।

  • गंडक नारेल को के करै?

  • गंडक नै देख कर गंडक रोवै।

  • गंडकड़ो तो लूह लूह मरगो, धणी कै भांवै ही कोनी।

  • गई आबरु पाछी कोनी आवै।

  • गई चीज को के पिस्तावो?

  • गई तिथ बामण ही को बांचै ना।

  • गई बहू गयो काम, आई बहू आयो काम | '['हिंदी – किसी के भरोसे काम नहीँ रुक सकता।

  • गई बात नै घोड़ा भी कोनी नावड़ै।

  • गई बात नै जाण दे, हुई बात नै सीख।

  • गई भू गयो काम, आयी भू आयो काम।

  • गई ही छाय ल्यावण नै, दुहारी भी दे आई।

  • गटमण गटमण माला फेरै, ऐ ही काम सिधां का। दीखत का बाबाजी दीखै, नीचै खोज गधां का।

  • गड़गड़ हंसै कुम्हार की, माली का चर रया बुंट। तू मत हंसै कुम्हार की, किस कड़ बैठे ऊँट।

  • गढ़ बैरी अर केहरी, सगो जंवाई जी। इतणा तो अलग भला, जब सुख पावै जी।

  • गढां कै गढ ही जाया।

  • गणगोर रूसै तो आपको सुहाग राखै।

  • गणगोर्यां नै ही घोड़ी न दौड़े तो कद दोडै? हिंदी – मौके को चूकना।

  • गधा ने घी दियो तो कै आंख फोड़ै है।

  • गधा नै घी कुण दे?

  • गधा नै नुहायां घोड़ो थोड़ो ई हो ज्याय।

  • गधेड़ी चावल ल्यावै तो बा थोड़ी ही खाय।

  • गधेड़ै कै जेओठ में धूदी चढ़ै।

  • गधेड़ै को मांस तो खार घाल्यां ही सीजै।

  • गधेड़ो ई मुलक जीत ले तो घोड़ नै कुण पूछै?

  • गधेड़ो कुरड़ी पर रंजै।

  • गधै में ज्ञान नहीं, मूसल कै म्यान नहीं।

  • गधो घोड़ो एक भाव।

  • गधो मिसरी को कै करै?

  • गम बड़ी चीज है।

  • गया कनागत आई देवी बामण जीमै खीर जलेबी।

  • गया कनागत टूटी आस, बामण रोवै चूल्है पास।

  • गरज दीवानी गूजरी नूंत जिमावै खीर, गरज मिटी गूजरी नटी, छाछ नही रे बीर ।

  • गरज सरी अर वैद बैरी ।

  • गरजवान की अक्कल जाय, वरदवान की सिक्कल जाय।

  • गरजै जिसोक बरसै कोनी!

  • गरीब की लुगाई, जगत की भोजाई।

  • गरीब की हाय बुरी।

  • गरीब को बेली राम।

  • गरीब री हाय, जड़ामूल सूं जाय ।

  • गरीबदास की तो हवा-हवा है।

  • गले अमल गुल री हुवै गारी, रवि सिस रे दोली कुंडारी। सुरपत धनक करै विध सारी (तो) एरापत मघवा असवारी॥

  • गहण लाग्यो कोन्या मंगता पैलाई फिरगा।

  • गहणो चांदी को अर नखरो बांदी को।

  • गाँवहाला कूटै तो माईतां कनै जावै, माईत कूटै तो कठै जावै ।

  • गांठ को जाय अर लोक हंसाई होय।

  • गांधी बेटा टोटा खाय, डेढ़ा दूणा कठे न जाय।

  • गांव करै सो गैली करै।

  • गांव की नैपे खेड़ा ही कहदी है।

  • गांव को ठाकर केरड़ी मार दी, पण म्हे क्यूं कहां?

  • गांव गयो, सूत्यो जागै।

  • गांव गांव खेजड़ी अर गांव गांव गूगो।

  • गांव बलै डूम त्युंवारी मांगै।

  • गांव बसायो बाणियो, पार पड़ै जद जाणियो।

  • गांव में घर ना, रोडी में खेत ना।

  • गांव में पड्यो भजांड़ो, के करैगो सामी तारो।

  • गांव हुवै जठे ढेढवाड़ो ही हुवै।

  • गाछ गैल बेल बधै।

  • गाजर की पूंगी बाजी तो बाजी नहीं तोड़ खाई।

  • गाजै जिको बरसै कोनी।

  • गाडा को फाचरो अर लुगाई को चाचरो, कुट्योडो ही चोखो।

  • गाडा टलै हाडा नही टलै।

  • गाडा नै देख कर पाडा का पग सूजगा।

  • गाडा नै देखकै पाडा का पग सूजगा | हिंदी – संकट के समय डर जाना।

  • गाडा में छाजला को के भार?

