Marwari Muhavare ( त-न )
Marwari Muhavare ( त-न) - Marwari proverbs (Muhavare) that reflect the wisdom, humor, and values of Marwari culture
MARWARI MUHAVARE
Marwari Pathshala
10/23/20241 min read
त-न
1. "तीज त्यौहारां बावड़ी, ले डूबी गणगौर"
- Meaning: Festivities are endless, but the main festival is Gangaur (which stands out).
- Usage: This proverb is often used to highlight that among many events or celebrations, there’s always one that stands out as the most significant or impactful.
2. "दियो लियो आडो आवै"
- Meaning: Give and take must balance out in the end.
- Usage: Used to emphasize that fair exchange and reciprocity are important in relationships and transactions.
3. "दूसरे की थाळी मँ घी ज्यादा दीखॅ"
- Meaning: The ghee (clarified butter) seems more in someone else’s plate.
- Usage: This proverb highlights the human tendency to see others’ lives or possessions as better or more plentiful, often leading to feelings of jealousy or dissatisfaction.
4. "दूसरे की थाळी में सदा हि ज्यादा लाडू दीखैं"
- Meaning: Someone else’s plate always seems to have more sweets (laddus).
- Usage: Similar to the previous proverb, it implies that people tend to envy what others have, often imagining their portion is smaller or less satisfying.
5. "धन्ना जाट का हरिसों हेत, बिना बीज के निपजँ खेत"
- Meaning: Dhanna Jat has such love for God that his fields yield crops without even planting seeds.
- Usage: This proverb is used to describe the power of true devotion or faith. When faith is strong, even miraculous results seem possible.
6. "नानी फंड करै, दोहितो दंड भरै"
- Meaning: The grandmother commits an offense, and the grandson pays the price.
- Usage: Used to indicate situations where one person’s actions have consequences that others, especially descendants, must bear.
7. "नेपॅ की रुख खेड़ा'ई बतादें"
- Meaning: Even a neem tree shows its bitterness from the beginning.
- Usage: This proverb means that a person’s nature or tendencies show early on and are often hard to change, similar to how a bitter tree’s taste doesn’t alter.
Each of these proverbs uses relatable examples to communicate valuable life lessons on contentment, faith, fairness, and accepting human nature.
तंगी में कुण संगी ? हिंदी– कमी मेँ किसी का सहार नहीँ मिलता।
तड़कै तो ल्यो चकांचक? कह, कैं कै? कह, आ भी सांची है!
तरवार को घाव भर ज्या, बात को कोनी भरै?
तलै तो हूँ पर ऊपर टांग मेरी ई है।
तवै की काची नै, सासरै की भाजी नै कठैई ठोड़ कोनी । हिंदी– कच्ची रोटी तथा ससुराल को छोड़कर जाने वाली स्त्री का कोई ठौर–ठिकाना नहीँ रहता है।
तवै चढ़ै नै धाड़ खाय।
ताण्यां तेरै मांय बास आयै है, कह, मेरी बासो बी कठे है।
ताण्यूं कुणसी पोसांका में।
ताता पाणी सैं कसी बाड़ बळै । हिंदी– मात्र क्रोध मेँ किसी को कुछ कहने से उसका कुछ भी नहीँ बिगड़ता है।
तातो खावै छायां सोवै, बैंको बैद पिछोकड़ रोवै।
तारा तग-तग करैँ, अम्बर नीला हुन्त। पड़ै पटल पाणी तणी, जद संज्या फुलन्त॥ हिंदी– नीले आसमान मेँ तारे टिमटिमाएं तथा सांझ फूले तो वर्षा आने की प्रबल सम्भावना हो जाती है।
ताली लाग्यां तालो खुलै | हिंदी– युक्ति से ही कार्य होता है।
ताळी लाग्यां ताळो खुलै ।
तावळो सो बावळो ।
तिरिया चरित न जाणे कोय, खसम मारके सत्ती होय।
तिल देखो, तिलां की धार देखो।
तीज त्युंहारां बावड़ी, ले डूबी गणगौर।
तीजां पाछै तीजड़ी, होळी पाछै ढूंढ, फेरां पाछै चुनड़ी, मार खसम कै मूंड ।
तीतर कै मूंडै कुसळ है ।
तीतर छोड बणी में दीया, भटजी हो गया नीराला।
तीतर पंखी बादली, विधवा काली रेख। या बरसै या वध करै, इसमेँ मीन न मेख॥ हिंदी– तीतर जैसी आकृति के छोटे–छोटे बादल छाने पर निश्चित रूप से वर्षा होती है।
तीतर पंखी बादळी, विधवा काजळ रेख । बा बरसे बा घर करै, ई में मीन न मेख ।।
तीन तेरा घर बिखरै।
तीन बुलाया तेरा आया, भई राम की बाणी । राघो चेतन यूँ कहै, द्यो दाळ में पाणी ।।
तीन सुहाळी, तेरा थाळी । बांटण वाळी सतर जणी ।।
तीसरे सूखो आठवैं अकाळ - राजस्थान के लिए प्रयोग किया गया है ।
तुरकणी कात्योड़े में ही फिदकड़ो।
तुरकणी कै रांध्योड़ा में कसर?
तुरकणी कै रान्ध्योड़ा में के कसर ।
तू आवे ढिग एक बार तो मैं आऊं ढिक अट्ठ। तू म्हां सै करड़ो रहै तो म्हे बी करड़ा लट्ठ।
तू काणूं मैं खोड़ो, राम मिलायो जोड़ो।
तू चालै तो चाल निगोड्या, मैं तो गंगा न्हाऊंगी।
तू रोवे है छाक नै, मैं बूझण आई कै उधारो की कै ऊँ ल्याऊं।
तूं आंटीली मैं अणखीली क्यूंकर होय खटाव?
तूं ई गांव को चोधरी, तूं ई नम्बरदार।
तूं क्यूं लाडो उणमणी तेरै सेलीवालो साथ।
तूं खत्राणी मैं पाडियो, तूं बेस्या मैं भांड। तेरे जिमाये मेरे जीमणै में पत्थर पड़ियो रै रांड।
तूं डाल-डाल मैं पात-पात।
तूं बी राणी मैं बी राणी, कूण भरै पैंडे को पाणी?
तूं है देसी रूंखड़ो, परदेसी लोग, म्हांने अकबर तेड़िया तूं किम आयो फोग। अर्थ - दूर देस में अपनी भूमि के पौधे फोग को देखकर अपनापन जताना महज देस से दूरी का वियोग नहीं है अपितु अपनी हर उपज का सम्मान यहां के लोग बड़े सलीके से करते हैं।
तेरा मेरा दो गैला।
तेरी आंख में ताकू द्यूं हूं, कायर मना हुए।
तेरी मेरी बोली में ई को सलै ना।
तेरै ल्होड़िये नै न्यूतो है, कह, मेरै तो सगला ढाई सेर्या है।
तेल तो तिलां सै ही निकलसी | हिंदी– तेल तिलोँ से ही निकलता है।
तेल बलै बाती बलै, नांव दिवा को होय।
तेल बाकला भैंरू पूजा।
तेली की जोरू ल्हूखो क्यूं खाय?
तेली सूं खल ऊतरी, हुई बलीतै जोग।
थारा बायेङा कदै ऊग्या हा के ।
थारी म्हारी बोली में, इतरो ही फरक्ख। तू तो कहै फरेस्ता र मैँ कहूं जरक्ख।
थावर की थावर ही किसा गांव बलै है।
थावर कीजे थरपना बुध कीजै व्योहार | हिंदी– शनिवार को स्थापना तथा व्यवहार बुधवार को शुरु किया जाना अच्छा होता है।
थोथो चणो बाजै घणो | हिंदी– अवगुणी अधिक बढ़–चढ़कर बातेँ करते हैँ।
थोथो शंख पराई फूँक सै बाजै | हिंदी– जिस व्यक्ति मेँ स्वयं मेँ कोई गुण नहीँ होता वह दूसरोँ की सलाह से ही कार्य करता है।
दगाबाज दूणू नवै, चीतो चोर कबाण।
दगो कैंको सगो नहीं।
दग्गड दग्गड खाऊंगी, बोलैगो तो मारूंगी मर ज्याऊंगी।
दबी मूसी कान कटावै।
दमड़ां को लोभी बातां सै कोनी रीझै।
दमड़ी का छाणा धुआंधार मचाई।
दलाल कै दिवालो नहीँ, महजित कै तालो नहीँ | हिंदी– दलाल को घाटा नहीँ है, मस्जिद मेँ कोई समान न होने पर ताला लगाने की आवश्यकता नहीँ।
दलाल कै दिवालो नहीं, महजीत कै तालो नहीं।
दस दिन को दसरावो अर बीसैं दिन दिवाळी ।
दसां डावडो, बीसां बावलो, तीसां तीखो, चालीसां चोखो। पचासां पाको, साठां थाको, सतरां सूलो, अस्सी लूलो। नब्बे नांगो सोवां तो भागी ई भागो।
दांत दरांतो दायमो, दारी और दरबान। ये पांचू दद्दा बुरा, पत राखै भगवान।
दांत भलांई टूच ज्यावो, लो कोनी चबै।
दांतला कसम को रोवता को बेरो पड़ै न हांसता को।
दाई सै पेट छानो कोनी।
दाणै दाणै म्होर-छाप है।
दाता दे, भंडारी को पेट बलै।
दाता सैं सूम भलो, जो झट दे उत्तर देय।
दादू दुवारा में कांगसियां को के काम?