  • गाडिये लुहार को कुण सो गांव?

  • गाडी उलट्यां पछै विनायक मनायां के होय?

  • गाडी को पहियो अर आदमी की जीभ तो चालती ही चोखी।

  • गाडी सै अर लाडी सै बच कर रैणूं।

  • गाडै लीक सौ गाडी लीक।

  • गादड़ मारी पालखी, में धडूक्यां हालसी।

  • गादड़ै की तावलां सै बेर थोड़ाई पाकै।

  • गादड़ै की मार्योडी सिकार नार थोड़ा ई खाय।

  • गादड़ै की मोत आवै जणा गांव कानी भागै।

  • गादड़ै कै मूंडै न्याय।

  • गाय अर कन्या ने जिन्नै हांकदे, उन्नै ही चाल पड़ै।

  • गाय की बाछी नींद आवै आछी।

  • गाय की भैंस के लागी?

  • गाय ल्याये न्याणै की, भू ल्याये घरियाणै की।

  • गायां भायां बामणां, भाग्यां ही भला।

  • गायां में कुण गयो, गोदो, कह मार दे बिलोवणो मोदो।

  • गारड बिना झैर कोनी उतरै।

  • गारै में पग, गिदरां पर बैठबा दे।

  • गाल्यां सै गूमड़ा कोनी होय।

  • गावणू अर रोवणू सैने आवै है।

  • गिरगिट रंग-बिरंग हो, मक्खी चटके देह। मकड़ियां चह-चह करे, जब अठ जोर मेह॥ हिंदी – गिरगिट बार-बार रंग बदलता हो, मक्खी शरीर पर चिपके तथा मकड़ी आवाज करे तो वर्षा होने का अनुमान लगाया जाता है।

  • गीत में गाण जोगो ना, रोज में रोवण जोगो ना।

  • गीवूं ल्यावै तो गधी अर खाय अमीर।

  • गुड़ की डली दे दे नहीं बाणिये की बेटी बण ज्याऊंगी।

  • गुड़ कोनी गुलगुला करती, ल्याती तेल उधारो, परींडा में पाणी कोनी, बलीतो कोनी न्यारो। कड़ायो तो मांग कर ल्याती पण आटा को दुख न्यारो।

  • गुड़ खाय गुडियानी को पछ करै।

  • गुड़ गीलो हो तो मांखी कदेस की चाट ज्याती।

  • गुड़ डलियां, घी आंगलियां।

  • गुड़ तो अंधरै में बी मीठो।

  • गुड़ देता मरै बिनै झैर क्यूं देणूं | हिंदी – यदि मीठे वचन से काम निकलता हो तो कठोर वचन क्योँ बोला जाये।

  • गुड़ बिना किसी चोथ?

  • गुड़ा घालै जितणो ही मीठो।

  • गुड़ै गुवाड़ै, फोज पापड़ै आवै।

  • गुण गैल पूजा | हिंदी – गुणवान की प्रतिष्ठा।

  • गुर-गुर विद्या, सिर-सिर बुद्धि।

  • गुरु की चोट विद्या की पोट ।

  • गुरु सै चेलो आगला।

  • गुरू चेलो लालची, दोनूं खेलै दाव। दोनूं कदेक डूबसी, बैठ पत्थर की नाव।

  • गुलगुला भावै पण तेल कठे सूं आवै।

  • गुवाड़ को जायो की नै बाबो कै।

  • गूंगा तेरी सैन में समझौ कुल में दोय। के गूंगा की मावड़ी के गूंगा की जोय॥

  • गूंगी अर गीता गावै।

  • गूंगो बड़ो क राम, कै बड़ो तो है सो है ही पण सांपा से कुण बैर करै।

  • गूजर उठे ही गुजरात।

  • गूजर किसकी पालती, किसका मित्र कलाल?