दादो असो सावो काढ्यो के जान दिन कै दिन आई रही।
दादो घी खायो, म्हारी हथेली सूंघल्यो।
दान की बाछी का दांत कुण देख्या?
दाल भात लम्बा जीकारा, ऐ बाई! परताप तुम्हारा।
दास सदा उदास।
दिग्मरां के गाँव में धोबी को के काम ।
दिन आयां रावण मरै।
दिन करै सौ बैरी कोन्या करै।
दिन खोटो हुवै जणा ऊंट पर चढेङा न गनडकङो खा ज्याय ।
दिन चिलकारो दे फटकारो ।
दिन जातां बार कोनी लागै।
दिन दीखै न फूड़ पीसै।
दिनगे को भूल्योड़ो संज्या घरा आज्याय तो भूल्योड़ो कोनी बाजै।
दियेङो भूल ज्याणूं लियेङो नहीं भूलणूं ।
दियो लियो आडो आवै ।
दिलां का दिल साईदार है।
दिल्ली नै कदै मंगल गातां देख्या ना।
दिल्ली की कमाई, दिल्ली में लुटाई।
दिल्ली में रह कर भी भाड़ झोंकी।
दीपक कै भांवै नहीं, जल जल मरै पतंग।
दीवा बीती पंचमी, जो शनि मूल पड़न्त। बिवणा तिवणा चौगणा, महंगा नाज करन्त।
दीवा बीती पंचमी, मूल नछतर होय। खप्पर ले हाथां फिरै, भीख न घालै कोय।
दीवा बीती पंचमी, सोम शुकर गुरु मूल। डंक कहे हे भड्ड़ली, निपजे सातूं तूल।
दीवाली का दीवा दीठा, काचर बोर मतीरा मीठा।
दुखां को भांडो, नांव सदासुखराय।
दुनिया की जीभ कुण पकड़ै?
दुनिया दुरंगी है।
दुनिया देखै जैसी कह दे।
दुनिया नै कुण जीतै?
दुनिया पराये सुख दुबली है।
दुनिया में दो गरीब है, कै बेटी, कै बैल।
दुनिया है अर मतलब है।
दुश्मन की किरपा बुरी, भली सैन की त्रास। आर्डग कर गरमी करे, जद बरसण की आस।
दूजवर की गोरड़ी, हाथां परली मोरड़ी।
दूद दयां का पावणां, छाछ नै अणखावणा।
दूध को दूध पाणी को पाणी।
दूध चुंघावै मायड़ी, नांव धाय को होय।
दूध पीती बिलाई गंडकड़ां मैं जा पड़ी।
दूध पीती बिलाई गंडका कै मायं पड़गी ।
दूध बी राख, दुहारी भी राख।
दूध बेचो भांवै पूत बेचो।
दूध भी धोलो, छाय भी धोली।
दूध'आली की लात बी सहणी पड़ै।
दूबड़ी तो चरवाटै ही हो छै।
दूबली खेती घणै नै मारै।
दूबली पर दो साढ़।
दूबलै पर दो लदै।
दूबलो जेठ देवरां बराबर।
दूबलो धीणूं दूसरा की छाय सै खोवै।
दूर का ढोल सुहावणा लागै।
दूर जंवाई फूल बरोबर, गांव जंवाई आदो। घर जांवई गधै बरोबर, चाये जितणो लादो।
दूसरां कै घरां च्यार खाटां पर कमर खुलै।
दूसरां को माल तूंतड़ा की धड़ मैँ जाय | हिंदी– दूसरोँ का धन लापरवाही से खर्च करना।
दूसरां पर बुरी चीतै जणा आप पर ई पड़ै।
दूसरे की थाळी मँ घी ज्यादा दीखॅ।
दूसरे की थाळी में सदा हि ज्यादा लाडू दीखैं ।
दूसरै की थाली में घणू दीखै।
दूसरों को माल तूंतड़ा की धड़ में जाय।
दे रै पांड्या असीस, मैं के देऊं, मेरी आत्मा ही देसी।
देख खुरड़ कहे ढेढ की, कथा टूटे नेह। लेई चढ़ै न चामड़ै, मुकता बरसै मेह॥ हिंदी– जूता बनाते समय चमड़े पर लेई का चढ़ना वर्षा आने का सूचक होता है।
देख पराई चूपड़ी मत ललचावै जी। ल्हूखी-सुखी खाय कर ठंडो पाणी पी।
देख पराई चोपड़ी, पड़ मर बेईमान। दो घड़ी की सरमा सरमी, आठ पहर आराम।
देखते नैणां चालते गोडां | हिंदी– देखने व चलने की शक्ति रहते हुए ही मृत्यु हो जाये तो अच्छा।
देखते नैणां, चालते गोड़ां।
देख्या ख्याल खुदाय का, किसा रचाया रंग। खानजादा खेती करै तेली चढै तरंग।
देख्या देस बंगाला, दांत लाल मूं काला।
देख्यां-देखी साधै जोग, छीजै काया, बधै रोग।
देख्यो नांही जैपरियो, कल में आकर के करियो।
देणूं अर मरणूं बराबर है।
देबा नै लेबा नै रामजी को नांव है।
देव जिसाई पुजारा।
देव देख्या अर जात पुरी हुई।
देवां सै दाना बड्डा होय है।
देश नै चालोजी ढोला मन भटके, काकड़िया मतीरा खास्यां डट डटके
देस जिसाई भेस।
देसी कुतिया, बिलायती बोली।
देसी चोरी, परदेशी भीख।
दो तो चून का भी बुरा।
दो दाणा की खातर घोड़ी बेची जायगी के?
दो बुरां बुराई हुवै।
दो सावण, दो भादवा, दो कातिक, दो मा। ढांडी-ढोरी बेच करं, नाज बिसावण जा।
दोनूं हाथ मिलायां ही धुपै।
दोन्यू हाथ मिलायां ई धुपै | हिंदी– दोनोँ पक्षोँ के मिलने पर ही बात बनती है।
दोय दोय गयंद न बंधसी, एकै कंबू ठाण।
दोय मूसा दोय कातरा, दोय टीडी दोय ताव। दोय री बादी जल हरै, दोय बीसर दो बाव।
दोय लड़ै, जठे एक पड़ै।
दोयती तो कुंआरी डोलै, नानी का नो-नो फेरा।
दौलत सूं दोलत बधै।
धणी बिना गीत सूना तो सिरदार बिना फौज निकांमी।
धणी रो धन नीं देखणों, धणी रो मन देखणों ।
धन को तेरा, मकर पचीस, जाड़े दिन, दो कम चालीस।
धन खेती, धिक चाकरी।
धन दायजा बहगा, छाती फूटा रहगा।
धन धणिया को गुवाल कै हाथ में लकड़ी।
धनवन्ता कै कांटो लाग्यो, स्हाय करी सब कोय। निरधन पड्यो पहाड़ सूं, बात न पूछी कोय।
धनवान को के कंजूस अर गरीब को के दातार।
धन्ना जाट का हरिसों हेत, बिना बीज के निपजँ खेत।
धरतियां सोवणियूं संकड़ेल क्यूं भुगतै?
धरती करिया बिछावणा, अम्बर करिया गलेफ। पोढो राजा भरतरी, चोकी देवै अलेख।
धरती परै सरक ज्याए, छैला पांव धरैंगा ए।
धरती माता थूं बड़ी, थां सूं बड़ो न कोय। उठ संवारै पग धरां, बाळ न बांका होय।।
धरम की जड़ सदा हरी।
धरम को धरम, करम को करम | हिंदी– स्वार्थ व परमार्थ दोनोँ का साथ–साथ पूरा होना।
धान पुराणा धृत नया, त्यूं कुलवन्ती नार। चौथी पीठ तुंरग की, सुरक निसानी चार।
धानी धन की भूख क साका की?