  • गूजर सै ऊजड़ भली।

  • गेरदी लोई तो के करैगो कोई | हिंदी – निर्लज्ज होने पर कोई कुछ नहीँ कर सकता।

  • गैब को धन ऐब में जाय।

  • गैली रांड का गैला पूत | हिंदी – पागल स्त्री की पागल सन्तान।

  • गैली सारां पैली | हिंदी – अकर्मण्य हर जगह टांग अड़ाता है।

  • गैलो भलो न कोस को, बेटी भली न एक। मांगत भली न बाप की, साहेब राखै टेक॥

  • गोकुल सै मथरा न्यारी।

  • गोद को छोरो, राखणूं दोरो।

  • गोद लडायो गीगलो, चढ्यो कचेड्या जाट। पीर लड़ आई पदमणी, तीन्यू ही बारा बाट॥ हिंदी – अधिक प्यार मेँ पला हुआ लड़का, कचहरियोँ मेँ मुकदमेबाजी मेँ उलझा रहने वाला जाट तथा लड़कर पीहर गई स्त्री, ये तीनोँ बर्बाद हो जाते हैँ।

  • गोदी कां नै गेर कर पेट कां की आस करै।

  • गोदी मैं छोरो गळी मैं हेरो ।

  • गोबर को घड़ो, काठ की तलवार।

  • गोबर में तो घींघला ही पड़ै।

  • गोरी में गुण होगो तो ढोलो आपै ही आ मिलैगौ।

  • गोला किसका गुण करै, ओगणगारा आप, माता जिण की खाबली, सोला जिण का बाप।

  • गोलै के सिर ठोलो।

  • गोलो अर मूंज पराये बल आंवसै |हिंदी – जिस प्रकार मूँज पानी का बल पाकर ऐँठती है उसी प्रकार दास अपने स्वामी के बल पर अकड़ता है।

  • गोलो र मूंज पराये बल आंवसै।

  • गोह चाली गूगै नै, सांडो बोल्यो-मेरी भी जात है।

  • गौले को गुर जूत।

  • ग्यारस को कडदो बारस नै ग्रहण को दान, गंगा को असमान।

  • ग्रह बिन घात नहीं, भेद बिन चोरी नहीं।

  • घटतोला मिठ बोला।

  • घड़ी को सिर हाल दियो, ढीयै को जबान कोनी हलाई।

  • घड़ी को ठिकाणूं कोनी अर नाम अमरचन्द।

  • घड़ै कुम्हार, भरै संसार।

  • घड़ै गैल ठीकरी, मा गैल डीकरी।

  • घड़ै सुनार, पैरे नार।

  • घड़ै ही गडुओ, होगी भेर।

  • घड़ो फूट कर गिरगण ही हाथ आवै।

  • घण जाया घण ओलमा, घण जाये घण हाण |हिंदी– अधिक सन्तान होने से अधिक उपालम्भ मिलते हैँ तथा गालियां भी सुननी पड़ती हैँ।

  • घण जायां घण नास |हिंदी– अधिक सन्तान कुटुम्ब की एकता का नाश कर देती हैँ।

  • घण जीते, सूरमों हारै।

  • घण बूंठा कण हाण।

  • घणै मीठा मैँ कीड़ा पड़ै | हिंदी– अत्यधिक प्रेम से खरास पड़ती है।

  • घणा जायां घण ओलमा, घणा जायं घण हाण।

  • घणा हेत टूटण का, बड़ा नैण फूटण का।

  • घणी की कांच दाबण गई, आ पड़ी आपकी।

  • घणी रे घणी म्हारा निघण घणी। तूं बैठ्यां म्हारै चिन्ता घणी।

  • घणी तीन-पांच आछी कोन्या।

  • घणी दाई घणा पेट फाड़ै।

  • घणी सराही खीचड़ी दांतां कै चिपै।

  • घणी सुधी छिपकली चुग चुग जिनावर खाय । हिंदी– अधिक सीधा या चतुर व्यक्ति कभी–कभी अधिक खतरनाक होता है।

  • घणूं खाय ज्यूं घणूं मरै।

  • घणूं बल करया घूंडो पड़ै | हिंदी– खीँचातान से वैमनस्य बढ़ता है।

  • घणूं बल भर्यां घूंडी पड़ै।

  • घणूं सियाणो कागलो दे गोबर में चांच।

  • घणों सयाणों कागलो हुवै जको गू मे चांच दे ।

  • घर आयो पावणो रोवतड़ी हँस।

  • घर का टाबर काणा भी सोवणा।

  • घर का टाबर खीर खा, देवता भलो मानै।

  • घर का पूत कुंवारा डोलै, पाडोसी का नो नो फेरा।

  • घर की आदी ई भली।

  • घर की खांड किरकिरी लागै, गुड़ चोरी को मीठो।

  • घर की खाय, सदा सुख पाय।

  • घर की छीज लोक की हांसी।

  • घर की डाकन घर का नै ही खाय ।

  • घर को जोगी जोगणूं आन गांव को सिद्ध।

  • घर को देव अर घर का पूजारा।

  • घर गयां की छांग उसी का केरड़ा, बेटां री बोताज क नैड़ा खेतड़ा।

  • घर गैल पावणूं या पावणा गैल घर।

  • घर जाए का दिन गिणूँ क दांत।

  • घर तो घोस्यां का बी बलसी, पण सुख ऊंदरा भी कोनी पावै।

  • घर तो नागर बेल पड़ी, पड़ौसन को खोसै फूस | हिंदी– व्यक्ति के पास सब कुछ होते हुए भी वह दूसरे के माल पर नजर रखता है।