धाया तेरी छा राबड़ी, तेरै गंडकड़ां सैं तो कढ़ाय।
धायो जाट गाड़ी रो बाद काढ़ै।
धायो धपनूं पेदी हाला पग करै।
धायो मीर, भूखो फकीर, मरयां पाछै पीर | हिंदी– मुसलमान तृप्त हो तो अमीर, भूखा हो तो फकीर तथा मरने के बाद पीर कहलाता है।
धायो मीर, भूखो फकीर, मर्यां पाछै पीर।
धायो रांगड धन हरै, भूखो तजै पिराण।
धीणूं भैंस को, हो भांवै सेर ही।
धीणोड़ी सागै हीणोड़ी मर ज्याय | हिंदी– दुधारी गाय के होने पर बिना दूध वाली गाय को कोई नहीँ पूछता।
धीरे धीरे ठाकरां, धीरे सब कुछ होय। माली सीँचै सो घड़ा, रुत आयां फल होय।
धूल खायां किसो पेट भरै?
धूल धाणी, राख छाणी।
धेला की न्यूतार, थांम कै बांथ घालै।
धेलै की हांडी फूटी, गंडक की जात पिछाणी।
धोती में सब उघाड़ा है।
धोबण सै के तेलण घाट, ऊंकै मोगरी, ऊंकै लाठ।
धोबी की हांते गधो खाय।
धोबी की हांते, गधो खाय | हिंदी– नीच का धन नीच खाता है।
धोबी कै घर में बड़गा चोर, डूब्या और ई और।
धोबी कै बसो चाहै कुम्हार कै, गधो तो लदसी।
धोबी को गधो घर को न घाट को।
धोबी को गधो, स्वामी की गाय। राजा को नोकर, तीनूं गत्तां से जाय।
धोबी बेटा चान-सा, चोटी न पट्टा।
धोलै पर दाग लागै।
धोळां मैं धूळ - बुजुर्ग का अनादर ।
न कोई की राई मैँ, न दुहाई मैँ | हिंदी– अपने काम से काम रखना।
न नानेरै, घोड़ो दादेरै।
न नो मण तेल होय, न राधा नाचै।
न भेवै काकड़ो तो क्यूं टेरै हाली लाकड़ो?
नंदी कनलौ जांट, कद होण बिनास | हिंदी– नदी किनारे लगा वृक्ष कभी भी नष्ट हो सकता है।
नंदी परलो रुंखड़ो-जद, कद होण विलास।
नई नो दिन, पुराणी सो दिन।
नकटा देव, सूरड़ा पुजारा | हिंदी– जैसे देवता वैसे पुजारी।
नकटा, नांक कटी, कह, मेरी तो सवा गज बधी!
नकटी देवी, ऊत पुजारी | हिंदी– जैसा राजा वैसी जनता।
नकटी-बूची को जागी खसम।
नखरो नायण को, बतलावणों ब्यावण को।
नगद नाणा, बीन परणै काणा।
नगारा मैँ तूती की आवाज कुण/कोन्या सुणै | हिंदी– बड़े लोगोँ मेँ छोटोँ की उपेक्षा।
नट-विद्या आ ज्याय पण जट-विद्या कोनी आवै।
नणद को नणदोई गलै लगाकर रोई, पाछै फिर कर देख्यो तो सगो न सोई।
नथ खोई नणद नैं दीनी।
नदी किनारै बैठ की क्यूं न हाथ पखालै?
नयी जोगण काठ की मुद्रा।
नयो बलद खूंटो तोड़ै।
नर नानेरै, घोड़ो दादेरै | हिंदी– स्वभाव तथा बनावट मेँ पुरुष ननिहाल पर जाता है जबकि घोड़ा पितृकुल पर ।
नर में नाई आगलो, पंखेरू में काग, पाणी मांगो काछबो, तीनूं दग्गाबाज।
नर में नाई, पखेरू में काग । पाणीवालो काछवो, तीनों दगाबाज ।। हिंदी - नाई, कौवा और कछवा का भरोसा नहीं किया जा सकता
नरुका नै नरूको मारै, के मारै करतार।
नवै चन्द्रमा नै सै राम-राम करै।
नष्ट देव की भ्रष्ट पूजा।
नसीब की खोटी, प्याज और रोटी।
ना कोई सैं दोसती, ना कोई सै बैर।
ना घर तेरा, ना घर मेरा, एक दिन होगा जंगल डेरा।
नांव गंगाधर, न्हावै कोनी उमर में।
नांव तो बंशीधर, आवै कोनी अलगोजो बजाणूं ही।
नांव धापली, फिरै टुकड़ा मांगती।
नांव मोटा, घर में टोटा।
नांव राखै गीतड़ा कै भीँतड़ा | हिंदी– काव्य निर्माण से या घर निर्माण से व्यक्ति का यश चिरस्थाई रहता है।
नांव लिछमीधर, कन्नै कोनी छिदाम ही।
नांव लियां हिरण खोड़ा होय।
नांव लेवा न पाणी देवा।
नांव विद्याधर, आवै कोनी कक्को ही।
नांव सीतलदास, दुर्वासा-सो झाली।
नांवच हजारीलाल, घाटो ग्यारा सै को।
नाई की परख नूंवां में है।
नाई दाई बैद कसाई, इण को सूतक कदे न जाई।
नाई नाई, बाल कताक? कह, जजमान! मूंडै आगे आ ज्याय है।
नाई बामण कुत्तो, जाते देख हू हूकरतो।
नाई हालो ठोलो, बाणिया हालो टक्को।
नागा को लाय में के दाजै?
नागा बूचो, सै सैं ऊंचो।
नागां का रामजी परो कर गैला होबो करै है।
नाड़ी को बैरी गादड़ो, लौ को बैरी काट । गाड़ी को बैरी गंडकड़ो, बामन को बैरी जाट ।।
नागाई को लाल तुर्रो।
नागी के धोवै अर के निचोवै?
नाचण ई लागी जब घूंघट क्यां को?
नाचूं क्यां? आंगणूं बांको।
नाजरली, जेल बधो। कै बस म्हां ताणी ही है।
नाजुरतिये की लुगाई, जगत की भोजाई | हिंदी– कमजोर व्यक्ति की वस्तु पर सबका अधिकार।
नाजुरतिये की लुगाई, जगत की भोजाई।
नाजो नाज बिना रह न्याय, काजल टीकी बिना कोनी रवै।
नाड़ां टांकण बलद बिकावण, तू मत चालै आधै सावण।
नादान की दोस्ती जीव का जंजाल।
नादीदी का नो फेरा।
नादीदी कै लोटो हुयो, रात्यूं उठ-उठ पाणी पियो।
नादीदी कै हुई कटोरी, पाणी पी-पी पदोरी।
नादीदी को खसम आयो, दिन में दीओ जोयो।
नाना मिनख नजीक, उमरावां आदर नहीं। बीं ठाकर नै ठीक, रण में पड़सी राजिया।
नानी कसम करै, दोयती नै डंड | हिंदी– नानी के दूसरा पति कर लेने पर उसकी दोहिती तक को सामाजिक दंड मिलता है।
नानी फंड करै, दोहितो दंड भरै ।
नानी रांड कुंवारी मरगी, दोयती का नो-नो फेरा।
नापै सो गज, फाड़ै कोन्या एक गज।
नामी चोर मार्यो जाय, नामी साह कमा खाय।
नायां की जनेत में सब क ई ठाकर।
नारनोल की आग पटीकड़ै दाजै | हिंदी– बुरे कर्म कोई करता है, फल किसी को मिलता है।
नारां का मूंडा कुण धोया है?
नारी को एक बी चोखो, सूरी का बारा बी के काम का?
नारी नर की खान।
नाहर ने रजपूत ने रेकारे री गाल।
निकमो नाई पाटड़ा मूंडै।
निकली होठां, चढ़ी होठां | हिंदी– होठोँ से बाहर आते ही बात का फैलना।
निकासी कै बखत घोड़ो चाये, कै फिरतो सो आजे।
नीचो कर्यो कांधो, देखण हालो आंधो।
नीत गैल बरकत है | हिंदी– जैसी नियत होती है वैसा ही प्राप्त होता है।
नीम तलै सोगन खा ज्याय, पीपल तलै नट ज्याय।
नीम न मीठ होय, सींचो गुड़ धीव सै, जिणका पड्या सुभाव क जासी जीव सै।
नेकी-बदी साथ चालै।
नेपॅ की रुख खेड़ा'ई बतादें ।
नेम निभाणा, धर्म ठिकाणा | हिंदी– नियम–धर्म संयमी के पास ही रहते हैँ।
नेम में निमेख घटै, सीख में मुजरो घटै।
नो नेसां, दस केसां।
नो पूरबिया, तेरा चोका।
नो पेठा तेरा लगवाल, घोड़तै नै लेगो कोतवाल।
नो सौ मूसा मार कर बिल्ली गंगाजी चली।
नोकर खाय ठोकर।
नोकर मालिक का हां क बैंगण का?
नोकरी की जड़ धरती सैं सवा हाथ ऊंची।
नोकरी ना करी।
नोकरी है क भाई-बन्दी?
न्यारा घरां का न्यारा बारणां | हिंदी– सब घरोँ की अलग–अलग रीति।
न्हाये न्हाये ई पुण्य।