  • घर नै खोवाई साळो ।

  • घर नै खोवै सालो, भीँत नै खोवै आलो।

  • घर बळतो कोनी दीखै, डूंगर बळतो दीखै

  • घर ब्याह, भू पीपलां।

  • घर में अंधेरो तिलां की सी रास।

  • घर में आई जोय, टेडी पगड़ी सीधी होय।

  • घर में कसालो, ओढ़ै दुसालो।

  • घर में कोन्या तेल न ताई, रांड मरै गुलगुलां तांई।

  • घर में घीणा होय क हुडी चोलणा, एता दे करतार फेर नह बोलणा।

  • घर में नाही अखत को बीज, रांड पूजै आखा तीज।

  • घर में सालो, दीवाल में आलो, आज नहीं तो काल दिवालो।

  • घर मैँ कोन्या तेल न ताई, रांड मरै गुलगुला तांई | हिंदी– घर मेँ तेल भी नहीँ है तथा रांड गुलगुले खाने के लिए लालायित है।

  • घर मोटो टोटो घणूं, मोटो पिव को नांव ऐं कारण धण दुबली, म्हारो रसता ऊपर गांव।

  • घर रोक्यो सालां, भींत रोकी आलां।

  • घर वासे ही रांड अर गोद की बेटी गिरलाई न्ह्याल करै।

  • घर सै उठ बनै में गया अर वन में लागी लाय।

  • घर सै बेटी नीसरी, भांवै जम ल्यो भांवै जंवाई ल्यो।

  • घरकां नै मारणूं, चोरां नै धारणूं।

  • घर-घर माटी का चूल्हा | हिंदी– सभी की एक सी स्थिति।

  • घर-बार थारा, पण ताला कूंची म्हारा।

  • घरै घाणी, तेली लूखो क्यूं खावै?

  • घाघरी को साख नजीक को हो ज्याय।

  • घायल गत घूमैह, रै भूमी मारवाड़ री। राळो रुं रुं मेह, साहित इमरत सूरमों॥

  • घिरत ढुल्यो मूंगा कै मांय।

  • घी खाणूं तो पगड़ी राख कर खाणूं।

  • घी घाल्योड़ो तो अंधेरा में बी छान्यूं कोन्या रैवै।

  • घी जाट को, तेल हाट को।

  • घी सक्कर, अरू दूध क ऊपर पप्पड़ा, सात भयां कै बीच सवाया कप्पड़ा।

  • घी सुधारै खीचड़ी नाम बहू को होय।

  • घी सुधारै खीचड़ी, और बड्डी बहू का नाम ।

  • घुरी में गादड़ो ई सेर।

  • घूंघटा सै सती नहीँ, मुंडाया जती नहीँ | हिंदी– स्त्री घूंघट निकालने से सती नहीँ होती तथा पुरुष सिर मुंडा लेने मात्र से संन्यासी नहीँ हो जाता।

  • घूंस चालती तो बाणियो धरमराज नै भी घूंस दे देतो।

  • घूमटा सैं सती नहीं, मुंडाया सै जती नहीं।

  • घूमर हाली कै बिछिया चाये।

  • घैरगडी सासू छोटी भू बडी ।

  • घोड़तां कै ब्या में गादड़ा ही गीत गावै।

  • घोड़ा तो ठाण बिकै।

  • घोड़ै के अवसार को अर बूडली माई को साथ?

  • घोड़ै कै नाल जड़तां गधेड़ो ही पग उठावै।

  • घोड़ै को लात सूं घोड़ो थोडी ही मरै।

  • घोड़ो घास सैं यारी करै तो खाय के?

  • घोड़ो चाये निकासी नै, बावड़तो सो आए।

  • घोड़ो तो ठाण बिकै | हिंदी– गुणी की कीमत उसके स्थान पर ही होती है।

  • घोड़ो दौड़े दौडे, कुण जाणै।

  • घोड़ो मर्द मकोड़ो, पकड्यां छोड़ै थोड़ो।

  • चाली जैसो तिकूं रा बोलणा, एता दे करतार फेर न बोलण।

  • बतलाया बोले नहीं अर बोलै तो डबको॥

  • म्हरै सैं थारै गई जैंका काडूं खोज। थारै सैं बी जायगी मत गरबावै भोज॥